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भारत-फ्रांस दोस्ती

Indo-French Relations : प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस की कंपनियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनकर असीमित अवसरों पर विचार करें. अगर फ्रांस की कंपनियां मोदी के आह्वान को स्वीकारती हैं, तो इससे भारत में रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद है

Indo-French Relations : एआई शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पेरिस पहुंचने पर राष्ट्रपति मैक्रों ने जिस तरह उनका स्वागत किया, वह भारत और फ्रांस के रिश्तों में व्याप्त गर्मजोशी के बारे में बताने के लिए काफी है. प्रधानमंत्री के तौर पर अपने छठे फ्रांस दौरे में प्रधानमंत्री मोदी ने मैक्रों के साथ राष्ट्रपति के विमान से दक्षिणी फ्रांस के मारसेई तक की यात्रा तो की ही, दोनों ने परमाणु रिएक्टर बनाने, हिंद-प्रशांत में आपसी सहयोग बढ़ाने और आतंकवाद के खिलाफ तालमेल बनाने पर सहमति भी जतायी. इन्होंने परमाणु ऊर्जा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में आपसी सहयोग का रोडमैप तैयार किया है, जिसके तहत इन दोनों क्षेत्रों में डिजाइन से लेकर उनके उत्पादन तक का काम किया जायेगा.

इस संदर्भ में अलग-अलग क्षेत्रों में 10 अहम समझौतों पर दस्तखत किये गये हैं. इनमें परमाणु ऊर्जा बनाने वाले स्मार्ट मॉड्यूलर रिएक्टर्स और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर्स को साझा तौर पर विकसित कर दूसरे देशों को बेचा जायेगा. इन्होंने रक्षा, असैन्य परमाणु सुधार और अंतरिक्ष के रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग की समीक्षा की और त्रिकोणीय विकास समझौते से संबंधित संयुक्त घोषणा पत्र पर दस्तखत किये.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि फ्रांस द्वारा भारत के पिनाक रॉकेट लॉन्चर की खरीद से दोनों देशों के रक्षा संबंधों में मजबूती आयेगी. दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की तत्काल जरूरत पर जोर दिया, तो मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के मुद्दे पर फ्रांस के समर्थन को दोहराया. मारसेई में मोदी और मैक्रों ने भारत के नये वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया और दो विश्वयुद्धों में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी.

प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस की कंपनियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनकर असीमित अवसरों पर विचार करें. अगर फ्रांस की कंपनियां मोदी के आह्वान को स्वीकारती हैं, तो इससे भारत में रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद है. जहां तक संयुक्त घोषणापत्र की बात है, तो इसके जरिये भारत और फ्रांस की तरफ से अमेरिका और चीन को संदेश देने की कोशिश की गयी है. देखने वाली बात यह है कि जब अमेरिका और चीन के बीच एआइ को लेकर प्रतिस्पर्धा शुरू हुई है, तब भारत और फ्रांस ने आगे आकर विश्व स्तर पर एआइ का पारदर्शी इस्तेमाल करने और इस प्रौद्योगिकी का फायदा अमीर-गरीब, सभी देशों को पहुंचाने की बात कही है. वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत और फ्रांस की यह दोस्ती आशा जगाती है.

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