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भारत की चेतावनी

India Canada Relations : कुछ दिन पहले ही कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यह आधिकारिक रूप से स्वीकार भी किया है कि उनके पास आरोपों के पक्ष में कोई सबूत नहीं है.

India Canada Relations : कनाडा द्वारा लगातार लगाये जा रहे बेबुनियाद आरोपों के जवाब में भारत ने चेतावनी दी है कि ऐसी हरकतों से द्विपक्षीय संबंधों पर नकारात्मक असर हो सकता है. कनाडा के एक वरिष्ठ मंत्री ने अपने देश की संसद की एक समिति के सामने आरोप लगाया है कि भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने कनाडा में हुए हमलों की मंजूरी दी थी. उल्लेखनीय है कि पिछले साल वहां रह रहे एक खालिस्तानी सरगना की हत्या हुई थी. इस हत्या के लिए कनाडा सरकार ने भारतीय उच्चायोग, एजेंसियों और गृह मंत्री को जिम्मेदार ठहराया है, पर भारत के बार-बार कहने के बावजूद किसी तरह का सबूत नहीं दिया गया है.

कुछ दिन पहले ही कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यह आधिकारिक रूप से स्वीकार भी किया है कि उनके पास आरोपों के पक्ष में कोई सबूत नहीं है. पिछले महीने सिंगापुर में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और कनाडा के अधिकारियों की मुलाकात में भी कोई सबूत नहीं मुहैया कराया गया. पहले भारतीय उच्चायुक्त समेत वरिष्ठ कूटनीतिकों पर कनाडा सरकार गंभीर आरोप लगा चुकी है, जिसके कारण भारत ने अपने छह कूटनीतिकों को वापस बुलाने का निर्णय किया. अब गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया जा रहा है. कनाडा सरकार का यह भी कहना है कि भारतीय उच्चायोग और खुफिया एजेंसियां वहां के नागरिकों की जासूसी में लिप्त हैं.

अब सरकार ने भारत को उन ‘शत्रु देशों’ की सूची में डाल दिया है, जिनसे कनाडा की साइबर सुरक्षा का खतरा है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को खराब करने का एक और प्रयास है. कनाडाई अधिकारियों ने खुले तौर पर यह स्वीकार भी किया है कि कनाडा भारत के खिलाफ वैश्विक जनमत को प्रभावित करना चाहता है. भारतीय उच्चायोग के कर्मियों की निगरानी भी चिंताजनक है और उनकी एवं उनके परिवार की सुरक्षा के लिए खतरनाक है.

कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो और उनकी सरकार राजनीतिक लाभ के लिए भारत के विरुद्ध मुहिम चला रही है. उनकी लोकप्रियता लगातार घटती गयी है. उनकी सरकार जगमीत सिंह की पार्टी के समर्थन से चल रही है. जगमीत सिंह खालिस्तान समर्थक हैं और भारत के विरुद्ध बयान देते रहते हैं. कनाडाई सरकार द्वारा खुले तौर पर आतंकवादियों, अलगाववादियों और अपराधियों को समर्थन देना यही सिद्ध करता है कि ट्रूडो सरकार को भारतीय हितों की परवाह नहीं है और उसे अपने राजनीतिक स्वार्थों को साधना है. उनकी ओर से ऐसा एक भी प्रयास नहीं किया जा रहा है, जिससे तनाव में कमी आ सके और विवादित मुद्दों पर संवाद हो सके. यदि दोनों देशों के संबंध बिगड़ते चले जाते हैं, तो इसका पूरा दोष कनाडा का होगा.

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