बढ़े पेट्रोलियम उत्पाद
फिलहाल भारत की तेल शोधन क्षमता 250 मिलियन मीट्रिक टन सालाना है, जिसे तेजी से 450 मिलियन मीट्रिक टन के स्तर पर ले जाने के प्रयास हो रहे है.
भारत की विकास आकांक्षाओं को साकार करने के लिए बड़ी मात्रा में ऊर्जा उपलब्धता की आवश्यकता है. इसे बढ़ाने के लिए तथा पर्यावरण से संबंधित चिंताओं के निराकरण के लिए स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन में निरंतर वृद्धि की जा रही है. लेकिन हमें पेट्रोलियम उत्पादों की आवश्यकता भी है. इसके लिए हम मुख्य रूप से आयात पर निर्भर हैं, लेकिन हमारे देश में भी तेल और गैस के बड़े भंडार मौजूद हैं, जिनका खनन किया जाना चाहिए.
लेकिन भंडारण क्षेत्र के बहुत बड़े हिस्से में कई नियमों एवं प्रावधानों के तहत खनन पर प्रतिबंध था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जानकारी दी है कि सरकार द्वारा इस क्षेत्र के 10 लाख वर्ग किलोमीटर हिस्से में तेल और गैस खोजने और उनका खनन करने की अनुमति दे दी गयी है. यह प्रतिबंधित क्षेत्र का 98 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है. भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकता का लगभग 80 प्रतिशत भाग विभिन्न देशों से आयात करता है.
हमारे कुल आयात व्यय में इन वस्तुओं के मूल्यों का बहुत बड़ा हिस्सा है. यदि हमारे देश में स्वच्छ ऊर्जा का विस्तार भी तीव्र गति से होता रहे तथा जीवाश्म आधारित ईंधनों के मामले में भी हम आत्मनिर्भर हो जाएं, तो हमारे देश को विकसित अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में शामिल होने से कोई भी शक्ति नहीं रोक पायेगी. ऊर्जा आज के वैश्विक परिदृश्य में भू-राजनीतिक पैंतरों, कूटनीतिक चालों और युद्धों की बड़ी वजह भी है.
विभिन्न देश दबाव की रणनीति में भी इस कारक का उपयोग करते हैं. अगर वर्तमान स्थिति बरकरार रही, तो हमारी ऊर्जा आवश्यकता जैसे-जैसे बढ़ती जायेगी, वैसे-वैसे हमारा आयात व्यय भी बढ़ेगा और अंतरराष्ट्रीय राजनीति की हलचलों का दबाव भी. प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया है कि वैश्विक तेल मांग में भारत की वर्तमान हिस्सेदारी पांच प्रतिशत है, जिसके 11 प्रतिशत होने का अनुमान है.
इसके साथ, भारत की गैस मांग में 500 प्रतिशत की बड़ी बढ़ोतरी का आकलन किया गया है. फिलहाल भारत की तेल शोधन क्षमता 250 मिलियन मीट्रिक टन सालाना है, जिसे तेजी से 450 मिलियन मीट्रिक टन के स्तर पर ले जाने के प्रयास हो रहे हैं.
नये खनन क्षेत्रों के विकास से शोधित तेल और गैस उत्पादन को बहुत बढ़ावा मिलेगा. खोज, खनन और शोधन की संभावनाओं ने इस क्षेत्र में व्यापक निवेश का अवसर प्रदान किया है. देश के पहले भारत ऊर्जा सप्ताह का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने निवेशकों को इस स्थिति में भागीदार होने का आमंत्रण दिया है.