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मधुमेह का गढ़ भारत

Diabetes Lancet : मधुमेह की समस्या खासकर उन देशों में बढ़ रही है, जहां तेजी से शहरीकरण और आर्थिक विकास के चलते दिनचर्या और खान-पान में बदलाव हुआ है. महिलाओं पर इसका असर अधिक हो रहा है.

Diabetes Lancet: चर्चित मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ की नयी रिपोर्ट वाकई बहुत डरावनी है कि भारत अनुपचारित मधुमेह (डायबिटीज) रोगियों की राजधानी बन गयी है. सिर्फ यही नहीं कि भारत में मधुमेह के रोगी सबसे ज्यादा हैं, बल्कि उनमें से ज्यादातर का इलाज भी नहीं हो रहा. यह अध्ययन स्वास्थ्य वैज्ञानिकों के वैश्विक नेटवर्क एनसीडी-रिस्क ने किया है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से 200 देशों और क्षेत्रों के लिए गैर संचारी रोगों के जोखिम कारकों पर आंकड़े जारी करता है.

अध्ययन के मुताबिक, 1990 से 2022 के बीच वैश्विक मधुमेह दर दोगुनी हो गई. वर्ष 2022 में दुनिया में अनुमानित 82.8 करोड़ वयस्क मधुमेह के मरीज थे. इनमें से एक चौथाई से भी अधिक (21.2 करोड़) मरीज भारत में थे. इसके बाद चीन, अमेरिका, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और ब्राजील का नंबर था. यानी मधुमेह से पीड़ित 60 फीसदी मरीज सिर्फ छह देशों में हैं. जबकि जापान, कनाडा, फ्रांस और डेनमार्क जैसे उच्च आय वाले देशों में पिछले तीन दशकों में मधुमेह की दर में वृद्धि अपेक्षाकृत कम रही है.

यह अध्ययन मधुमेह के इलाज में वैश्विक असमानता पर प्रकाश डालता है. मधुमेह की समस्या खासकर उन देशों में बढ़ रही है, जहां तेजी से शहरीकरण और आर्थिक विकास के चलते दिनचर्या और खान-पान में बदलाव हुआ है. महिलाओं पर इसका असर अधिक हो रहा है. कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच, जागरूकता के अभाव और उपचार की दर स्थिर होने के कारण वयस्कों में मधुमेह तेजी से बढ़ रहा है.

इलाज के अभाव में शरीर के अंग काटने, हृदय रोग, गुर्दे की क्षति, दृष्टिहानि और समय पूर्व मृत्यु के मामले बढ़ रहे हैं. भारत में स्त्री-पुरुष, दोनों में मधुमेह की दर दोगुनी हो गयी है. महिलाओं में यह 1990 के 11.9 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 24 फीसदी, तो पुरुषों में इस दौरान 11.3 प्रतिशत से बढ़कर 21.4 फीसदी हो गयी. जबकि इस दौरान मधुमेह के उपचार में मामूली वृद्धि (महिलाओं में 21. 6 फीसदी से बढ़कर 27.8 और पुरुषों में 25.3 फीसदी से बढ़कर 29.3 फीसदी) ही हुई है.

जागरूकता के कमी से अपने यहां अनेक लोगों को इस बीमारी का पता ही नहीं चलता. एक सोच यह है कि मधुमेह की बीमारी ज्यादा उम्र में होती है, जबकि ऐसा नहीं है. स्थिति गंभीर होने के बाद ही लोग जांच कराते हैं. समय पर अगर इस बीमारी का पता चल जाए, खतरा कम रह जाता है. मधुमेह के बढ़ते मामले और इसके घातक नतीजे डरावने हैं, लेकिन स्वस्थ आहार, व्यायाम और समय पर इलाज के जरिये इसे नियंत्रित किया जा सकता है.

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