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बढ़तीं स्वास्थ्य सुविधाएं

वर्ष 2013-14 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को 37,330 करोड़ रुपये का बजट आवंटन मिला था, जबकि 2024-25 में यह आवंटन 90,658.63 करोड़ रुपये हो गया है.

आगामी छह दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (एम्स) का उद्घाटन करेंगे. ये संस्थान जम्मू-कश्मीर के सांबा, गुजरात के राजकोट, पंजाब के बठिंडा, उत्तर प्रदेश के रायबरेली, आंध्र प्रदेश के मंगलागिरी तथा पश्चिम बंगाल के कल्याणी में स्थित हैं. प्रधानमंत्री मोदी अनेक मेडिकल कॉलेजों और नर्सिंग कॉलेजों का भी उद्घाटन करेंगे. इनके अलावा कई मेडिकल कॉलेजों तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की आधारशिला रखने का भी कार्यक्रम है. वे अनेक आइआइटी और आइआइएम संस्थानों को भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे. इन सुविधाओं में प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत निर्मित होने वाले क्रिटिकल केयर ब्लॉक, प्रयोगशालाएं आदि भी शामिल हैं. स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के साथ गुणवत्तापूर्ण भोजन के लिए पोषण अभियान तथा हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाना भी सरकार की मुख्य प्राथमिकताओं में हैं. कई राज्यों में खाद्य सुरक्षा से जुड़ी परियोजनाओं और सुविधाओं का उद्घाटन भी प्रधानमंत्री मोदी के हाथों होना है. इन सभी स्वास्थ्य परियोजनाओं पर 11,391.79 करोड़ रुपये की लागत आयी है.

भारत में स्वास्थ्य सेवा के विकास में इनकी अहम भूमिका होगी. स्वास्थ्य में सुधार के लिए मोदी सरकार ने बजट आवंटन में बड़ी बढ़ोतरी की है तथा हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाने का अभियान शुरू किया है. वर्ष 2013-14 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को 37,330 करोड़ रुपये का बजट आवंटन मिला था, जबकि 2024-25 में यह आवंटन 90,658.63 करोड़ रुपये हो गया है. वर्ष 2018 से प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत गरीब और निम्न आय वर्ग के हर परिवार को पांच लाख रुपये तक का वार्षिक बीमा मुहैया करा रही है और 10 हजार से अधिक जन औषधि केंद्र खोले गये हैं. मोदी सरकार ने आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी को भी बढ़ावा दिया है. साल 2019 में ई-संजीवनी नामक टेलीमेडिसिन सेवा का प्रारंभ किया गया, जिससे अब तक 19 करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं. निश्चित रूप से ऐसे प्रयासों से आबादी के बड़े हिस्से को लाभ हुआ, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं में विस्तार की गति बढ़ाने के साथ-साथ मौजूदा सुविधाओं में कमियों को ठीक किया जाना चाहिए. मेडिकल कॉलेजों और सरकारी अस्पतालों में कर्मियों की समुचित भर्ती पर ध्यान दिया जाना चाहिए. कुपोषण, डायरिया, मलेरिया, टीबी आदि समस्याओं के साथ कैंसर और प्रदूषणजनित रोगों की चुनौती बनी हुई है.

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