19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

समता की राह दिखाने वाला चिंतक

प्रखर समाजवादी चिंतक किशन पटनायक, यानी किशन जी जैसे लोग प्राय: तिरस्कृत होकर ओझल हो जाते हैं, यह लोकतंत्र के लिए बड़ी चिंता का विषय है.

किशन पटनायक का जीवन एक खुली किताब की तरह है. डॉ लोहिया के सम्यक अहिंसात्मक समाजवादी क्रांति का दर्शन उनकी जीवनशैली, सिद्धांत और कर्म तीनों में समाहित थे. उनका जन्म 30 जून, 1930 को ओडिशा के कालाहांडी में हुआ था. वाणी मंजरीदास नामक आदिवासी महिला से उनका विवाह हुआ. उनका व्यक्तिगत जीवन सदा अभावों में बीता. ओडिशा के संबलपुर लोकसभा क्षेत्र से किशन पटनायक 1962 में निर्वाचित हुए.

सूखाग्रस्त कालाहांडी में अकाल से मरने वालों की संख्या बढ़ रही थी. तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खाद्य मंत्री सी सुब्रमण्यम इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे. कालाहांडी किशन पटनायक के चुनाव क्षेत्र के तहत नहीं था. लेकिन, इस मुद्दे पर बहस के लिए उन्होंने सरकार को बाध्य किया. प्रखर समाजवादी चिंतक किशन पटनायक जैसे लोग प्राय: तिरस्कृत होकर ओझल हो जाते हैं, यह लोकतंत्र के लिए बड़ी चिंता का विषय है.

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाये गये आपातकाल से पहले ही किशन जी भूमिगत हो गये थे. सांसद और संसदीय लोकतंत्र के शिखर राजनीति से वे ओझल हो गये थे और अखिल भारतीय लोहिया विचार मंच के बैनर तले काम करने लगे. 27 सितंबर, 2004 को अंतिम विदाई से पूर्व वे जीवन के अंतिम तीन दशक, समाजवादी विचारधारा को नये सिरे से एक ‘देशज मॉडल’ के रूप में गढ़ने का काम कर रहे थे.

उन्होंने ‘समाजवादी जन परिषद’ नामक संगठन बनाया था और देशभर में घूम-घूम कर नयी पीढ़ी के कार्यकर्ताओं को इसके अनुरूप तैयार कर रहे थे. उन्होंने जनांदोलन को वैकल्पिक राजनीति की दिशा प्रदान की थी, जिसमें प्रखर राजनीतिक विश्लेषक, सामयिक वार्ता के संपादक मंडल के सदस्य योगेंद्र यादव की बड़ी ही महत्वपूर्ण सहभागिता थी.

अखिल भारतीय लोहिया विचार मंच और इसकी राष्ट्रीय कार्यकारणी का महासम्मेलन और समागम इलाहाबाद, पटना, वाराणसी, कोलकाता, मुंबई, रीवा, इटारसी, एर्नाकुलम, दिल्ली, हैदराबाद, नागपुर, राउरकेला आदि दर्जनों स्थानों पर मौके-गर-मौके होते रहे, जिसमें समाजवादी संगठन का विस्तार-प्रसार जोरों से हुआ.

जहां तक किशन पटनायक के दर्शन का प्रश्न है, वह हमें लोकतांत्रिक परिवर्तन की लंबी और कठिन यात्रा के लिए आमंत्रित करता है. लोकतांत्रिक परिवर्तन का मतलब केवल चुनाव और वोट से नहीं है, बल्कि रचना और संघर्ष के रास्ते से है. पहली नजर में यह रास्ता रोमांस और रोमांसहीन दोनों लग सकता है, परंतु अंतिम व्यक्ति को राजनीति का मोहरा नहीं, बल्कि उसकी कसौटी मानने वाला हर क्रांतिकारी जानता है कि टिकाऊ परिवर्तन इसी रास्ते से संभव है.

यह रास्ता इस देश (भारत) की मिट्टी से बना है, रूस, चीन या किसी अन्य समाजवादी देश के मॉडल को दोहराव करने के बजाय क्रांति करने का दुस्साहस पैदा करता है. यह रास्ता भारतीय संदर्भ में एक नये मॉडल को गढ़ने का आमंत्रण देता है. किशन पटनायक की किताबों- भारत में शूद्रों का राज, विकल्पहीन नहीं है दुनिया, बेरोजगारी, शिक्षा-नीति समस्या और समाधान आदि और उनके भाषणों से तो इसी नये मॉडल का रेखाचित्र बनता है.

किशन पटनायक की अवधारणा अनुसार, 21वीं सदी की प्रमुख राजनीतिक चुनौती है- पश्चिमी अमीर देशों का दुनियाभर में बौद्धिक तथा ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था द्वारा शोषण करने की हकीकत को जानना. अगर हम बौद्धिक साम्राज्यवाद का मुकाबला करने के प्रति गंभीर हैं, तो इसके कारणों की व्यापक समझ बनानी होगी. आज तमाम बौद्धिक प्रतिष्ठान, शिक्षातंत्र, स्वतंत्र मीडिया, देशी धन से संचालित संगठन आदि सब बौद्धिक साम्राज्यवाद के वाहक बन कर हमारे सामने खड़े हैं.

तीसरी दुनिया के अधिकांश देशों, जिनमें भारत भी है, साम्राज्यवादी व्यवस्था के चंगुल में फंसता जा रहा है. हमारी तीसरी दुनिया के देश विकास के औद्योगिक सपनों का कब्रिस्तान बन गये हैं. विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व व्यापार संगठन (डंकल प्रस्ताव धारित) तीसरी दुनिया के सारे देशों को औद्योगिकीकरण और प्रौद्योगिकीकरण के एक नये मार्ग पर धकेल रहे हैं. ताकतवर देशों की यह बाध्यता है कि वे अन्य देशों को अपनी नकल में ढालने की कोशिश करें, ताकि अन्य देशों को उनकी नयी मशीनों और उनकी तकनीकी ज्ञान का आयात करना पड़े और उनके सामानों का ये देश बाजार बन जाएं.

आज किशन पटनायक हमारे बीच नहीं है. अन्य समस्याओं के साथ-साथ बौद्धिक साम्राज्यवाद के खतरे की समस्या गहरी होती जा रही हैं. हमें इन चुनौतियों को स्वीकारने और देशज चिंतन को विकसित कर एक सार्थक बहस के जरिये समस्याओं की जड़ तक पहुंचने की आवश्यकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें