जून महीने में वाहनों की बिक्री में पिछले साल जून की तुलना में 27.16 फीसदी की बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था के लिए राहत की खबर है. वाहन विक्रेताओं के संगठन ने जानकारी दी है कि यह वृद्धि हर तरह के वाहनों में हुई है और पिछले माह कुल 15,50,855 वाहनों की बिक्री हुई है. वर्तमान वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में पिछले साल की पहली तिमाही से 64 फीसदी वाहन अधिक बिके हैं. उल्लेखनीय है कि लंबे समय से वैश्विक आपूर्ति शृंखला के समस्याओं की वजह से सेमीकंडक्टरों की उपलब्धता में बाधा आ रही है.
ऐसे में ग्राहकों को वाहनों की आपूर्ति समय से नहीं हो पा रही है. लेकिन जून में यात्री गाड़ियों की बिक्री में 40 फीसदी की बड़ी उछाल से यह संकेत मिलता है कि सेमीकंडक्टरों की कमी में सुधार आ रहा है. फिर भी बड़ी गाड़ियों के लिए प्रतीक्षा अवधि बहुत अधिक है. सेमीकंडक्टर आपूर्ति में बेहतरी के साथ बिक्री के आंकड़े भी बढ़ेंगे. वाहन उद्योग को आशा है कि अगले वर्ष के मध्य तक चिप की कमी दूर हो जायेगी. बिक्री बढ़ने के आंकड़ों और अपेक्षाओं के कारण शेयर बाजार में वाहन कंपनियों के शेयरों के दाम भी बढ़ रहे हैं. आम तौर पर शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी है, लेकिन वाहन उद्योग के शेयरों के सूचकांक में इस वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में 15.5 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है.
इसका अर्थ यह है कि निवेशकों को पूरा भरोसा है. वाहन बिक्री अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण सूचक होता है. हालांकि घरेलू और वैश्विक कारणों से अन्य कई देशों की तरह भारतीय अर्थव्यवस्था भी मंदी और महंगाई के दबाव में है, पर मानसून के गति पकड़ने, तेल पर शुल्क में कटौती जैसे कारकों ने वाहन उद्योग को बड़ा सहारा दिया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में लगातार कमी होते जाने का अनुमान लगाया जा रहा है. इससे भी वाहनों की खरीद बढ़ने की अपेक्षा है. बिक्री के संबंध में जानकारों का आकलन है कि इस वित्त वर्ष में व्यावसायिक वाहनों में 20 प्रतिशत, यात्री गाड़ियों में 20 प्रतिशत, दुपहिया वाहनों में 11 प्रतिशत और ट्रैक्टरों में चार प्रतिशत की वृद्धि होगी.
इससे स्पष्ट है कि अर्थव्यवस्था के सामने अनेक चुनौतियों के बावजूद बढ़ोतरी हो रही है तथा भविष्य को लेकर अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास भी बना हुआ है. ग्रामीण भारत वाहनों का बहुत बड़ा खरीदार है, पर अपेक्षित आर्थिक वृद्धि नहीं होने के कारण दुपहिया वाहनों और ट्रैक्टरों की बिक्री की दर अन्य वाहनों की अपेक्षा धीमी है. कुछ समय पहले ही केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की है और मानसून के भी सामान्य रहने का अनुमान है. अर्थव्यवस्था में क्रमशः सुधार का लाभ भी ग्रामीण भारत को मिलेगा. शहरी क्षेत्र में रोजगार के मामले में भी संतोषजनक रुझान हैं. ऐसे में यह अपेक्षा की जा सकती है कि दुपहिया वाहनों, छोटी कारों, व्यावसायिक वाहनों और ट्रैक्टरों की मांग बढ़ेगी.