भारत की बढ़ती हिस्सेदारी

भारत में विभिन्न सुधार कार्यक्रमों के साथ-साथ निवेश और निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कदम उठाये गये हैं.

By संपादकीय | May 29, 2024 10:09 PM

वैश्विक आपूर्ति शृंखला और उत्पादन प्रक्रिया में भारत का हिस्सा बढ़ रहा है. इस मामले में चीन सिरमौर है, पर अनेक कारणों से बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन के साथ-साथ अन्य देशों में भी अपनी गतिविधियां बढ़ा रही हैं. कुछ कंपनियां चीन को छोड़ भी रही हैं. इसका सर्वाधिक लाभ भारत को होने की संभावना है. नोमुरा रिसर्च के मुताबिक, कंपनियों के भारत के प्रति आकर्षण का मुख्य कारण भारत का विशाल उपभोक्ता बाजार है. इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन, विभिन्न प्रकार के संयंत्र एवं साजो-सामान, सेमीकंडक्टर असेंबली आदि के मामले में भारत की प्रगति तेजी से हो रही है. आर्थिक विकास की प्रक्रिया में ऐसा समय-समय पर होता है, जब उत्पादक विकसित देशों को छोड़कर विकासशील देशों का रुख करते हैं. ऐसे निर्णयों के पीछे सस्ता श्रम, संसाधनों की उपलब्धता, नियम-कानूनों में स्थायित्व एवं पारदर्शिता, राजनीतिक स्थिरता, ठोस सुधार प्रक्रिया, भू-राजनीतिक स्थिति जैसे कारण होते हैं.

वैश्विक आपूर्ति शृंखला में चीन का एक-चौथाई हिस्सा है. एक ही देश पर इतनी अधिक निर्भरता अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए एक आदर्श स्थिति नहीं है. साथ ही, महामारी के बाद मांग भी बढ़ने लगी है तथा अर्थव्यवस्था भी पटरी पर आ चुकी है. भारत में विभिन्न सुधार कार्यक्रमों के साथ-साथ निवेश और निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कदम उठाये गये हैं. जनसांख्यिकीय लाभांश की स्थिति में होने के कारण यहां श्रम उपलब्धता भी अपेक्षाकृत बेहतर है. नोमुरा ने रेखांकित किया है कि भारत में निवेशकों को प्रारंभ में संयम रखने की आवश्यकता है, पर निकट भविष्य में अवसर बढ़ेंगे. कंपनियों और निवेशकों के आने से भारत के निर्यात में भी रिकॉर्ड वृद्धि का अनुमान है, जो 2023 में 431 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 835 अरब डॉलर हो सकता है.

हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इलेक्ट्रॉनिक्स का योगदान लगभग तीन प्रतिशत है, जो अनेक एशियाई देशों से बहुत कम है. केंद्र सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए अनेक प्रयास कर रही है, जिनमें उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन योजना प्रमुख है. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए हाल में एक व्यापक नीति लागू की गयी है. रक्षा उत्पादन में निवेश के नियमों में सुधार होने से निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ी है. सौर ऊर्जा और दवा निर्माण भी ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें बहुराष्ट्रीय कंपनियों की रुचि है. इन सभी क्षेत्रों में हाल के वर्षों में उत्साहजनक विकास हुआ है. संबंधित उत्पादों के लिए बहुत बड़ा घरेलू बाजार तो है ही, निरंतर बढ़ते निर्यात से यह इंगित होता है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत में निर्मित वस्तुओं के प्रति विश्वास बढ़ रहा है. ऐसे में विस्तार के प्रयास में लगी कंपनियों के लिए भारत पसंदीदा गंतव्य बन गया है.

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