श्रीलंका से बेहतर रिश्ते की उम्मीद
India Sri Lanka Relations : श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायके एक गंभीर राजनेता हैं, इसलिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जुड़ना उनके लिए आसान है. चूंकि अमेरिका में मोदी के मित्र डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुने गये हैं, और रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मोदी के बेहतर रिश्ते हैं, इस कारण वैश्विक भू-राजनीतिक वास्तविकता से अवगत दिसानायके ने भारतीय प्रधानमंत्री से वार्ता को बेहद गंभीरता से लिया.
India Sri Lanka Relations : भारतीय क्षेत्रों और सीमाओं को चीनी आक्रामकता और विस्तारवादी नीति से बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के वामपंथी विचारधारा के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके को, जो एकेडी के नाम से जाने जाते हैं, साथ मिलकर काम करने के बारे में समझाया. पिछले 10 वर्ष में श्रीलंका भी अच्छी तरह समझ गया है कि एनडीए सरकार पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की तरह नहीं है. नरेंद्र मोदी ऐसे पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे, जो सत्ता में आने के बाद ही 2015 में श्रीलंका के दौरे पर गये थे. जबकि यूपीए सरकार की श्रीलंका नीति अल्पसंख्यक तमिलों के संहार के इर्द-गिर्द केंद्रित थी. लेकिन अब मोदी-एकेडी साथ मिलकर रक्षा सहयोग संधि और ऊर्जा सहयोग को गति देने पर सहमत हो गये हैं. दोनों देश निवेश आधारित विकास, लोगों की आवाजाही तथा डिजिटल और ऊर्जा संबंधों के क्षेत्र में मिलकर काम करने के लिए भी राजी हैं.
श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायके एक गंभीर राजनेता हैं, इसलिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जुड़ना उनके लिए आसान है. चूंकि अमेरिका में मोदी के मित्र डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुने गये हैं, और रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मोदी के बेहतर रिश्ते हैं, इस कारण वैश्विक भू-राजनीतिक वास्तविकता से अवगत दिसानायके ने भारतीय प्रधानमंत्री से वार्ता को बेहद गंभीरता से लिया. कोरोना महामारी के समय भारत ने श्रीलंका को चिकित्सा सहायता मुहैया करायी थी, जिसकी श्रीलंका से आये प्रतिनिधिमंडल ने सराहना की. यही नहीं, जब श्रीलंका गहरे वित्तीय संकट से जूझ रहा था, तब विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत उसका गारंटर बना था.
वर्ष 2022 में भारत की ओर से दी गयी 75,000 करोड़ रुपये की मदद श्रीलंका के लिए बड़ी राहत थी. भारत ने जरूरत के समय श्रीलंका की आर्थिक और चिकित्सीय मदद की. श्रीलंका के राष्ट्रपति एकेडी जब मोदी के साथ आर्थिक और रक्षा मुद्दों पर बातचीत करने के लिए बैठे, तब निश्चित रूप से उनके दिमाग में ये तमाम बातें चल रही थीं. वार्ता के दौरान जिन छह मुद्दों पर सहमति बनी, वे भी महत्वपूर्ण थे. इन पर बनी सहमति का श्रेय विदेश मंत्री एस जयशंकर की कूटनीतिक सफलता को जाता है. जयशंकर कभी श्रीलंका में उच्चायुक्त भी थे. इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही.
दोनों देशों के बीच दोहरे कराधान से बचने के साथ-साथ क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण संधि पर दस्तखत हुए, जिनका उद्देश्य दोनों देशों के वित्तीय ढांचे को सुरक्षा प्रदान करना है. मोदी ने अपनी सरकार के कामकाज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग और 6जी के अपने ज्ञान से एकेडी को चमत्कृत-प्रभावित किया. मोदी ने कहा भी कि दिसानायके के दौरे ने दोनों देशों के संबंधों को नयी गति और ऊर्जा से लैस कर दिया है और दोनों देश भविष्य पर नजर रखते हुए काम करेंगे. उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हम इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड कनेक्टेविटी और मल्टी प्रोडक्ट पाइपलाइन प्रोजेक्ट पर काम करेंगे. शामपुर सौर ऊर्जा परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाया जायेगा. इसके अतिरिक्त श्रीलंका की ऊर्जा इकाइयों को एलएनजी की आपूर्ति की जायेगी और दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार को प्रोत्साहित करने की दिशा में कदम उठायेंगे.’’
दूसरी ओर, दिसानायके ने बहुत महत्वपूर्ण बात कही कि श्रीलंका की जमीन का इस्तेमाल भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया जायेगा. नरेंद्र मोदी से वार्ता होने के बाद उन्होंने यह बात कही. दोनों नेताओं की मुलाकात हैदराबाद हाउस में हुई, जहां दिसानायके ने दो साल पहले के ‘अभूतपूर्व आर्थिक संकट’ के दौरान भारत द्वारा की गयी मदद के लिए आभार जताया. मोदी और एकेडी ने मछुआरों के मुद्दों पर बात की. दरअसल श्रीलंकाई जलक्षेत्र में तमिलनाडु के मछुआरों के घुस जाने का मुद्दा लंबे समय से दोतरफा विवाद का कारण रहा है. वार्ता का एक मुद्दा श्रीलंका के पुनर्निर्माण और बेघरों के पुनर्वास का था. बातचीत के दौरान मोदी ने यह आशा जतायी कि श्रीलंका की सरकार तमिल अल्पसंख्यकों की उम्मीदें पूरी करेगी. भारत दरअसल लंबे समय से श्रीलंका में तमिलों को उनका अधिकार दिये जाने और 13वें संविधान संशोधन पर अमल करने के लिए कह रहा है.
भारतीय प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच रेलवे, फेरी और हवाई संबंध बेहतर हों, तो लोगों की आवाजाही बढ़ेगी और आपसी रिश्ते और अच्छे होंगे. दिसानायके ने मछुआरे के मुद्दे पर टिकाऊ और स्थायी समाधान होने की उम्मीद जतायी. भारत ने श्रीलंका को पांच अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन मुहैया करायी है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हम श्रीलंका के सभी 25 जिलों को मदद मुहैया करा रहे हैं. हमने विकास परियोजनाएं अपने पड़ोसी देश की जरूरतों और प्राथमिकताओं के आधार पर तय की हैं. हमने सुरक्षा सहयोग को तेजी से अंतिम रूप देने पर विचार किया है. हम हाइड्रोग्राफी पर सहयोग करने के लिए भी तैयार हैं. हमारा मानना है कि क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और विकास के लिए कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव एक महत्वपूर्ण मंच है.’ हालांकि सुरक्षा के मोर्चे पर भारत की भी अपनी चिंता है. अच्छी बात यह है कि जब चीन हिंद महासागर में अपनी विस्तारवादी और भारत-विरोधी नीति पर तेजी से काम कर रहा है, तब श्रीलंका ने नयी दिल्ली को यह आश्वासन दिया है कि श्रीलंका की जमीन का इस्तेमाल भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए करने नहीं दिया जायेगा.
चीन ने श्रीलंका को जो कर्ज दिया था, वह न चुका पाने के एवज में चीन ने उसके हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा कर लिया था. वहीं से वह भारतीय जहाजों और नौसैनिक गतिविधियों पर नजर रखे हुए है. पिछले दो वर्षों में चीन ने हंबनटोटा बंदरगाह पर 25,000 टन के उपग्रह और बैलेस्टिक मिसाइल तैनात कर रखे हैं. चूंकि श्रीलंका भारत के नजदीक है, ऐसे में, चीन की यह खुफिया गतिविधि भारतीय हितों के खिलाफ है. चीन दक्षिण भारत स्थित श्रीहरिकोटा में हो रहे भारत के शोध और विकास कार्यक्रमों पर भी तीखी नजर रखे हुए है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ भी दिसानायके की मुलाकात और सार्थक बातचीत हुई. उन्होंने कहा कि श्रीलंका में टिकाऊ आर्थिक विकास के लिए भारत लगातार उसकी सहायता करता रहेगा. उन्होंने खुशी जतायी कि संयुक्त घोषणापत्र में दोनों देशों के रिश्तों को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जतायी गयी है. मुलाकात के दौरान दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने उम्मीद जतायी कि यह मुलाकात दोनों देशों के लोगों के बीच शांति और समृद्धि स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभायेगी. द्वीपीय देश का भरोसा जीतकर नरेंद्र मोदी ने एक तरह से चीन को आईना दिखाया है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)