ऊर्जा की बढ़ती मांग
Demand For Energy : इस अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि बढ़ती मांग के दबाव को सौर एवं अन्य स्वच्छ ऊर्जाओं के उपयोग में बढ़ोतरी कर कम किया जा सकता है. साल 2027 तक देश की ऊर्जा क्षमता में लगभग 100 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा, 28 गीगावाट थर्मल और 13 गीगावाट हाइड्रोइलेक्ट्रिक क्षमता जोड़ने की योजना है.
Demand For Energy : भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास तथा शहरीकरण की प्रक्रिया के कारण ऊर्जा की मांग में लगातार बढ़ोतरी हुई है. गर्मी के मौसम में अधिक तापमान ने भी इसमें योगदान दिया है. अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के इंडिया इनर्जी एंड क्लाइमेट सेंटर ने एक अध्ययन में बताया है कि भारत में मई 2024 में बिजली की मांग 250 गीगावाट तक पहुंच गयी. दो वर्षों में ही 46 गीगावाट वृद्धि हुई है. इस वृद्धि में 2027 तक 50 से 80 गीगावाट और जुड़ सकते हैं.
इस अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि बढ़ती मांग के दबाव को सौर एवं अन्य स्वच्छ ऊर्जाओं के उपयोग में बढ़ोतरी कर कम किया जा सकता है. साल 2027 तक देश की ऊर्जा क्षमता में लगभग 100 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा, 28 गीगावाट थर्मल और 13 गीगावाट हाइड्रोइलेक्ट्रिक क्षमता जोड़ने की योजना है. यदि उत्पादन में अपेक्षित वृद्धि होती भी है, तब भी शाम एवं रात की आपूर्ति में आठ से बारह प्रतिशत तक की कमी रह जायेगी. इसके लिए ऊर्जा उत्पादन के प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता है. भारत ने बीते वर्षों में स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन एवं उपभोग में उत्साहजनक प्रदर्शन किया है.
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के साथ-साथ सौर ऊर्जा के पैनल लगाने के लिए भी प्रोत्साहन योजनाएं चलायी जा रही हैं. हाल में बजट में इस संबंध में आवंटन भी बढ़ाया गया है तथा आयात शुल्कों में रियायत भी दी गयी है. इन कोशिशों से हरित ऊर्जा में बढ़ोतरी तो होगी, पर बढ़ती मांग को देखते हुए इसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है. आज भी गर्मी के मौसम में बड़े शहरों में बिजली कटना सामान्य बात है. छोटे शहरों और कस्बों में तो नियमित कटौती होती है. कई जगह जेनरेटरों का इस्तेमाल होता है, जो प्रदूषण की एक वजह बनते हैं. एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह हासिल हुई है कि सौर और अन्य ऊर्जा के भंडारण मूल्यों को बहुत कम स्तर पर ला दिया गया है.
यह स्तर नये थर्मल संयंत्र लगाने के खर्च से भी कम है. वैश्विक स्तर पर भी ऐसे रुझान हैं क्योंकि खर्च घट रहा है और उत्पादन अधिक. इस स्थिति का लाभ भारत को उठाना चाहिए. वर्ष 2047 में बिजली की मांग चार गुना बढ़ जायेगी. उस वर्ष हम अपनी स्वतंत्रता की सौवीं वर्षगांठ मनायेंगे तथा विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने से संबंधित अपनी उपलब्धियों की समीक्षा करेंगे. विकास की गति को तीव्र करने तथा आबादी के बड़े हिस्से की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ऊर्जा उपलब्धता बढ़ाना आवश्यक है. स्वच्छ ऊर्जा का विकास जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने, पर्यावरण संरक्षण तथा प्रदूषण नियंत्रण के लिए भी जरूरी है.