कोरोना वायरस के संक्रमण तथा उसे रोकने की कोशिश में किये गये लॉकडाउन ने भारत समेत समूची दुनिया की अर्थव्यवस्था को संकट में डाल दिया है. इसके फलस्वरूप आर्थिक वृद्धि में वैश्विक स्तर पर संकुचन होना यानी विकास दर में गिरावट होना स्वाभाविक है. वायरस के संक्रमण का खतरा अभी भी बना हुआ है तथा आर्थिक गतिविधियों में भी अभी वांछित तेजी नहीं आयी है, पर केंद्र सरकार द्वारा बीस लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज के साथ विभिन्न कल्याण योजनाओं, वित्तीय सहायता तथा नियमन में बदलाव से स्थिति में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं.
लॉकडाउन हटाने या पाबंदियों को नरम करने की वजह से कारोबार और उत्पादन में भी बढ़ोतरी हो रही है. रबी की अच्छी उपज तथा मॉनसून के सामान्य रहने की उम्मीदों से भी बड़ा सहारा मिला है. आर्थिक गतिविधियों में सुधार का एक लक्षण यह है कि पेट्रोल और डीजल के उपभोग में वृद्धि हो रही है. बिजली की खपत भी पिछले साल के 90 फीसदी के स्तर तक जा पहुंची है.
लॉकडाउन में यातायात और आवागमन के साथ उत्पादन भी ठप पड़ गया था, पर राजमार्गों पर इलेक्ट्रॉनिक टोल वसूली बढ़ने से इंगित हो रहा है कि आवाजाही बढ़ रही है. ऊर्जा और ईंधन की खपत बढ़ने का सीधा मतलब है कि उत्पादक गतिविधियों में हलचल होने लगी है. वस्तु एवं सेवा कर संग्रहण भी बीते वित्त वर्ष के 90 फीसदी के स्तर पर आ गया है.
खेती-किसानी के क्षेत्र में देखें, तो खाद की खुदरा बिक्री बढ़ने के साथ ट्रैक्टरों का पंजीकरण भी तेज हुआ है, जो कि पिछले साल के 90 फीसदी के स्तर पर है. खरीफ की बुवाई में क्षेत्रवार 50 फीसदी से अधिक की वृद्धि देखी गयी है. ग्रामीण क्षेत्र में किसानों व कामगारों को सरकारी मदद तथा मनरेगा जैसी योजनाओं से काफी फायदा हुआ है. यह बढ़त इसलिए भी अहम है कि प्रवासी कामगारों के वापस अपने गांवों में लौटने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ने की आशंका जतायी जा रही थी. लेकिन ये आंकड़े संतोषप्रद हैं.
उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन और प्रवासियों की वापसी से बेरोजगारी बहुत ज्यादा बढ़ गयी थी तथा उत्पादन ठप पड़ने से छंटनी भी हो रही थी. हालांकि रोजगार के अवसर पैदा करना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन बेरोजगारी दर में कमी से यह उम्मीद भी बढ़ी है कि आगामी महीनों में कामकाज सुचारू रूप से चलाने के कारण इसमें और भी गिरावट होगी.
उत्पादन और कारोबार में बढ़त का सीधा संबंध आमदनी और रोजगार से तथा मांग में बढ़ोतरी से है. आर्थिक गतिविधियों में तेजी आयेगी, तो रोजगार बढ़ेगा और लोगों की कमाई होगी, जिसे वे बाजार में खर्च कर सकेंगे. इससे मांग में वृद्धि होगी और उत्पादन व कारोबार को लाभ होगा. सतर्कता से संक्रमण को रोकने की जरूरत है तथा कामकाज में तेजी की दरकार है. इसमें सरकार के साथ उद्योग व समाज को सक्रिय बने रहना होगा.