डिजिटल तकनीक के युग में भारत की अग्रणी भूमिका रही है. आज जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के साथ तकनीकी क्रांति का नया अध्याय शुरू हो रहा है, तो स्वाभाविक रूप से उसमें भारत का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा. एआइ को लेकर जो आशंकाएं जतायी जा रही हैं, उनमें कई तरह की पारंपरिक नौकरियों के खत्म होने की चिंता मुख्य है. यह चिंता सही भी है, पर हमें यह भी समझना चाहिए कि नयी तकनीकों ने नये तरह के रोजगार भी सृजित किया है.
एआइ भी इसका अपवाद नहीं होगा. रोजगार खोजने के एक प्रसिद्ध पोर्टल इनडीड के एक अध्ययन के अनुसार, इस पोर्टल पर बीते पांच वर्षों में एआइ से संबंधित नौकरियों की लिस्टिंग में 158 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है. साथ ही, ऐसी नौकरियों के बारे में सर्च करने में मार्च, 2018 की तुलना में मार्च, 2023 में 89 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है. हाल में एक रिपोर्ट में गोल्डमैन साक्स ने अनुमान लगाया है कि विभिन्न क्षेत्रों में 26 प्रतिशत नौकरियां ऑटोमैटेड हो सकती हैं.
हॉर्वर्ड बिजनेस रिव्यू ने भी इसी तरह का आकलन प्रस्तुत किया है. लेकिन रोजगार के भविष्य के बारे में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट ने कहा है कि एआइ से मशीन लर्निंग विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, डाटा विश्लेषक और डिजिटल विशेषज्ञ जैसे अच्छे अवसर पैदा होंगे. भारत के बारे में महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे पास बड़ी संख्या में प्रतिभा की उपलब्धता है. इसके आधार पर हम देश में एआइ के विकास को गति देने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर चल रहे कार्यक्रमों में भी योगदान दे सकते हैं.
इनडीड के आंकड़ों से यह भी रेखांकित होता है कि कम्प्यूटर तकनीक के जानकार बड़ी संख्या में एआइ के क्षेत्र में काम करने के लिए उत्सुक हैं. इसी तरह के रुझान सिंगापुर, अमेरिका और अन्य देशों में भी देखे जा रहे हैं.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि सरकारों और डिजिटल तकनीक के क्षेत्र की कंपनियों को एआइ के दुरुपयोग और उसके अनियंत्रित हो जाने जैसे खतरों को लेकर विचार-विमर्श करना चाहिए तथा आवश्यक नियमन की व्यवस्था करनी चाहिए. लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि एआइ एक बड़ी क्षमता के रूप में विश्व के सामने साकार हो रही है. यह अपने विकास के पहले चरण में है. इसलिए भारत को अपनी व्यापक प्रतिभा और डिजिटल तकनीक के शानदार अनुभव का लाभ उठाते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देना चाहिए.