दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी-20 की अध्यक्षता भारत के लिए एक अहम मौका है. इसे रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत को वैश्विक हित पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए तथा देश की विविधता को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए. इस समूह के सदस्य देशों के वरिष्ठ कूटनीतिकों के समक्ष भारत ने अपनी प्राथमिकताओं को रखा है, जिसमें डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, जलवायु संबंधी कार्यवाही, स्वच्छ ऊर्जा, सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति और बहुपक्षीय सुधार आदि आवश्यक विषय शामिल हैं.
अंडमान एवं निकोबार द्वीप पर हुई इस बैठक में सदस्य देशों, अतिथि देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 40 राजदूत, उच्चायुक्त एवं प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया है. भारत के ओर से जी-20 अध्यक्षता के प्रभारी अमिताभ कांत ने इस अवसर पर बाली में दिये गये प्रधानमंत्री मोदी के वक्तव्य का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत की अध्यक्षता समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्योन्मुख होगी. आगामी एक दिसंबर से औपचारिक रूप से अध्यक्षता का एक वर्षीय कार्यकाल प्रारंभ हो रहा है.
पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्द्धन शृंगला जी-20 के मुख्य समन्वयक बनाये गये हैं. अगले साल के अंतिम हिस्से में जी-20 का शिखर सम्मेलन आयोजित किया जायेगा. इस एक साल में कई तरह की बैठकें होंगी, जिसमें सदस्य और अतिथि देशों के मंत्री, अधिकारी, उद्यमी, कारोबारी आदि भागीदारी करेंगे. बीते कुछ वर्षों से प्रधानमंत्री मोदी ने देश के अलग-अलग शहरों में राष्ट्राध्यक्षों एवं शासनाध्यक्षों का स्वागत करने की नवीन परंपरा का प्रारंभ किया है.
मंत्रिस्तरीय बैठकें तथा बहुपक्षीय आयोजन भी अब अक्सर अन्य शहरों में होने लगे हैं. इस परंपरा से आयोजन स्थलों के विकास में तो सहायता मिलती ही है, साथ ही अन्य देशों से आये प्रतिनिधि भारत की व्यापकता, समृद्ध विरासत तथा सांस्कृतिक विविधता से भी परिचित होते हैं. जी-20 के आयोजनों को भी देश के कई शहरों में करने की योजना है, जिसकी एक अच्छी शुरुआत अंडमान से हुई है. दुनिया अनेक संकटों का सामना कर रही है. महामारी से उबरने के प्रयास हो ही रहे थे कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने ऊर्जा और खाद्य संकट जैसी मुश्किलों को ला खड़ा किया है.
अनेक देश गृहयुद्ध की चपेट में हैं, तो युद्ध की आशंकाएं भी हैं. जलवायु परिवर्तन की चुनौती मानवता के अस्तित्व के लिए ही प्रश्नचिन्ह बन चुकी है. कारोबारी संबंधों पर भू-राजनीतिक तनावों का घना साया है. ऐसी स्थिति में जी-20 समाधान की राह निकालने का प्रभावशाली मंच साबित हो सकता है.