20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ब्रिटेन में हिंदू-मुस्लिम तनाव के मायने

ब्रिटेन में हो रहा हिंदू-मुसलमान का झगड़ा दरअसल सिर्फ दो समुदायों के बीच की लड़ाई नहीं है, इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय ताकतें हैं, जो भारत और पाकिस्तान के विवाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बरकरार रखने की कोशिशों में जुटी हुई हैं

ब्रिटेन में हो रहा हिंदू-मुसलमान का झगड़ा दरअसल सिर्फ दो समुदायों के बीच की लड़ाई नहीं है, इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय ताकतें हैं, जो भारत और पाकिस्तान के विवाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बरकरार रखने की कोशिशों में जुटी हुई हैं. भारत और पाकिस्तान दोनों को ब्रिटेन से आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं. इन सालों में इन दोनों देशों की कई पीढ़ियां ब्रिटेन में गुजर चुकी हैं.

जब ब्रिटेन महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार की तैयारी में लगा था, तब यहां के कुछ शहरों में तनाव सुलग रहा था. इसका नतीजा महारानी की अंतिम यात्रा के दो दिन पहले से साफ दिखने लगा, जब इंग्लैंड के पूर्वी मिडलैंड्स में स्थित लेस्टर शहर में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच झड़प हुई. इसके पीछे तात्कालिक कारण भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच में भारत की जीत का जश्न था. झड़प के खिलाफ प्रदर्शन हुए और फिर हिंसा भड़क गयी.

दोनों पक्ष एक-दूसरे पर हमला कर रहे थे, जिसे रोकने में करीब डेढ़ दर्जन पुलिसकर्मी घायल हुए. अब तक 47 लोगों को हिरासत में लिया गया है. साथ ही, 21 साल के युवक युसूफ को चाकू रखने के लिए एक साल की सजा भी हो गयी है. उसने स्वीकार किया कि वह सोशल मीडिया से प्रभावित होकर चाकू लेकर प्रदर्शन में शामिल हुआ था. लेस्टर पुलिस ने सोशल मीडिया से प्रभावित एक और प्रदर्शनकारी को जेल भेजा है.

लेस्टर ब्रिटेन के उन शहरों में है, जहां सबसे ज्यादा गैर ब्रिटिश आबादी रहती है. लगभग 37 फीसदी लोग दक्षिण एशियाई मूल के हैं और इनमें से ज्यादातर भारतीय मूल के हैं. पचास साल से ज्यादा वक्त से यहां सभी समुदाय के लोग सौहार्द से रहते आये हैं. इस घटना के बाद यहां के भारतीय और पाकिस्तानी मूल के व्यवसायी चिंतित हैं. इलाके के सांसद के लिए भी यह घटना सदमे से कम नहीं है. लेस्टर दक्षिण के सांसद जोनाथन ऐशवर्थ ने कहा कि लेस्टर के ज्यादातर लोग एकजुट हैं और मिल-जुल कर रहते हैं.

यहां जो छिटपुट घटनाएं हुई हैं, उनसे यहां के दो बड़े समुदाय प्रभावित हुए हैं, हम इससे हिल गये हैं. भारतीय उच्चायोग ने सोमवार को जारी बयान में कहा, ‘हम लेस्टर में भारतीय समुदाय के खिलाफ हुई हिंसा और हिंदू धार्मिक परिसरों एवं प्रतीकों की तोड़फोड़ की कड़ी निंदा करते हैं,’ लेकिन बात यहीं नहीं रुकी,

महारानी की अंतिम यात्रा के दिन बर्मिंघम से सटे एक छोटे से शहर स्मिथविक में एक मंदिर के बाहर मुस्लिम समुदाय ने प्रदर्शन की योजना बनायी और उसे सोशल मीडिया पर प्रचारित कर दिया. शहर के हिंदुओं ने पुलिस को सूचना दी और प्रदर्शन का विरोध किया, लेकिन सैकड़ों की तादाद में मुस्लिम युवक मंदिर के बाहर जमा हुए, मंदिर की दीवारों पर चढ़े, हाथापाई की, अल्लाह हो अकबर के नारे लगाये. इन हरकतों के वीडियो वायरल हो गये. पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए कई लोगों को हिरासत में भी लिया है.

तो क्या यह माना जाए कि जिन ब्रिटिश शहरों में अचानक दो समुदायों के बीच झड़प हुई, वह महज एक छोटी प्रतिक्रिया थी या फिर कुछ अंदर ही अंदर ही पक रहा है? लेस्टर में प्रवासियों में सबसे ज्यादा भारतीय मूल के हिंदुओं की आबादी है और स्मिथविक, जहां घटना घटी है, से सटे बर्मिंघम में सबसे ज्यादा मुसलमान प्रवासियों की तादाद है. अधिकारियों ने अपने बयानों में साफ कहा है कि दोनों शहरों में दूसरे शहरों से आये लोगों ने माहौल को भड़काने का काम किया है.

महारानी के निधन के बाद शोक में डूबे ब्रिटेन में एक तरह से सब कुछ स्थिर हो गया था. लोग एक जगह से दूसरी जगह सफर करने से भी परहेज कर रहे थे. वैसे में ऐसे तत्वों को मौका मिला और उन्होंने अपने अपने समुदाय के लोगों को भड़काने का काम किया. निश्चित तौर पर इस तनाव की जड़ में एशिया के दो मुल्कों से आये वे प्रवासी हैं, जो पिछले कुछ समय से ब्रिटेन में अपने-अपने देशों से तनाव और आक्रामकता लेकर आ रहे हैं.

साथ ही, कुछ और चीजों पर नजर रखने की जरूरत है. पूरी दुनिया में ऐसी घटनाओं के लिए सोशल मीडिया और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफार्म फेक न्यूज फैलाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहे हैं. पूर्वी लेस्टर सीट से सांसद क्लॉडिया वेबी, चीफ कॉन्सटेबल रॉब निक्सन समेत लेस्टर के मेयर सर पीटर सोल्सबी ने भी साफ कहा है कि शहर में तनाव भड़काने में जिस एक चीज की भूमिका सबसे खतरनाक रही है, वह है सोशल मीडिया. ट्विटर पर घूम रहे वीडियो इस हिंसक माहौल के लिए गंभीर रूप से जिम्मेदार हैं.

जैसे एक वीडियो में एक व्यक्ति को मंदिर पर चढ़ कर झंडा नीचे गिराते हुए देखा जा सकता है. अगर यह प्रचारित नहीं होता, तो लोगों में शायद इतनी प्रतिक्रिया नहीं होती. फिर जब इन घटनाओं की और तह में जाते हैं और यहां रह रहे भारतीय मूल के लोगों से बात करते हैं, तो कुछ चीजें साफ दिखती हैं. एक बात पर सभी जोर देते हैं, चाहे वे लंदन सदक के मेयर सुनील चोपड़ा हों या फिर बकिंघमशर के काउंसिलर शरद झा, कि पिछले एक दशक में भारत की हो रही प्रगति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों के लिए चुनौती बन रही है.

पिछले कुछ समय से अपने आंतरिक मामलों में भारत ने दूसरे देशों को हस्तक्षेप करने से साफ मना किया है, इससे भी दुनिया का एक धड़ा भारत से चिंतित दिखने लगा है. इसी का परिणाम है कि ब्रिटेन जैसे देश में, जहां भारतीय सद्भाव और सुरक्षा से रहते आये हैं, वहां भी उनके खिलाफ मोर्चे खोले जा रहे हैं.

मतलब साफ है कि ब्रिटेन में हो रहा हिंदू-मुसलमान का झगड़ा दरअसल सिर्फ दो समुदायों के बीच की लड़ाई नहीं है, इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय ताकतें हैं, जो भारत और पाकिस्तान के विवाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बरकरार रखने की कोशिशों में जुटी हुई हैं. भारत और पाकिस्तान दोनों को ब्रिटेन से आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं. इन सालों में इन दोनों देशों की कई पीढ़ियां ब्रिटेन में गुजर चुकी हैं.

इन दोनों मुल्कों से आये लोग यहां के व्यापार और राजनीति में अपना मुकाम बना चुके हैं, लेकिन ऐसी घटनाएं पिछले कुछ सालों से ही देखने में आ रही हैं, खास कर तब से जब से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि एक अंतरराष्ट्रीय मजबूत नेता के तौर पर उभरी है. जाहिर है कि भारत की प्रगति और नरेंद्र मोदी की मजबूती पाकिस्तान और दूसरे पड़ोसी मुल्कों के सियासतदानों को रास नहीं आ रहा है. इसलिए इन घटनाओं को एक बड़े अंतरराष्ट्रीय स्तर की साजिश की कसौटी पर कसने और उसका आकलन करने की जरूरत है. निश्चित तौर पर यह महज दो समुदायों की झड़प तक का मामला नहीं है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें