पीएफ पर बढ़ी ब्याज दर
आज के समय में लोगों के पास निवेश के बहुत सारे विकल्प उपलब्ध हैं. लेकिन पीएफ को एक फायदेमंद, लोकप्रिय, विश्वसनीय और सुरक्षित निवेश समझा जाता है
केंद्र सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि योजना के तहत ब्याज दर में आंशिक वृद्धि को मंजूरी दे दी है. यह वृद्धि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान जमा राशि से लागू होगी. पीएफ पर अब 8.15 प्रतिशत ब्याज दिया जायेगा. पिछले वर्ष यह 8.10 प्रतिशत था. इस घोषणा के बाद विभिन्न मीडिया माध्यमों में कर्मचारियों को फायदे की गणना समझायी जा रही है. दरअसल, सरकार ने पीएफ पर ब्याज वृद्धि के जिस प्रस्ताव को मंजूरी दी है, वह इसी वर्ष मार्च में आया था.
तब कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में पीएफ के ट्रस्टी बोर्ड ने श्रम और रोजगार मंत्रालय के समक्ष ब्याज दर में मामूली वृद्धि की सिफारिश की थी. इसके बाद यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय के पास गया और अब इस वृद्धि पर मुहर लग गयी है. कर्मचारी भविष्य निधि योजना भारत में सरकारी या निजी संस्थाओं में काम करने वाले कर्मचारियों और उनके परिवार की आर्थिक सुरक्षा के उद्देश्य से बनायी गयी एक योजना है जो वर्ष 1952 में लागू की गयी थी.
यह एक कोष है जहां कर्मचारियों का पैसा संग्रहित रहता है और उन्हें उनकी सेवानिवृत्ति के समय या विशेष परिस्थितियों में उससे पहले भी लौटा दिया जाता है. नियम के अनुसार, कर्मचारी जितना पैसा जमा करते हैं, उतना ही पैसा उसके नियोक्ताओं को भी कर्मचारी के खाते में जमा करना होता है. इस कोष की राशि को निवेश किया जाता है. कर्मचारियों को ब्याज मिलता है.
कानूनी तौर पर किसी भी ऐसे कार्यालय या व्यवसाय को पीएफ की व्यवस्था का पालन करना होता है जहां 20 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हों. देश में अभी छह करोड़ से ज्यादा कर्मचारी पीएफ योजना से जुड़े हैं. आज के समय में लोगों के पास निवेश के बहुत सारे विकल्प उपलब्ध हैं. लेकिन पीएफ को एक फायदेमंद, लोकप्रिय, विश्वसनीय और सुरक्षित निवेश समझा जाता है, क्योंकि एक तो इसमें बैंक आदि से ज्यादा ब्याज मिलता है, वहीं सरकार के जुड़े होने से गड़बड़ी की आशंका कम रहती है.
लेकिन पिछले कुछ समय से पीएफ को लेकर गाहे-बगाहे चिंता के भी स्वर सुनाई देते हैं. दरअसल पिछले कई वर्षों से वित्त मंत्रालय पीएफ के ऊंचे ब्याज पर सवाल उठाते हुए इसे आठ प्रतिशत तक घटाने की कोशिश कर रहा है. वर्ष 2021-22 में पीएफ पर ब्याज घटकर 8.1 प्रतिशत रह गया था, जो चार दशकों में सबसे कम था. इसकी तुलना में 1990 से 1999 तक की अवधि में पीएफ पर 12 फीसदी ब्याज मिलता था, जो अब तक का सर्वाधिक दर था. हर कर्मचारी पीएफ पर ब्याज दर में वृद्धि की उम्मीद लगाये रहता है. इससे उसके भविष्य के सपने जुड़े होते हैं.