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सौर ऊर्जा में बढ़ोतरी

इस वर्ष की पहली छमाही में भारत ने अपनी सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता में 15 गीगावाट जोड़ा है, जो एक रिकॉर्ड है. पिछले साल की इसी अवधि से तुलना करें, तो यह 282 प्रतिशत की बहुत बड़ी बढ़ोतरी है. इसके साथ ही जून 2024 में देश की कुल सौर ऊर्जा क्षमता 87.2 गीगावाट हो गयी है, जिसमें लगभग 87 प्रतिशत हिस्सा ऊर्जा परियोजनाओं तथा छतों पर लगे पैनलों से होने वाले उत्पादन का हिस्सा 13 प्रतिशत से कुछ अधिक है.

By संपादकीय | August 28, 2024 7:53 AM
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solar energy: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा से ही स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन एवं उपभोग को बढ़ाने को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है. देश में 2070 तक उत्सर्जन को शून्य के स्तर तक लाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए यह आवश्यक है कि हम विभिन्न स्रोतों से पैदा होने वाले स्वच्छ ऊर्जा का अधिक से अधिक उत्पादन करें. इस पर जोर देने का ही नतीजा है कि भारत के कुल ऊर्जा क्षमता में सौर ऊर्जा का हिस्सा 19.5 प्रतिशत हो चुका है. यदि स्वच्छ ऊर्जा क्षमता की बात करें, तो उसमें यह हिस्सा 44 प्रतिशत से अधिक है.

इस वर्ष के बजट में एक लाख करोड़ रुपये के एक अनुसंधान कोष की स्थापना की गयी है, जिसके अंतर्गत रक्षा, ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र की निजी कंपनियों को स्वदेशी तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पूंजी उपलब्ध करायी जायेगी. जनवरी 2023 में ‘नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ का गठन किया गया, जिसके लिए पांच वर्षों में लगभग 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य तय किया गया है. बजट में सोलर सेल और पैनल के लिए जरूरी मुख्य चीजों पर सीमा शुल्क की छूट देने से उत्पादन खर्च में कमी आयेगी. प्रधानमंत्री सूर्यघर पहल के अंतर्गत 1.3 करोड़ से अधिक पंजीकरण तथा 14 लाख से अधिक आवेदन जैसे आंकड़े इंगित करते हैं कि घरों पर सोलर पैनल लगाने में तेजी आयेगी. क्रिटिकल मिनरल्स मिशन से सौर, पवन, इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी जैसे स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र के लिए आपूर्ति शृंखला को सुरक्षित बनाने में बड़ी मदद मिलेगी.

भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट हरित ऊर्जा उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है. स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि 2014 से अब तक उत्पादन में 30 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सक्रियता बढ़ी है. प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस जलवायु सम्मेलन के बाद फ्रांस के साथ मिलकर सौर गठबंधन का गठन किया था, जिसमें सवा सौ से अधिक देश जुड़ चुके हैं. सौर ऊर्जा के साथ-साथ पवन ऊर्जा, हाइड्रोजन ऊर्जा, एथेनॉल, बायोमास, जल विद्युत संयंत्र, कचरे से ऊर्जा निकालने आदि के संबंध में भी गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं. निश्चित ही स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में यह एक उत्साहजनक परिदृश्य है.

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