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शर्मनाक है मणिपुर की घटना

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाइ चंद्रचूड़ ने भी सॉलिसिटर जनरल और अटार्नी जनरल को तलब कर जता दिया है कि अब चुप बैठने का समय नहीं है.

मणिपुर के जिस विचलित करने वाले वीडियो की घटना को लेकर हंगामा मचा है, उसकी एक झलक रूह को कंपा देने के लिए काफी है. यकीन करना मुश्किल है कि आज की दुनिया में भी ऐसी घटनाएं हो सकती हैं. अपराधियों की उस भीड़ के दुस्साहस को देख कोई कह सकता है कि वे इंसान नहीं जानवर हैं. लेकिन यह ऐसी घटना है, जिसे देख लगता है कि इंसानों से ज्यादा शरीफ जानवर हैं.

इस घटना से आहत और नाराज प्रधानमंत्री मोदी ने ठीक कहा है कि मणिपुर की बेटियों के साथ हुई इस घटना ने 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार किया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाइ चंद्रचूड़ ने भी सॉलिसिटर जनरल और अटार्नी जनरल को तलब कर जता दिया है कि अब चुप बैठने का समय नहीं है. उन्होंने केंद्र और मणिपुर सरकार से कह दिया है कि या तो अपराधियों को दंड दें, या फिर वे हट जाएं और अदालत को जरूरी कदम उठाने दें.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है कि दोषियों को फांसी की सजा तक देने पर विचार किया जायेगा. मणिपुर पुलिस ने सेनापति जिले की इस घटना के मुख्य अभियुक्तों में से एक को गिरफ्तार कर लिया है. सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक स्वर में इस घटना को लेकर सख्त कार्रवाई की मांग की है. इन सबके बीच इस्तीफे की मांग, सत्ताधारी दल को दोषी ठहराने और आरोप-प्रत्यारोप का पुराना राग भी सुनाई दिया है.

यह ऐसी घटना है जिसने खास से लेकर आम इंसान के मन में एक आक्रोश भर दिया है. पीड़ा, क्रोध, निंदा से भरी ऐसी त्वरित प्रतिक्रियाएं स्वाभाविक हैं. अपराधियों को शायद पकड़ भी लिया जायेगा और उन्हें सजा भी मिल जायेगी. मगर, यह एक घटना भर बन कर न रह जाए, इसके लिए शांत मन से विचार करना जरूरी है. मसलन, अगर यह वीडियो वायरल न होता, तो क्या दो महीने पुरानी इस घटना पर ऐसा हंगामा होता?

पिछले दिनों मध्य प्रदेश में एक आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करने वाले एक व्यक्ति के वीडियो आने के बाद ही हंगामा हुआ था. फर्ज करें कि केवल ऐसी घटनाएं हों, और उनका वीडियो न आये, तो क्या अपराधी पकड़े जायेंगे? जाहिर है, समस्या बहुत बड़ी है. आदर्श स्थिति तो यह है कि अपराधी अपराध करना बंद कर दें. मगर यह तो मुमकिन है नहीं. इसलिए आज के समय में सबसे जरूरी यह है कि चाहे वह एक अपराधी हो, या अपराधियों की भीड़, उसके मन में कानून और समाज का डर होना चाहिए. वहीं हर देशवासी के मन में यह विश्वास होना चाहिए कि यदि किसी कमजोर के साथ जुल्म होता है तो कानून, सरकार और समाज इंसाफ की लड़ाई में उसका साथ देंगे.

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