रेल राजस्व में वृद्धि
आंकड़े इंगित कर रहे हैं कि हाल के वर्षों में रेल के वित्तीय स्वास्थ्य को ठीक करने तथा उसके सर्वांगीण विकास के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं.
भारतीय रेल को वित्त वर्ष 2022-23 में 2.4 लाख करोड़ के राजस्व की प्राप्ति हुई है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है. यात्री राजस्व में 61 प्रतिशत की बड़ी बढ़ोतरी हुई है, जो अब तक का सर्वाधिक है. माल ढुलाई से हासिल होने वाले राजस्व में भी लगभग 15 प्रतिशत की बढ़त हुई है. तीन साल के बाद ऐसा हो पाया है कि रेल अपने पेंशन खर्च को पूरी तरह जुटा सका है.
अपने सभी राजस्व खर्चों को पूरा करने के बाद भारतीय रेल ने आंतरिक स्रोतों से 3,200 करोड़ की राशि पूंजी निवेश के लिए भी जुटाई है. ये आंकड़े इंगित कर रहे हैं कि हाल के वर्षों में रेल के वित्तीय स्वास्थ्य को ठीक करने तथा उसके सर्वांगीण विकास के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं. रेल मंत्रालय ने यह जानकारी भी दी है कि रेल नेटवर्क की क्षमता में विस्तार के लिए एक लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.
उल्लेखनीय है कि बीते वित्त वर्ष में 5,243 किलोमीटर लंबी नयी पटरियां बिछाने की योजनाओं को मंजूरी दी गयी है. यह भी अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. साथ ही, 6,657 करोड़ रुपये की लागत से 6,565 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग का विद्युतीकरण किया गया है. उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने वर्तमान वित्त वर्ष 2023-24 में सौ प्रतिशत विद्युतीकरण करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.
माल ढुलाई के लिए विशेष गलियारे बनाने तथा मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में भी अच्छी प्रगति हुई है. ऐतिहासिक रूप से पूर्वोत्तर के राज्यों में रेल मार्गों का विस्तार अपेक्षाकृत बहुत कम हुआ था. कुछ वर्षों से विशेष ध्यान इस क्षेत्र में है. कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर की अनेक रेल एवं इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को हरी झंडी दिखायी है.
इनके पूरा होने से पूर्वोत्तर में आपसी और शेष भारत से जुड़ाव तो बढ़ेगा ही, साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी. भारतीय रेल हमारी अर्थव्यवस्था के लिए जीवन रेखा तो है ही, इसका सांस्कृतिक योगदान भी महत्वपूर्ण है. साथ ही, यह दुनिया का सबसे बड़ा रोजगार दाता है. इसका विस्तार देश के सर्वांगीण विकास के साथ जुड़ा हुआ है.
रेल यात्रा को गति प्रदान करने के साथ-साथ सुरक्षित बनाने के लिए उपाय किये जा रहे हैं. केंद्रीय बजट में रेल के लिए 2.41 लाख करोड़ रुपये का भारी आवंटन किया गया है. वर्ष 2030 तक भारतीय रेल को दुनिया का सबसे बड़ा हरित रेल नेटवर्क बनाने का महत्वाकांक्षी संकल्प भी लिया गया है.