21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भारत और वैश्विक मंदी

फरवरी में प्रस्तुत होने वाले केंद्रीय बजट की तैयारियों में मंदी की आहटों का संज्ञान लिया जायेगा.

कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जहां आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही हैं, वहीं इस वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने की संभावना है. इस दर के साथ भारत सबसे अधिक गति से विकास करने वाला देश है. हमारे देश में भी मुद्रास्फीति की समस्या है, पर वह अनेक विकसित और विकासशील देशों से बहुत कम है. कोरोना महामारी से उत्पन्न स्थितियों का सामना भी हमने सफलतापूर्वक किया है. लेकिन आज वैश्विक अर्थव्यवस्था के तार इस हद तक परस्पर जुड़े हुए हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार की हलचलों के असर से भारत भी पूरी तरह मुक्त नहीं हो सकता है.

रूस-यूक्रेन युद्ध तथा आपूर्ति शृंखला में अवरोध के कारण दुनिया के अनेक हिस्से में ऊर्जा और खाद्य संकट की स्थिति पैदा होने की आशंका जतायी जा रही है. इसका सबसे अधिक आर्थिक और वित्तीय प्रभाव विकसित अर्थव्यवस्थाओं पर दिख रहा है. ऐसे में कई विशेषज्ञ, उद्योग एवं वित्त जगत से संबद्ध लोग तथा कारोबारी आशंका जता रहे हैं कि वर्तमान संकट आर्थिक मंदी में बदल सकता है.

भारतीय रिजर्व बैंक तथा केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से लगातार यह भरोसा दिया जाता रहा है कि मंदी के आसन्न दौर का असर भारत पर नहीं होगा. कई जानकार यह भी मान रहे हैं कि अगर प्रभाव पड़ता भी है, तो वह मामूली ही होगा. अधिक से अधिक यह हो सकता है कि आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में कुछ कम हो जाए. फिर भी फरवरी में प्रस्तुत होने वाले केंद्रीय बजट की तैयारियों में मंदी की आहटों का संज्ञान लिया जायेगा, ऐसी आशा है.

मुद्रास्फीति से निपटने के लिए अमेरिका समेत अनेक विकसित देशों में भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गयी है. हाल ही में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि अगर ये देश इस तरह दरें बढ़ाते रहेंगे, तो वैश्विक वित्तीय बाजार पर असर पड़ेगा. इस कारण भारतीय बाजार से पूंजी का पलायन चिंता का कारण रहा है. रुपये की तुलना में डॉलर की बढ़ती कीमतों को अभी तो नियंत्रित कर लिया गया है, पर आगे की संभावनाओं और आशंकाओं के बारे में अनुमान लगाना कठिन है.

आयात बढ़ने और निर्यात घटने से व्यापार घाटा में वृद्धि भी चिंता की बात है. वैश्विक मंदी की स्थिति में भारत वस्तुओं के दाम में कमी का फायदा उठा सकता है. चूंकि निर्यात पर हमारी अर्थव्यवस्था बहुत अधिक निर्भर नहीं है, तो वह विदेशी पूंजी को आकर्षित कर सकती है. इसका ठोस आधार आत्मनिर्भर भारत अभियान ने बना दिया है. भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में प्रमुखता से स्थापित करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आह्वान भी धीरे धीरे साकार हो रहा है. इन आधारों पर हम किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें