हार्ट अटैक के बढ़ते मामले

विशेषज्ञों की राय में आनुवंशिक कारणों से भारतीयों में हृदय रोग होने की आशंका अधिक रहती है और पाश्चात्य जीवन शैली अपनाने से जोखिम और बढ़ा है.

By संपादकीय | December 25, 2023 5:50 AM

कुछ समय पहले तक दिल का दौरा पड़ने से 40 साल से कम आयु के लोगों की मौत होना असामान्य घटना थी, पर अब ऐसे मामले लगातार सामने आने लगे हैं. यहां तक कि हर तरह से स्वस्थ दिखने वाले 50-55 साल के लोग भी हार्ट अटैक के शिकार होने लगे हैं. ऐसी घटनाएं भारत समेत दुनिया के कई देशों में हो रही हैं. यदि हम 20 से 40 साल तक के लोगों में हार्ट अटैक के मामलों से जुड़े आंकड़े देखें, तो 2000 से 2016 के बीच इस आयु वर्ग में दिल का दौरा पड़ने की दर में हर साल दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई के एक अस्पताल में बीते दो माह में हार्ट अटैक के शिकार लोगों की भर्ती में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी है. सबसे चिंता की बात यह है कि कई रोगियों की आयु 25 साल के आसपास है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में दुनिया में 1.70 करोड़ लोगों की मौत हृदय रोगों से हुई थी, जिनमें 85 प्रतिशत को दिल का दौरा पड़ा था. इनमें से एक-चौथाई मौतें निम्न और मध्य आय वाले देशों में दर्ज की गयी थी. विशेषज्ञों की राय में आनुवंशिक कारणों से भारतीयों में हृदय रोग होने की आशंका अधिक रहती है और पाश्चात्य जीवन शैली अपनाने से जोखिम और बढ़ा है.

उल्लेखनीय है कि दिल का दौरा तब पड़ता है, जब ह्रदय को अचानक समुचित रूप से खून की आपूर्ति बंद हो जाती है, जिसके कारण हृदय की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. चिकित्सक हमेशा से सलाह देते रहे हैं कि हमें नियमित रूप से अपने शरीर की मेडिकल जांच कराते रहना चाहिए, ताकि समय से रोग या उसके लक्षणों का पता चल सके. इस सलाह को मानना हमें बचा सकता है. हमें ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहना चाहिए. आम तौर पर हम शरीर द्वारा दिये जा रहे संकेतों को अनदेखा करते हैं. ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर के साथ तो यह भी है कि प्रारंभ में इनकी समस्याओं के लक्षण नहीं दिखते. जब पता चलता है, तो देर हो जाती है. डॉक्टरों ने यह भी पाया है कि कई लोग पहले तो जीवन शैली में सुधार करते हैं, व्यायाम पर ध्यान देते हैं, खाने-पीने का ध्यान रखते हैं, पर फिर धीरे धीरे लापरवाह होने लगते हैं. छाती में हल्का या तेज दर्द होना हृदयाघात का ठोस संकेत हो सकता है. इसकी अनदेखी नहीं होनी चाहिए और तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. अब जब हार्ट अटैक के 20 प्रतिशत शिकार 40 साल से कम आयु के हैं, तो हमें चेत जाना चाहिए.

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