India In 2025 लंदन से आये एक मित्र ने पिछले दिनों मुझसे जानना चाहा कि 2025 में भारत की राजनीतिक, आर्थिक स्थिति और शक्ति कैसी होगी? मेरा उत्तर था, ‘ अब तो ब्रिटेन, अमेरिका ही नहीं, चीन और ईरान जैसे देश भी ज्योतिषियों की भविष्यवाणियों पर या कंप्यूटर टेक्नोलॉजी एआइ पर भरोसा करने लगे हैं. हम उनकी तरह हिसाब नहीं लगाते. मेरा तो अनुभव यह है कि पिछले दशकों में भारत या विदेश में की गयी भविष्यवाणियां कभी सही, कभी गलत साबित हुई हैं. लेकिन भारत की वर्तमान प्रगति को देखते हुए कह सकता हूं कि 2025 में भारत की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक शक्ति न केवल बढ़ेगी, वरन दुनिया के लिए महत्वपूर्ण निर्णायक भूमिका निभाएगी’.
जहां तक भविष्यवाणियों की बात है, फ्रांस के 16वीं सदी के प्रसिद्ध ज्योतिष नास्त्रेदमस की कई भविष्यवाणियां सच हो चुकी हैं, जिनमें हिटलर के उदय और 9/11 के हमलों जैसी घटनाएं शामिल हैं. कोविड पर किया गया उनका दावा भी सही साबित हुआ. साल 2025 को लेकर भी उन्होंने कुछ भविष्यवाणी कर रखी हैं. नास्त्रेदमस की मानें, तो यह साल पूरे विश्व के लिए काफी मुश्किलों भरा रहने वाला है. उन्होंने भविष्यवाणियों 2025 में तीसरे विश्वयुद्ध को लेकर चेतावनी दी है. उनका दावा है कि यह युद्ध तबाही की वजह बन सकता है. उनकी भविष्यवाणी में दुनियाभर में आर्थिक संकट की ओर इशारा है. इस आर्थिक संकट से मेक्सिको, लैटिन अमेरिकी देश और यूरोप जूझता नजर आ सकता है.
दूसरी तरफ भारत के प्रसिद्ध स्वामी और ज्योतिर्विद योगेश्वरानंद की भविष्यवाणी है कि मई, 2025 भारत के भविष्य के लिए टर्निंग पॉइंट साबित होगा. उन्होंने इस साल की एक दुर्लभ खगोलीय घटना के बारे में कुछ दिलचस्प भविष्यवाणियां साझा कीं, जो देश में बड़े बदलाव ला सकती है. उससे भारत की तस्वीर हमेशा के लिए बदल जाएगी और स्वर्णिम युग की शुरुआत होगी. आशावादी होने के कारण हम जैसे पत्रकार यह कह सकते हैं कि सारी कमियों, गड़बड़ियों, हिंसा, आंदोलन और भ्रष्टाचार आदि के बावजूद भारत कमजोर नहीं होने वाला है.
वर्ष की शुरुआत ही प्रयाग के महाकुंभ पर्व से हो रही है, जो धार्मिक सांस्कृतिक आस्था के साथ करोड़ों लोगों को जोड़ने वाला है. संचार, परिवहन तथा अन्य संसाधन बढ़ने से महाकुंभ अधिक भव्य हो रहा है. दुनिया भर से भी लोग प्रयाग के साथ काशी, अयोध्या, मथुरा, आगरा, दिल्ली, सोमनाथ द्वारका, पुरी और तिरुपति पहुंचने वाले हैं. इसी तरह गणतंत्र दिवस पर रूसी राष्ट्रपति या अन्य राष्ट्राध्यक्ष के परेड समारोह में भारत की बढ़ती आधुनिक सैन्य शक्ति और देश में तेजी से हो रही आर्थिक प्रगति, सामाजिक, सांस्कृतिक विविधता के साथ एकता के दर्शन दुनिया को होंगे.
पिछले 10 वर्षों और खासकर 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार, संसद और सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसलों का लाभ इस साल दिखने लगेगा. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रादेशिक स्वायत्तता और प्रतियोगिता के कारण बेटियों को पढ़ाने, बढ़ाने और ‘आयुष्मान भारत’ जैसी स्वास्थ्य की लाभकारी योजनाओं का लाभ मिलता दिखायी देगा. लोग इस पर ध्यान नहीं देते कि संपन्न, विकसित देश अमेरिका के सर्वशक्तिमान राष्ट्रपति भी ओबामा केयर स्वास्थ्य योजना लागू नहीं कर सके हैं. इसी तरह ब्रिटेन में तो सामान्य जनता की नेशनल हेल्थ सर्विस बुरी तरह चरमरायी हुई है. बीमार होने पर एन एच एस के अस्पताल में डॉक्टर से समय कई दिन बाद मिलता है और गंभीर ऑपरेशन के लिए महीनों की प्रतीक्षा सूची रहती है.
भारत में सरकारी या निजी अस्पतालों अथवा छोटे क्लिनिकों के अलावा आयुर्वेदिक, प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र उपलब्ध हैं. अब तो ब्रिटेन के किंग चार्ल्स के परिवार को भी प्राकृतिक चिकित्सा के लिए दो साल से भारत आना पड़ रहा है. वर्ष 2025 में नये स्कूलों के अलावा नये कॉलेज, यूनिवर्सिटी के साथ कौशल विकास के शिक्षा केंद्रों से लाखों युवाओं के भविष्य के रास्ते खुलेंगे. स्वरोजगार, स्टार्ट अप, लघु, मध्यम या बड़े उद्योगों में अरबों रुपयों की देशी-विदेशी पूंजी लगने से भारत की आर्थिक प्रगति विश्व को प्रभावित करने वाली है. नये वर्ष का प्रारंभ दिल्ली विधानसभा चुनाव से हो रहा है और साल की अंतिम तिमाही में बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं.
केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और विशाल बिहार के दो चुनाव कई मायने में देश के राजनैतिक दलों की दशा-दिशा और भविष्य तय करने वाले हैं. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और बिहार में लालू प्रसाद यादव के राजद और नीतीश कुमार के जेडीयू की जय-पराजय से पार्टियों का भविष्य तय होगा. वहीं राहुल गांधी की कांग्रेस को दिल्ली तथा बिहार में अस्तित्व की लड़ाई लड़नी होगी, जो फिलहाल अंधेरी गुफा दिख रही है. वहीं भारतीय जनता पार्टी के सामने नया अध्यक्ष तय करने के साथ इन दो राज्यों में हरियाणा और महारष्ट्र की तरह भारी सफलता लाकर दिखाने की चुनौती होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने जिस तरह जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने और संसद, विधानसभाओं में महिला आरक्षण के ऐतिहासिक कदम उठाए, उसी तरह समान नागरिक संहिता और ‘एक देश-एक चुनाव’ के अपने लक्ष्य को अधिकाधिक समर्थन जुटाकर, संसद से स्वीकृति लेकर नया इतिहास बनाने की चुनौती रहने वाली है. इन निर्णयों के दूरगामी परिणाम होंगे.
विश्व में अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ भारत के समान स्तर पर घनिष्ठ संबंधों का असर इस साल दिखेगा. इसका पड़ोसी चीन और पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर गहरा प्रभाव होगा. आर्थिक जगत में विश्व बैंक सहित कई अंतरराष्ट्रीय संगठन 2025 से आने वाले 10 साल और 2047 तक भारत की आर्थिक शक्ति बढ़ने की आशा व्यक्त कर रहे हैं. एक दिलचस्प बात यह है कि आजकल भारत सरकार से बेरुखी रखने वाले नोबेल विजेता अर्थशास्त्री ने कई वर्ष पहले ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में यह दावा किया था कि ‘यूरोपीय देशों को आर्थिक विकास के लिए भारत से बहुत कुछ सीखना चाहिए, खासकर वित्तीय घाटे को संतुलित करने के प्रयास यूरोप, अमेरिका के लिए सबक हो सकते हैं.’ इसलिए इस साल भारत को केवल सपने नहीं देखना है, सपनों को साकार भी करना है. इसके लिए केवल राजनीतिक दलों और चुनावी व्यवस्था में ही नहीं, न्यायिक व्यवस्था और मीडिया में नयी आचार संहिता (कोड ऑफ इथिक्स) निर्धारित कर उसका पालन भी करना होगा. लोकतंत्र में विश्वसनीयता सबसे बड़ी शक्ति है. विश्व गुरु बनने की क्षमता को साबित करने का समय आ रहा है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)