15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

चीन की हेठी

चीन अपने अतिक्रमण से ध्यान भटकाने के लिए कभी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की प्रशासनिक संरचना पर बयानबाजी करता है, तो कभी निर्माण कार्यों पर सवाल उठाता है.

लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन के बीच जारी तनातनी में कमी के आसार नहीं दिख रहे हैं, जबकि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर की बातचीत लगातार हो रही है. ऐसी बैठकों के विवरण गोपनीय होते हैं, किंतु दोनों पक्षों की ओर से आधिकारिक रूप से जो कुछ बयान किया जा रहा है, उसके आधार पर यही कहा जा सकता है कि चीन न तो अपने सैनिक जमावड़े को हटाने का इरादा रखता है और न ही वह वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इस वर्ष मई से पहले की यथास्थिति बहाल करने का इच्छुक है.

यह सर्वविदित तथ्य है कि इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन ने न केवल भारी मात्रा में सैन्य साजो-सामान जमा किया है, बल्कि उसके हजारों सैनिकों का जमावड़ा भी है. इस आक्रामकता को देखते हुए भारत ने भी सैनिकों और हथियारों की समुचित तैनाती की है. सीमावर्ती इलाकों में गश्ती और निगरानी को भी पुख्ता बनाया गया है. रिपोर्टों के मुताबिक, अब चीन ने बातचीत में नया पैंतरा चला है.

उसका कहना है कि दोनों देश तोप और टैंक जैसे हथियारों की तैनाती को खत्म कर दें ताकि तनाव बढ़ने की आशंका न रहे. भारत का कहना है कि पहले सैनिकों की तैनाती कम होनी चाहिए और इस प्रक्रिया का सत्यापन होना चाहिए. जब दोनों सेनाएं लद्दाख क्षेत्र से लगती 1597 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अप्रैल, 2020 की स्थिति में लौट जायेंगी, तो अतिरिक्त साजो-सामान की तैनाती को भी हटा लिया जायेगा. कुछ दिन पहले चीन ने सीमा क्षेत्र के पास भारत द्वारा सड़कों और पुलों के निर्माण पर आपत्ति जतायी थी, जबकि उसने अपने क्षेत्र में पहले से ही ऐसे निर्माण व्यापक स्तर पर किया है.

जानकारों का मानना है कि इस कारण किसी सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में वह बड़े हथियारों की तैनाती भारतीय सेना की अपेक्षा जल्दी करने की क्षमता रखता है. ऐसे में नियंत्रण रेखा पर सामान्य स्थिति की बहाली सुनिश्चित किये बिना तोप-टैंक और अन्य बंदोबस्त हटाना न तो उचित है और न ही व्यावहारिक. चीन की यह रणनीति है कि सीमा क्षेत्र में अपने अतिक्रमण से ध्यान भटकाने के लिए वह कभी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की प्रशासनिक संरचना व स्वरूप में बदलाव पर बयानबाजी करता है, तो कभी भारत के निर्माण कार्यों पर सवाल उठाता है.

इस साल या पहले के अतिक्रमणों पर भारत की आपत्ति का उसके पास कोई जवाब नहीं है. उसने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के रणनीतिक सहयोग पर भी आपत्ति की है. वह भारत के खिलाफ दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों को भी मोहरों की तरह इस्तेमाल कर रहा है. चीन का ऐसा ही रवैया ताइवान के साथ और साउथ चाइना सी में है. ऐसे में भारत को अपनी नीति के अनुरूप चीन के बरक्स डटे रहना है और आगामी महीनों में विश्व राजनीति की हलचलों पर नजर बनाये रखना है.

Posted by: Pritish Sahay

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें