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भारत की तीखी प्रतिक्रिया

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारत विरोधी समूहों को पश्चिमी देशों में अपनी गतिविधियां करने की पूरी छूट मिली हुई है.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी अखबार ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ की एक रिपोर्ट को अनावश्यक और आधारहीन बताया है. उक्त अखबार ने अनाम सूत्रों के हवाले से कहा है कि अलगाववादी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के कथित षड्यंत्र में भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ का एक अधिकारी शामिल था.

पिछले साल नवंबर में अमेरिकी फेडरल अधिकारियों ने एक भारतीय नागरिक पर अभियोग लगाया था कि वह भारत सरकार के एक अधिकारी के साथ मिलकर पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल था. भारत ने पहले ही इस मामले की जांच के लिए एक कमिटी का गठन किया है और अमेरिकी सरकार से भी इस संबंध में चर्चा हुई है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद को बताया था कि ऐसी जांच की जरूरत इसलिए है क्योंकि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. पन्नू को भारत ने आतंकियों की सूची में रखा है. उसके पास अमेरिका और कनाडा की नागरिकता है. वह अमेरिका में रहकर भारत विरोधी आयोजन करता रहता है तथा आतंकी हमलों की धमकी देता रहता है. ऐसे कई आतंकी और अपराधी सरगना अमेरिका, कनाडा और कुछ यूरोपीय देशों में हैं.

भारत ने इनके बारे में संबंधित सरकारों को जानकारी भी दी है, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इसके विपरीत, पश्चिमी सरकारों और मीडिया द्वारा आतंकियों की ही पैरोकारी की जाती है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारत विरोधी समूहों को पश्चिमी देशों में अपनी गतिविधियां करने की पूरी छूट मिली हुई है. बीते रविवार को कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की उपस्थिति में एक आयोजन में खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाये गये. इस घटना पर भी भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है तथा कनाडा के उप उच्चायुक्त को तलब कर अपना विरोध जताया है.

उल्लेखनीय है कि एक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री भारत को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं. उस मामले की जांच में सहयोग करने के कनाडा के अनुरोध को भारत ठुकरा चुका है क्योंकि इस संबंध में कोई भी ठोस सबूत मुहैया नहीं कराया गया है.

कनाडा द्वारा सबूत नहीं देने या अनाम सूत्रों के हवाले से भारतीय एजेंसी के खिलाफ खबर बनाने या अतिवादी तत्वों पर कार्रवाई नहीं करने जैसी प्रवृत्तियां यही इंगित करती हैं कि पश्चिमी देश भारत विरोधी गिरोहों का इस्तेमाल भारत पर बेजा दबाव बनाने के लिए कर रहे हैं. पिछले कुछ समय से अनेक देशों में ऐसे गिरोह भारतीय मूल के लोगों के बीच आपसी मतभेद बढ़ाने में भी लगे हुए हैं. पश्चिमी देशों में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग हैं, जो उन देशों के विकास में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं.

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