महिला करदाताओं में वृद्धि
Women Taxpayers : लद्दाख जैसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश में महिला करदाताओं की संख्या तुलनात्मक रूप से कम है, लेकिन इस दौरान वृद्धि दर सबसे ज्यादा रही. वर्ष 2019-20 में वहां मात्र 30 महिलाओं ने आइटीआर फाइल किया था, जबकि 2023-24 में यह संख्या सात गुना बढ़कर 205 हो गयी. दूसरी ओर, चंडीगढ़ में इनकी संख्या में मामूली गिरावट देखी गयी है.
Women Taxpayers : देश में महिला करदाताओं की संख्या में 25 फीसदी की वृद्धि देश की अर्थव्यवस्था में इनकी बढ़ती भागीदारी के बारे में बताती है. वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, असेसमेंट ईयर 2019-20 में जहां देश भर में 1.83 करोड़ महिलाओं ने आइटी रिटर्न दाखिल किया था, वहीं 2023-24 में यह संख्या 25 प्रतिशत बढ़कर 2.29 करोड़ हो गयी. आइटी रिटर्न दाखिल करने वाली महिलाओं की संख्या के हिसाब से महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है और उसके बाद गुजरात और उत्तर प्रदेश का स्थान है. कर्नाटक (14.30 लाख) और पंजाब (13.22 लाख) भी शीर्ष पांच राज्यों में शामिल हैं.
लद्दाख जैसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश में महिला करदाताओं की संख्या तुलनात्मक रूप से कम है, लेकिन इस दौरान वृद्धि दर सबसे ज्यादा रही. वर्ष 2019-20 में वहां मात्र 30 महिलाओं ने आइटीआर फाइल किया था, जबकि 2023-24 में यह संख्या सात गुना बढ़कर 205 हो गयी. दूसरी ओर, चंडीगढ़ में इनकी संख्या में मामूली गिरावट देखी गयी है. वित्त मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि महाराष्ट्र में महिला आइटीआर फाइल करने वालों में सबसे अधिक 6.88 लाख की वृद्धि देखी गयी और यह 2019-20 के 29.94 लाख से बढ़कर 2023-24 में 36.83 लाख हो गयी. इसके बाद उत्तर प्रदेश का स्थान है, जहां 4.62 लाख महिलाएं आइटीआर वेब में जुड़ी हैं.
वर्ष 2019-20 में उत्तर प्रदेश की 15.81 लाख महिलाओं ने आइटी रिटर्न दाखिल किया था, लेकिन 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 20.43 लाख हो गयी. गुजरात 4.41 लाख महिला आइटीआर फाइलर्स के साथ तीसरे स्थान पर है, जो कि 24 प्रतिशत की वृद्धि है. हालांकि इस दौरान देश में आइटीआर दाखिल करने वालों की कुल संख्या भी तेजी से बढ़ी है. असेसमेंट ईयर 2023-24 में रिकॉर्ड 6.77 करोड़ आइटीआर फाइल किये गये, जिससे यह पता चलता है कि लोगों की आय और टैक्स में भागीदारी, दोनों बढ़ी है.
आइटीआर फाइल करने वालों की बढ़ती संख्या बताती है कि देश में आय का स्तर बेहतर हो रहा है. जबकि इस मोर्चे पर महिलाओं की बढ़ती भागीदारी उनकी आर्थिक स्वतंत्रता को रेखांकित करने के साथ-साथ यह भी बताती है कि कर प्रणाली में वे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. महिला करदाताओं की संख्या में यह वृद्धि महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक प्रगति का प्रतीक है, जिससे यह जाहिर होता है कि वित्तीय निर्णयों में वे पहले से अधिक भागीदारी निभा रही हैं.