स्वच्छ ऊर्जा में बढ़ोतरी

स्वच्छ ऊर्जा की स्थापित क्षमता में बीते नौ वर्षों में 138 प्रतिशत की बड़ी बढ़ोतरी हुई है.

By संपादकीय | January 30, 2024 2:27 AM

जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों तथा प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए स्वच्छ ऊर्जा का अधिकाधिक उत्पादन आवश्यक है. स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन और उपभोग में वृद्धि से जीवाश्म ईंधनों पर हमारी निर्भरता भी घटेगी, जिसके बड़े आर्थिक लाभ भी हैं. इस संबंध में भारत निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार, स्वच्छ ऊर्जा की स्थापित क्षमता में बीते नौ वर्षों में 138 प्रतिशत की बड़ी बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2023 में स्वच्छ ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता 180 गीगावाट के स्तर पर पहुंच गयी. वर्ष 2014 में यह क्षमता 75.5 गीगावाट थी. हमारी कुल स्थापित विद्युत क्षमता में स्वच्छ ऊर्जा का अनुपात 2014-15 के 31 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 43 प्रतिशत हो गया. भारत सरकार ने इस अनुपात को 2030 तक तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसे प्राप्त करने के लिए हर वर्ष 50 गीगावाट हरित ऊर्जा क्षमता जोड़ी जायेगी. भारत में सौर, पवन और जल विद्युत उत्पादन की बड़ी संभावनाएं हैं, जिन्हें साकार करने के लिए बड़े निवेश की आवश्यकता है. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के एक आकलन के अनुसार, स्वच्छ ऊर्जा के सुचारू वितरण के लिए ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए 2027 तक 4.75 लाख करोड़ रुपये निवेश करने होंगे. इस योजना के तहत 170 ट्रांसमिशन योजनाओं पर काम किया जायेगा.

कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूर्योदय योजना की घोषणा की है, जिसके अन्तर्गत कम आय वाले परिवारों को सोलर पैनल लगाने के लिए सहायता दी जायेगी. योजना के पहले चरण में एक करोड़ परिवारों को लाभ मिलने की आशा है. यदि घरों, कार्यालयों, संस्थानों आदि में सीमित क्षमता के सोलर पैनल लगाये जायें, तो ट्रांसमिशन परियोजना पर दबाव कुछ कम हो सकता है. पवन और जल ऊर्जा के लिए बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होती है. हम अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के 80 प्रतिशत से अधिक हिस्से को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर हैं. यदि इस आयात में कमी आती है, तो जीवाश्म ईंधन का उपयोग भी घटेगा और आयात पर होने वाले बड़े व्यय का भर भी कम होगा. इसलिए स्वच्छ ऊर्जा में होने वाले निवेश से भविष्य में हम बड़े लाभ उठा सकेंगे. दुबई में हुए जलवायु सम्मेलन में प्रकाशित वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में भारत शीर्ष के सात देशों में शामिल किया गया है. वर्ष 2014 में इस सूचकांक में भारत 31वें स्थान पर था. भारत ने जलवायु सम्मेलन को जानकारी दी है कि 2021-22 में भारत ने 13.35 लाख करोड़ रुपये जलवायु प्रयासों पर खर्च किया है.

Next Article

Exit mobile version