प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अवधारणा काशी तमिल संगमम एक नवोन्मेषी कार्यक्रम है, जो तमिल और हिंदी तथा तमिलनाडु और उत्तर भारतीय लोगों को परस्पर जोड़ता है. भाजपा तमिलनाडु के द्रविड़ तर्क में राष्ट्रवाद की भावना भरने की इच्छा रखती है. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में वाराणसी में आयोजित काशी तमिल संगमम को एक वार्षिक उत्सव के रूप में रेखांकित किया है. संगमम के माध्यम से काशी और तमिल लोगों के बीच हो रहे सांस्कृतिक एकीकरण ने द्रविड़ आंदोलन के मानस पर गहरा प्रभाव डाला है. वाराणसी का यह काशी तमिल संगमम एक पखवाड़े तक चलेगा. इस अवधि में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे, महाकाव्यों का पाठ होगा, गोष्ठियों का आयोजन होगा तथा उत्सव में भाग ले रहे लोग उत्तर प्रदेश के कुछ मंदिरों का भ्रमण करेंगे. भारत के दक्षिणी छोर पर स्थित कन्याकुमारी से वाराणसी के लिए एक नयी रेलगाड़ी चलायी गयी है. यह सब क्यों हो रहा है? क्या केवल उत्तर और दक्षिण को जोड़ने की कवायद हैं?
वास्तव में काशी तमिल संगमम के पीछे एक विशेष राजनीतिक कारण है. वह कारण यह है कि प्रधानमंत्री मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की त्रिमूर्ति ने चुपचाप एक नीति लाने का निर्णय लिया है, जो जम्मू-कश्मीर के लिए निर्धारित अनुच्छेद 370 हटाने जैसा महत्वपूर्ण है. संवैधानिक संशोधन का वह निर्णय 2019 में प्रधानमंत्री मोदी के दूसरे कार्यकाल में संपन्न हुआ था. वर्ष 2024 में भाजपा जीत की तिकड़ी बनाने जा रही है. सरकार के उस तीसरे कार्यकाल में द्रविड़ विचारधारा को प्रभावहीन करने का कार्य होगा. ये तीनों नेता हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यलक्ष्मी नगर करने तथा चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन का नामकरण फिल्म स्टार और राजनेता एमजी रामचंद्रन के नाम पर करने के लिए चुपचाप कार्यरत हैं. संक्षेप में कहें, तो भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी ने यह समझ लिया है कि द्रविड़ अवधारणा तेजी से प्रभावहीन हो रही है.
काशी तमिल संगमम के आयोजन का एक और राजनीतिक कारण है. वह कारण है तेलंगाना में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत. अब समय आ गया है कि भाजपा ‘लुक साउथ’ की नीति को आगे बढ़ाये. कुछ नेताओं ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि दक्षिण कांग्रेस के लिए और उत्तर भाजपा के लिए. यह दिलचस्प है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस सिद्धांत को ध्वस्त कर दिया है. काशी तमिल संगमम कार्यक्रम भारत की सांस्कृतिक विविधता का उत्सव मनाता है तथा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करता है. दो भौगोलिक क्षेत्रों के बीच का काव्यात्मक जुड़ाव केदार घाट पर स्थापित की गयी संत कवि तिरुवल्लुवर की प्रतिमा से प्रतिबिंबित होता है. संगमम में तमिलनाडु से गये प्रतिनिधि वाराणसी की शानदार सांस्कृतिक छटा की अनुभूति कर रहे हैं. भावपूर्ण प्रस्तुतियों के द्वारा साझी संस्कृतियों की कालातीत कथा का वर्णन किया गया, जिससे गंगा के घाटों और पवित्र शहर पर सम्मोहन सा छा गया.
तमिलनाडु के लोगों और राज्य की भाजपा इकाई की ओर से इकाई के अध्यक्ष अन्नामलाई ने कहा कि ‘तिरुक्कुरल’ के 16 अनुदित संस्करणों के लिए समूचा तमिलनाडु प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद ज्ञापन करता है. उल्लेखनीय है कि संत कवि तिरुवल्लुवर की रचनाओं के संग्रह ‘तिरुक्कुरल’ को 10 भारतीय भाषाओं और पांच विदेशी भाषाओं में प्रकाशित करने के साथ-साथ ब्रेल लिपि में भी उपलब्ध कराया गया है ताकि दिव्यांग जनों को भी इस महान संग्रह का लाभ मिल सके. इन संस्करणों का लोकार्पण काशी तमिल संगमम कार्यक्रम में किया गया. अन्नामलाई ने रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री मोदी पिछले वर्ष ‘तिरुक्कुरल’ के 13 और इस वर्ष 16 अनुदित संग्रहों का अनावरण कर तमिल भाषा के प्रति अपने प्रेम और आदर को बार-बार अभिव्यक्त किया है. इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने तमिल व्याकरण की 46 पुस्तकों, संगम साहित्य और ‘मणिमेकलई’ समेत अनेक क्लासिक तमिल पुस्तकों के अनुवादों का लोकार्पण कर तमिल का मान बढ़ाया है.
सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ क्लासिकल तमिल ने पुस्तकों के अनुवाद और प्रकाशन के इस व्यापक कार्य को किया है, जिसमें केंद्र सरकार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा सहयोग किया है. प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमिल और उसकी समृद्ध विरासत का निरंतर मान बढ़ाते रहे हैं. उनकी प्राथमिकता यह है कि सरकार की योजनाओं का लाभ देश के हर नागरिक को मिले और इसमें कोई बाधा न हो. काशी तमिल संगमम के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन का त्वरित अनुवाद आर्टिफिशियल इंटलीजेंस के जरिये करवाया. यह गौरव की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से रियल टाइम में अनुवाद का पहला प्रयोग तमिल भाषा में किया. यह तकनीक सुनिश्चित करेगी कि राष्ट्र के लिए प्रधानमंत्री की दृष्टि अवरोधों को पार कर बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के कोने-कोने में पहुंचे. काशी तमिल संगमम हमारी विविध संस्कृति और गहरे परस्पर संबंधों का उत्सव मनाता है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)