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प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि

Foreign Direct Investment : दरअसल अप्रैल-जून तिमाही में ही एफडीआइ 47.8 प्रतिशत बढ़कर 16.17 अरब डॉलर हो गया था. जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 9.12 अरब डॉलर था. यानी वित्त वर्ष की शुरुआत से ही भारत विदेशी निवेशकों के आकर्षण का केंद्र रहा.

Foreign Direct Investment : अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की चुनौतियों के बीच वित्त वर्ष की पहली छमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) में 45 प्रतिशत की वृद्धि उम्मीद जगाती है. जुलाई-सितंबर की तिमाही में आर्थिक विकास दर में कमी आयी है. विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजारों से हाथ खींच रहे हैं. ऐसे में, अप्रैल से सितंबर तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ कर 29.79 अरब डॉलर हो जाना भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति वैश्विक आकर्षण के बारे में बताता है.

जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में एफडीआइ 20.5 अरब डॉलर था. वैसे भी शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेश बढ़ने की तुलना में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि को अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह निवेश स्थायी होता है और इसका अर्थव्यवस्था पर बेहतर प्रभाव पड़ता है. जिन क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ा, वे हैं-सेवा क्षेत्र, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, टेलीकॉम, ऑटोमोबाइल, केमिकल और फार्मा क्षेत्र. इस दौरान अमेरिका से एफडीआइ पिछले साल के दो अरब डॉलर से बढ़कर 2.57 अरब डॉलर, मॉरीशस से विगत वर्ष के 2.95 अरब डॉलर के मुकाबले 5.34 अरब डॉलर, सिंगापुर से 5.22 अरब डॉलर के मुकाबले 7.53 अरब डॉलर और संयुक्त अरब अमीरात से 1.1 अरब डॉलर के मुकाबले 3. 47 अरब डॉलर रहा. हालांकि ब्रिटेन और जापान से एफडीआइ प्रवाह में गिरावट आयी.

महाराष्ट्र को सर्वाधिक 13.55 अरब डॉलर का एफडीआइ प्राप्त हुआ. उसके बाद कर्नाटक, तेलंगाना और गुजरात का स्थान रहा. उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ( डीपीआइआइटी) के आंकड़ों के मुताबिक, कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी, जिनमें इक्विटी प्रवाह, पुनर्निवेशित आय और अन्य पूंजी शामिल हैं, 28 प्रतिशत बढ़कर 42.1 अरब डॉलर हो गया. जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में यह 33.12 अरब डॉलर था.

दरअसल अप्रैल-जून तिमाही में ही एफडीआइ 47.8 प्रतिशत बढ़कर 16.17 अरब डॉलर हो गया था. जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 9.12 अरब डॉलर था. यानी वित्त वर्ष की शुरुआत से ही भारत विदेशी निवेशकों के आकर्षण का केंद्र रहा. विदेशी निवेश किसी देश की आर्थिक मजबूती और राजनीतिक स्थिरता पर निर्भर करता है. लिहाजा अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन दूसरी तिमाही में उम्मीद के अनुकूल भले न हो, पर केंद्र में एक मजबूत सरकार तथा चुनाव के बाद अब महाराष्ट्र में भी सरकार गठन की तैयारियों के बीच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के क्षेत्र में संभावनाएं और बढ़ेंगी.

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