विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आगाह किया है कि व्यापक हिंसा को लेकर दुनिया भाग्य भरोसे नहीं रह सकती है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया है कि यूक्रेन युद्ध और गाजा संघर्ष का तुरंत समाधान खोजा जाना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को संबोधित करते हुए भारतीय विदेश मंत्री रेखांकित किया है कि इस विश्व संस्था का हमेशा से मानना रहा है कि शांति एवं विकास साथ-साथ होना चाहिए, पर जब एक के सामने चुनौती आती हैं, तो दूसरे पर समुचित ध्यान नहीं दिया जाता.
उन्होंने आग्रह किया कि कमजोर देशों पर वैश्विक समस्याओं के आर्थिक प्रभाव को समझा जाना चाहिए. संघर्षों और तनावों से जूझती वर्तमान विश्व व्यवस्था में भारत एक ऐसे प्रभावी देश के रूप में उभरा है, जिसे सभी देश बड़ी उम्मीद से देखते हैं. यूक्रेन और गाजा मसले से जुड़े सभी पक्षों ने बार-बार यह निवेदन किया है कि भारत मध्यस्थ की भूमिका निभाये. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा कहा है कि यह समय युद्ध का नहीं, बल्कि शांति का होना चाहिए. जयशंकर ने उचित ही कहा है कि अगर वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करनी है, तो अगुवाई की इच्छा रखने वाले देशों को एक सही आदर्श बनना होगा.
संयुक्त राष्ट्र के बुनियादी सिद्धांतों के लगातार और गंभीर उल्लंघनों को जारी नहीं रखा जा सकता है. एक ओर भारत के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शांति और सहकार की बात कर रहे हैं, तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत के विरुद्ध अपना पुराना राग अलाप रहे हैं. उन्हें आड़े हाथों लेते हुए जयशंकर ने स्पष्ट कहा है कि आतंक और अलगाव की पैरोकारी की कीमत पाकिस्तान को चुकानी पड़ रही है और उसकी समस्याएं अब उसके ही समाज को तबाह कर रही हैं. यह उसकी अपनी ही करनी का फल है. उन्होंने पाकिस्तान से कश्मीर के अवैध कब्जे वाले हिस्से को खाली करने तथा आतंकवाद से दूरी बनाने को कहा है. यह स्थापित सत्य है कि पाकिस्तान की करतूतों से न केवल दक्षिण एशिया, बल्कि समूचा विश्व परेशान रहा है.
सरकार और सेना द्वारा पाले गये आतंकी गिरोह पाकिस्तान के लोगों को भी निशाना बनाते रहे हैं. एक बार फिर जयशंकर ने कहा है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद कभी सफल नहीं हो सकता है और उसे अपनी हरकतों की कीमत चुकानी होगी. भारत आज न केवल राजनीतिक दृष्टि से, बल्कि आर्थिक विकास के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण बनकर उभरा है. जयशंकर ने कहा है कि भारत की उपलब्धियों तथा विकसित राष्ट्र बनने के उसके संकल्प में एक संदेश है तथा इससे दूसरे देशों को प्रेरणा लेनी चाहिए. विश्व के कल्याण के लिए बहुपक्षीय व्यवस्थाओं और संस्थाओं में सुधार का आग्रह भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बिना शांति एवं विकास के लक्ष्यों को पाना संभव नहीं होगा.