21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मानसिक स्वास्थ्य पर बढ़े जागरूकता

मानसिक विकार मानसिक स्वास्थ्य की ऐसी स्थिति है, जिसमें सोच तथा भावनात्मक व्यवहार पर असर पड़ता है. मानसिक स्वास्थ्य विकार जैविक, मनोवैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारणों से उत्पन्न होते हैं.

मानसिक स्वास्थ्य अब भी एक उपेक्षित मुद्दा ही है, पर कोरोना महामारी के बाद इस पर काफी चर्चा हुई है. साल 2019 में हर आठ में से एक व्यक्ति तथा दुनियाभर में 97 करोड़ लोग मानसिक विकार के साथ जी रहे थे. इसमें चिंता और अवसाद सबसे आम थे. साल 2020 में महामारी के कारण चिंता और अवसाद से पीड़ित लोगों की संख्या में क्रमशः 26 और 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. मानसिक स्वास्थ्य के बारे में आम लोगों के बीच गंभीर गलतफहमी है तथा इसकी रोकथाम और उपचार के विकल्पों तक पहुंच बहुत कम है.

हमें पेट या कमर में दर्द होता है, तो हम डॉक्टर के पास जाते हैं, लेकिन जब हम भावनात्मक रूप से पीड़ित होते हैं, तो हम मदद मांगने से क्यों कतराते हैं? वास्तव में हम उन लोगों के बारे में तुरंत ही अपनी राय बना लेते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए पेशेवर मदद लेते हैं. मानसिक विकार मानसिक स्वास्थ्य की ऐसी स्थिति है, जिसमें सोच तथा भावनात्मक व्यवहार पर असर पड़ता है. मानसिक स्वास्थ्य विकार जैविक, मनोवैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारणों से उत्पन्न होते हैं.

अवसाद वैश्विक विकलांगता के सबसे बड़े योगदानकर्ता के रूप में उभरा है. गंभीर डिप्रेशन आत्महत्या का भी कारण बन सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हर वर्ष आठ लाख से अधिक लोगों की मृत्यु आत्महत्या के कारण होती है. किशोरों एवं युवाओं (15-29 वर्ष आयु वर्ग) में आत्महत्या मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण बन गया है. अच्छा मानसिक स्वास्थ्य बच्चों के विकास और उनके पूरी क्षमता तक पहुंचने के लिए आवश्यक है. माता-पिता, समुदाय तथा जिम्मेदार नागरिक के रूप में यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि हम बच्चों को एक ऐसा वातावरण प्रदान करें, जो उनके लिए सुरक्षित और उनकी उन्नति में सहायक हो.

किशोरावस्था एक संवेदनशील अवस्था होती है. इस दौरान बच्चे नकारात्मक सामाजिक नियमों तथा लैंगिक भेदभावों से प्रभावित हो सकते हैं. लड़कों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी भावनाओं पर काबू रखें और आंसू न बहाएं, जबकि लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव उनके आत्मसम्मान को कम करते हैं और उनकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाते हैं. ये सभी तनाव, चिंता और अवसाद को ट्रिगर कर सकते हैं.

हाल के वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों की सोच और व्यवहार में परिवर्तन आये हैं, लेकिन मानसिक बीमारी को लेकर नकारात्मक मान्यताएं अभी भी हैं, जिस कारण लोग असहज महसूस कर सकते हैं तथा उन्हें आवश्यक सहयोग और सहायता प्राप्त करने में परेशानी होती है. जागरूकता तथा समझ की कमी बच्चों एवं युवाओं को अपने परिवार और दोस्तों के साथ संबंधों को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है तथा उन्हें स्कूलों, खेलों और सामाजिक गतिविधियों से दूर कर सकती है.

मानसिक स्वास्थ्य के बारे में कई भ्रांतियां हैं, जैसे- मानसिक स्वास्थ्य विकार वाले व्यक्ति की बुद्धि कम होती है या अच्छे ग्रेड और कई दोस्त वाले किशोर कभी अवसादग्रस्त नहीं हो सकते. यह भी माना जाता है कि किसी व्यक्ति को मानसिक विकार से बचाने के लिए कुछ भी नहीं किया जा सकता है. इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए प्रयास होने चाहिए.

समावेशी समाज के विचार को बल देने के लिए मानसिक बीमारी के रोकथाम, प्रोत्साहन तथा देखभाल के लिए सभी क्षेत्रों को आगे बढ़ कर बच्चों एवं किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य में निवेश की तत्काल आवश्यकता है. माता-पिता को अपने बच्चों से बात करने की आवश्यकता है, ताकि वे अपने बच्चों के जीवन से नकारात्मक कारकों को दूर कर सकें तथा उन्हें अपने दोस्तों के साथ सुरक्षात्मक संबंधों में शामिल होने में मदद कर सकें.

सकारात्मक पालन-पोषण के साथ स्कूलों को गुणवत्तापूर्ण सेवाओं और सकारात्मक संबंधों के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य को बल देने की भी आवश्यकता है. खेल, नाटक, संगीत और पेंटिंग जैसी रचनात्मक गतिविधियां बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं, इसलिए बच्चों को इनमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों की समय रहते पहचान करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा सकता है, ताकि वे परेशानियों की पहचान कर आवश्यक होने पर चिकित्सा हेतु सलाह दे सकें. स्कूल और घर सुरक्षित जगह होना चाहिए, जहां बच्चे अपनी समस्याओं पर खुल कर चर्चा कर सकें.

भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े मुद्दे, इसके उपचार तथा इससे जुड़ी गलत धारणाओं को दूर करने के लिए पहले से ही एक मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम है. हमें मानसिक बीमारियों से जड़े मुद्दों के प्रति चुप्पी तोड़ने की जरूरत है. इसके लिए आवश्यक है कि मानसिक बीमारियों से जुड़ी गलत धारणाओं को दूर किया जाए तथा मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समझ को बेहतर किया जाए. हमें हमारे मानसिक स्वास्थ्य को संतुलन में रखने के लिए कुछ समय जरूर निकालना चाहिए, ताकि हम खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से शांत रख सकें. सबसे महत्वपूर्ण है कि मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करने से झिझकना नहीं चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें