महात्मा गांधी की झारखंड यात्रा

गांधीजी ने कई बार काेयला क्षेत्र का दाैरा किया था. इसी क्रम में वे झरिया गये थे. वहां के काेयला मजदूराें की स्थिति से वे दुखित थे.

By अनुज कुमार | October 2, 2020 6:34 AM
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अनुज कुमार सिन्हा, कार्यकारी संपादक, प्रभात खबर. झारखंड

anuj.sinha@prabhatkhabar.in

महात्मा गांधी ने अपनी झारखंड यात्रा (तब बिहार का हिस्सा) 1917 में तब आरंभ की थी, जब चंपारण आंदोलन पर बातचीत के लिए तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर सर एडवर्ड गेट ने उन्हें रांची बुलाया था. उसके बाद जब-जब गांधीजी झारखंड क्षेत्र में आये, उन्हाेंने यहां के आदिवासियाें-मजदूराें काे समझने का प्रयास किया. इसी क्रम में, उन्हाेंने आदिवासियाें आैर मजदूराें के साथ मुलाकात की. उन्हें आदिवासियाें से गहरा लगाव हाे गया था. गांधीजी ने महसूस किया था कि आदिवासी आैर मजदूर बहुत मेहनती हैं, लेकिन शराब के आदी हाेने के कारण उनका उत्थान नहीं हाे रहा. जमशेदपुर, चाइबासा, देवघर, खूंटी, गाेमिया आैर झरिया में दिये गये उनके भाषण इस बात के सबूत हैं कि गांधीजी ने आदिवासियाें आैर मजदूराें काे शराब-नशे से दूर रहने की सलाह दी थी.

आदिवासियाें पर गांधीजी की यात्रा का गहरा असर पड़ा था. टाना भगत ताे गांधीजी के भक्त हाे गये थे. आज भी वे गांधीजी के पक्के अनुयायी हैं आैर सादा जीवन जीते हैं. 1925 में जब गांधीजी ने चाइबासा मंडी में सभा की थी, ताे उन्हाेंने ‘हाे’ आदिवासियाें की टीम से अलग से मुलाकात की थी. गांधीजी काे यह जानकारी थी कि काेल्हान के वीर हाे लड़ाके, अंग्रेजों के खिलाफ लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. वहां, सुखलाल सिंकू आैर रसिका मानकी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई चल रही थी.

जब गांधीजी चाइबासा से रांची लाैट रहे थे, रास्ते में वे खूंटी में रुके थे आैर वहां के मुंडाआें से बातचीत की थी. दरअसल गांधीजी काे भगवान बिरसा मुंडा के संघर्ष के बारे में जानकारी थी आैर वे मुंडाआें के संघर्ष के बारे में अधिक से अधिक जानना चाहते थे. 1934 में, गांधीजी गाेमिया गये थे. वहां हाेपन मांझी, बंगम मांझी आैर लक्ष्मण मांझी, गांधीजी की आजादी की लड़ाई काे गति दे रहे थे.

गाेमिया की सभा में भारी संख्या में संताल आये थे. गांधीजी ने वहां कहा था- आप लाेगाें(संताल) से मिलकर बड़ी खुशी हुई. मैं चाहता हूं कि सभी संताल कताई-बुनाई काे अपना लें. जाे लाेग शराबखाेरी की लत लगा चुके हैं, उनकाे आगे से इस जहर काे बिल्कुल त्याग देना चाहिए. गांधीजी ने कई बार काेल क्षेत्र का दाैरा किया था.

इसी क्रम में वे झरिया गये थे. वहां के काेयला मजदूराें की स्थिति से वे दुखित थे. गांधीजी ने मजदूराें से कहा था- बेहतर हो कि आप श्रमिक बुरी आदताें काे छाेड़ दीजिये. शराब पीना, धूम्रपान करना आैर जुआ खेलना बंद कर दीजिये. ऐसी आदताेें के कारण ही इस धंधे में लगे लाेग, आप श्रमिकाें का शाेषण करते हैं. आपका जीवन खराब करते हैं. श्रमिकाें अाैर टाटा प्रबंधन के बीच समझाैते के लिए साल 1925 में गांधीजी जमशेदपुर गये थे. बाद में मजदूराें की एक सभा में गांधीजी ने कहा था- दाे आैर प्रतिज्ञा आपसे चाहता हूं. शराब शैतान की बनायी हुई चीज है.

मजदूर शराब पीकर बहन, स्त्री और माता का भेद भूल जाता है. शराब पीकर आदमी मुंह से गंदे शब्द बाेलता है. इस शैतान से आप बचें, शराब छाेड़ें. जब 1934 में, गांधीजी दोबारा जमशेदपुर गये, ताे उन्हाेंने कहा था- मैं खुद भी अपने काे मजदूर मानता हूं आैर मैं अपने साथी मजदूराें काे आगाह करता हूं कि आपका सबसे बड़ा शत्रु पूंजी नहीं, बल्कि शराबखाेरी आैर अन्य बुरी आदतें ही हैं. अगर आप शराबखाेरी की लत नहीं छाेड़ेंगे, ताे अंत में यह आपकाे ही मिटा देगी.

देवघर दाैरे के दाैरान भी गांधीजी ने सामाजिक बुराइयाें के मुद्दे काे उठाया था. उन्हें बताया गया था कि 1921-22 में संतालाें के बीच मद्यपान की लत लगभग खत्म हाे गयी थी, लेकिन बाद में फिर शुरु हाे गयी. गांधीजी ने इस प्रश्न का जवाब देते हुए कहा था कि संतालाें में मद्यपान के विरुद्ध बराबर आंदाेलन चलना चाहिए. गांधीजी के ये भाषण बताते हैं कि लगभग साै साल पहले ही गांधीजी ने शराब के प्रति सभी काे आगाह कर दिया था. यह उनकी दूरदृष्टि का एक उदाहरण है.

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