निर्यात में वृद्धि
निर्यात में यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है, जब वैश्विक स्तर पर कई कारणों से आपूर्ति में व्यवधान है तथा माल ढुलाई में मुश्किलें आ रही हैं.
चार सौ अरब डॉलर मूल्य के निर्मित उत्पादों के निर्यात लक्ष्य का पूरा होना अनेक अर्थों में बड़ी उपलब्धि है. यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. इसे रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उचित ही कहा है कि भारतीय वस्तुओं की वैश्विक मांग बढ़ रही है तथा यह देश की क्षमता एवं संभावना को इंगित करता है. उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को संभालने और उसे पटरी पर बनाये रखने के लिए केंद्र सरकार ने कई तरह की नीतियों और कार्यक्रमों का सूत्रपात किया था.
इसके साथ ही वंचित तबके, उद्यमियों तथा उद्योग जगत को राहत देने के लिए कल्याणकारी और वित्तीय पहलें हुई थीं. इसी क्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास करने का आह्वान किया था. उन्होंने स्थानीय उत्पादों के उपभोग के लिए ‘वोकल फॉर लोकल’ तथा घरेलू उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाकर उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार के अनुकूल बनाने के लिए ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ का सूत्र दिया था.
निर्यात बढ़ाने के लिए हुए अनेक प्रयासों में एक यह भी था कि गुणवत्तापूर्ण उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए सहायता दी जाए. इन कोशिशों के सकारात्मक परिणाम अब हमारे सामने हैं. निर्यात वृद्धि का एक विशेष पहलू यह है कि दुनिया हमारे उत्पादों को पसंद कर रही है. कोरोना काल में भारत समेत पूरे विश्व के सामने आपूर्ति शृंखला के बड़े हिस्से के किसी एक या कुछ देशों में केंद्रित होने की समस्याओं का पता चला.
इस शृंखला को विकेंद्रीकृत करने के प्रयासों में भारत एक विशेष स्थान रखता है. कारोबारी सुगमता, अर्थव्यवस्था के ठोस आधार, नीतिगत सुधार, कराधान में बेहतरी और स्थिरता जैसे कारकों की वजह से विदेशी निवेशक और कंपनियां भारत के प्रति आकर्षित हुई हैं. यही कारण है कि कोरोना काल में भी भारत में बड़ी मात्रा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है.
प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया है कि उत्पादन और निर्यात में बेहतरी हमारे देश की आपूर्ति शृंखला की मजबूती को भी दर्शाती है. यह भी ध्यान रखना चाहिए कि निर्यात में यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है, जब वैश्विक स्तर पर कई कारणों से आपूर्ति में व्यवधान है तथा माल ढुलाई में मुश्किलें आ रही हैं.
रूस-यूक्रेन संकट ने स्थिति को और चिंताजनक बना दिया है. निश्चित रूप से इसके नकारात्मक प्रभाव भारत पर भी हो रहे हैं और आगे की स्थिति के बारे में कुछ निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है, लेकिन एक पक्ष यह भी है कि अन्य कई उत्पादों के साथ अनाज, दवा जैसी भारतीय वस्तुओं के लिए बाजार भी बढ़ रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने इस विशेष आयाम को भी अभिव्यक्त किया है कि निर्यात वृद्धि में आर्थिक गतिविधियों में लगे हर समूह का योगदान रहा है. यदि पूरा देश स्थानीय उत्पादों का उपभोग करे और उनकी गुणवत्ता बढ़ाकर दुनिया के सामने रखे, तो निर्माण एवं निर्यात के स्तर में भारत बड़ी छलांग लगा सकता है.