17.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बढ़ता कृषि निर्यात

यदि बाजार में खेती के उत्पादों की जगह बढ़ती है, तो इससे किसानों की आर्थिक स्थिति भी बेहतर होगी तथा खेती में तकनीक एवं नये अनुसंधानों को अपनाने की प्रवृत्ति भी बढ़ेगी.

वर्तमान कोरोना काल की अप्रत्याशित चुनौतियों के बीच यह बहुत संतोषजनक समाचार है कि कृषि उत्पादों के निर्यात में मार्च और जून की अवधि में पिछले वर्ष के इन्हीं महीनों की तुलना में 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. यह वृद्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तरह हमारे निर्यात में भी कमी आयी है. पिछले वर्ष मार्च से जून के बीच 20734 करोड़ रुपये मूल्य के कृषि उत्पाद बाहर भेजे गये थे, जबकि इस वर्ष इसी अवधि में 25,552 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ है. उल्लेखनीय है कि इन महीनों में पूरी तरह लॉकडाउन चल रहा था, लेकिन किसानों और कारोबारियों की मेहनत की वजह से हम यह नतीजा हासिल कर सके हैं.

निर्यात का बढ़ना व्यावसायिक दृष्टि से उत्साहवर्द्धक तो है ही, इसका मानवीय पहलू भी विशिष्ट है. कोरोना संक्रमण के गंभीर दौर में भी भारत ने वैश्विक खाद्य आपूर्ति शृंखला को बरकरार रखने में बड़ी भूमिका निभायी है. लॉकडाउन के कारण विभिन्न गतिविधियों में रुकावट से कई देशों में खाद्यान्न का संकट भी पैदा हुआ था और यह अभी भी जारी है. इस परेशानी से अनेक विकसित देश भी जूझ रहे थे.

ऐसे में भारतीय निर्यात ने अपनी क्षमता के अनुसार इस कमी को पूरा करने का भरसक प्रयास किया है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कृषि उत्पादों की मात्रा और गुणवत्ता के अनुरूप निर्यात के लिए थोक में भंडारण करने के लिए विशेष निर्यात प्रोन्नति फोरमों की स्थापना की है. कोरोना काल में किसानों ने उपज और अन्य वस्तुओं का उत्पादन बढ़ा कर फिर इंगित किया है कि संकट के समय ग्रामीण भारत अपनी अनुकरणीय भूमिका निभाने के लिए हमेशा तैयार है.

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए दीर्घकालिक कोष की घोषणा की. कुछ समय पहले खेती को व्यवस्थित व्यवसाय में बदलने के उद्देश्य से अध्यादेश भी जारी किये गये. समर्थन मूल्यों में बढ़ोतरी, बीमा, प्रोत्साहन राशि, मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने से जुड़े प्रयासों ने किसानों का हौसला बढ़ाया है.

खेती में लगे लोगों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. देश के औद्योगिक विकास में ग्रामीण भारत न केवल कच्चा माल और श्रम से योगदान करता है, बल्कि वह अपनी मांग की वजह से बड़ा बाजार भी है. यदि घरेलू और विदेशी बाजार में खेती के उत्पादों की जगह बढ़ती है, तो इससे किसानों की आर्थिक स्थिति भी बेहतर होगी तथा खेती में तकनीक एवं नये अनुसंधानों को अपनाने की प्रवृत्ति भी बढ़ेगी.

कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने नियामक संस्था भी स्थापित की है. जानकारों का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित होने तथा भंडारण और संवर्धन की बेहतरी से उपज और उत्पादन को बाजार तक पहुंचाने में बड़ी सहूलियत होगी. आत्मनिर्भरता के संकल्प को साकार करने में कृषि और ग्रामीण भारत की बड़ी भूमिका है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें