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इसरो की उड़ान

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने देश के सबसे बड़े लॉन्च व्हीकल मार्क थ्री के प्रक्षेपण के साथ एक नया इतिहास रच दिया है. आगामी दशक में विभिन्न प्रयोजनों के लिए 20 हजार से अधिक उपग्रहों के प्रक्षेपण की संभावना है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने देश के सबसे बड़े लॉन्च व्हीकल मार्क थ्री के प्रक्षेपण के साथ एक नया इतिहास रच दिया है. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थिति सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुए इस व्यावसायिक प्रक्षेपण में 36 उपग्रहों को उनकी निर्धारित कक्षा में स्थापित किया गया है. प्रक्षेपण वाहन की लंबाई 43.5 मीटर है तथा उपग्रहों का वजन 5,805 किलोग्राम है. ये उपग्रह ब्रिटेन की एक दूरसंचार कंपनी के हैं, जिसमें एक बड़ी भारतीय कंपनी की भागीदारी भी है. इस कंपनी के 36 उपग्रहों को पिछले साल अक्टूबर में भी प्रक्षेपित किया गया था.

इसरो वैश्विक स्तर की एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान तो है ही, यह अपनी वाणिज्यिक कंपनी न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के माध्यम से कई देशों और कंपनियों के उपग्रहों को विकसित और प्रक्षेपित करने का काम भी करती है. कम लागत के साथ क्षमतागत विश्वसनीयता के कारण अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष बाजार में इसरो की साख लगातार बढ़ती जा रही है. रविवार की उपलब्धि उसकी प्रतिष्ठा में वृद्धि करने के साथ उसकी व्यावसायिक सेवाओं की मांग को बढ़ाने में भी मददगार साबित होगी.

इसरो और उससे संबंधित संस्थाओं के विकास को प्राथमिकता देने के साथ-साथ सरकार ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में निजी निवेश और स्टार्टअप की भागीदारी बढ़ाने पर भी ध्यान दिया है. ऐसे प्रयासों के परिणाम भी दिखने लगे हैं. पिछले वर्ष नवंबर में एक निजी कंपनी द्वारा बनाये गये रॉकेट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण इसरो ने किया गया था.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत जून, 2020 में अंतरिक्ष के क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोला था. आगामी दशक में विभिन्न प्रयोजनों के लिए 20 हजार से अधिक उपग्रहों के प्रक्षेपण की संभावना है. इसके लिए बड़ी संख्या में रॉकेट भी आवश्यक होंगे. साथ ही, अभियानों से जुड़े कार्यों, सेवाओं और उपकरणों की मांग भी बढ़ेगी. ऐसे में इसरो के आदर्श नेतृत्व तथा निजी क्षेत्र की भागीदारी से अंतरिक्ष अनुसंधान का भी विस्तार होगा तथा रोजगार के अवसरों व उद्यमों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी.

हाल के वर्षों में देखें, तो इसरो ने एक से बढ़कर एक कीर्तिमान स्थापित किये हैं. वर्ष 2017 में एक ही अभियान में 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा गया था, जो एक वैश्विक कीर्तिमान है. इससे पहले 2014 में पहले ही प्रयास में इसरो का यान मंगल ग्रह पहुंचा था. भारत ऐसी सफलता पाने वाला पहला देश है. चांद मिशन भी उत्कृष्ट अभियान था. इनसैट मिशन के तहत कई उपग्रह दूरसंचार, प्रसारण, मौसम की जानकारी आदि कई उद्देश्यों को पूरा करते हैं. इसरो की सेवाओं से कई देश लाभान्वित होते हैं.

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