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गोवा में भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह

International Film Festival : गोवा में इस फिल्म समारोह के आयोजन का यह 20 वां वर्ष है. हालांकि हमारा समारोह अब भी गोवा फिल्म समारोह की जगह इफ्फी (इंटेरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया) के नाम से ही अधिक प्रचलित है.

International Film Festival of India : गोवा की खूबसूरत वादियों में आज से 55 वें ‘भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह’ का आयोजन शुरू हो रहा है. फिल्मों के इस नौ दिवसीय महाकुंभ में 81 देशों की लगभग 180 अंतरराष्ट्रीय फिल्मों का प्रदर्शन होगा.हमारे इस फिल्म समारोह की प्रतिष्ठा वैसे तो पिछले कुछ वर्षों में पहले की तुलना में बढ़ी है. लेकिन इस साल पिछले वर्ष की तुलना में कम प्रविष्टियां प्राप्त हुई हैं. पिछले वर्ष जहां 105 देशों ने 2,926 प्रविष्टियां भेजी थीं, वहीं इस वर्ष कुल 101 देशों से 1,676 प्रविष्टियां ही मिल सकीं.

विश्व में सर्वाधिक फिल्म बनाने वाले देश भारत के गोवा फिल्म समारोह की लोकप्रियता क्या घट रही है? यदि विश्व के बड़े फिल्म समारोहों की बात की जाए, तो उनमें कान, वेनिस, बर्लिन, सनडांस, टोरंटो, कार्लोवी वारी, लोकार्नो और मेलबोर्न जैसे कई समारोह आते हैं. इसलिए यदि अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों की रैंकिंग की बात की जाए, तो इतने वर्षों के बाद भी ‘भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह’ की गिनती विश्व के 10 शिखर समारोहों में नहीं होती. लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह एशिया और खास तौर से दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा फिल्म समारोह है. यही नहीं, आयोजन के स्तर, फिल्मकारों को मिलने वाली सुविधा और सम्मान जैसे मामलों में गोवा फिल्म समारोह को कुछ लोग कान फिल्म समारोह के समतुल्य भी कहने लगे हैं.

देश में भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह की शुरुआत 72 वर्ष पहले 1952 में हुई थी. लेकिन आरंभिक वर्षों में इसका आयोजन नियमित नहीं हो सका था. बाद में यह नियमित हुआ, तो एक साल इसका आयोजन दिल्ली में होता था, तो अगले वर्ष फिल्मोत्सव के नाम से मुंबई, कोलकाता, चेन्नई या बंगलुरु और हैदराबाद जैसे किसी एक शहर में. जबकि विश्व के अधिकांश बड़े फिल्म समारोह उस देश के उसी शहर के नाम से होते हैं, जहां इनका आयोजन होता है. इसलिए उसी तर्ज पर 2004 से इसे गोवा में ही हर वर्ष नियमित रूप से आयोजित किया जाने लगा. गोवा में इस फिल्म समारोह के आयोजन का यह 20 वां वर्ष है. हालांकि हमारा समारोह अब भी गोवा फिल्म समारोह की जगह इफ्फी (इंटेरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया) के नाम से ही अधिक प्रचलित है.


इस फिल्म समारोह को लंबे समय से देखने वाले लोगों को कुछ बदलाव निश्चय ही आकर्षित करेंगे. उदाहरण के लिए, इस बार ‘सर्वश्रेष्ठ भारतीय नवोदित फिल्म निर्देशक’ का एक नया पुरस्कार शुरू किया गया है. साथ ही, इस बार समारोह की थीम भी युवाओं पर है-‘युवा फिल्म निर्माता-भविष्य अब है’. ध्यान देने वाली बात यह है कि इस बार प्रदर्शित 181 फिल्मों में से 66 फिल्मों के निर्देशक युवा हैं. फिर इस बार बड़ा बदलाव यह भी है कि पहली दफा फिल्म समारोह का निदेशक एक फिल्मकार शेखर कपूर को बनाया गया है. इस बार के समारोह में कई अच्छी फिल्में आई हैं.

समारोह का उद्घाटन ब्रिटिश पॉप स्टार रॉबी विलियम्स की जिंदगी से प्रेरित माइकल ग्रेसी की ऑस्ट्रेलियाई फिल्म ‘बेटर मैन’ से हो रहा है. इस बार ऑस्ट्रेलिया को फोकस देश भी बनाया है. सत्यजित रे लाइफ टाइम पुरस्कार भी ऑस्ट्रेलियाई फिल्मकार फिलिप नोयस को प्रदान किया जाएगा. जहां तक ‘इंडियन पेनोरमा’ खंड की बात है, तो इसमें विभिन्न भाषाओं की कुल 25 फीचर फिल्मों में हिंदी की ’12 वीं फेल’,’कल्कि 2898 एडी’,‘श्रीकांत’,‘आर्टिकल 370’ और ‘महावतार नरसिम्हा’ हैं. इंडियन पेनोरमा का उद्घाटन भी चर्चित हिंदी फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ से होगा. उधर फिल्म समारोह के किसी निर्देशक की पहली फिल्म के रजत मयूर और 10 लाख रुपये के पुरस्कार के लिए कुल सात फिल्मों में से दो फिल्में भारत से हैं- मराठी फिल्म ‘जिप्सी’ और तेलुगू की ‘शीना कथा काडू.’


समारोह के सबसे बड़े आकर्षण ‘प्रतियोगिता वर्ग’ के लिए जो 15 फिल्में चुनी गई हैं, उनमें 12 विदेशी फिल्मों के साथ तीन भारतीय फिल्में, ‘आर्टिकल-370’ (हिंदी), ‘रावसाहब’ (मराठी) और ‘द गोट लाइफ’ (मलयालम) भी हैं. विदेशी फिल्मों में ईरान की फिल्म ‘फीयर एंड ट्रेंबलिंग’ का यहां विश्व प्रीमियर हो रहा है, जबकि ‘गुलिजार’(तुर्किये), ‘होली काऊ’(फ्रांस), ‘आई एम नेवेंका’(स्पेन), ‘पियर्स’(सिंगापुर), ‘रेड पथ’(ट्यूनीशिया), ‘द न्यू ईयर दैट नेवर केम’(रोमानिया), ‘पैनोप्टीकॉन’(जार्जिया-यूएसए) ‘वेब्स’(चेक गणराज्य), ‘शेफर्ड्स’(कनाडा-फ्रांस), ‘टॉक्सिक’(लिथुआनिया) और ‘हू डू आई बिलांग टू’(ट्यूनेशिया-कनाडा) ऐसी फिल्में हैं, जो भारत से पहले किसी विदेशी समारोह में पुरस्कृत या प्रदर्शित हो चुकी हैं.

अब ये सभी फिल्में गोवा में स्वर्ण मयूर और 40 लाख रुपये के पुरस्कार के लिए प्रतियोगिता में रहेंगी. दिलचस्प तथ्य यह है कि इन 15 फिल्मों में से नौ फिल्मों की निर्देशक महिलाएं हैं. युवाओं और महिलाओं को फिल्म समारोह में महत्व दिया जा रहा है, यह निश्चित तौर पर बहुत अच्छी बात है. लेकिन प्रतीक्षा उस दिन की है, जब भारतीय फिल्म समारोह की गिनती विश्व के पांच शिखर फिल्म समारोह में हो.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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