जब मैं यह लिख रही हूं तो मैं उन 154 कोड़ों का दर्द महसूस कर रही हूं, जिन्हें ईरान में नरगिस मोहम्मदी को मारने का आदेश दिया गया था. महिलाओं के अधिकारों के लिए बोलने वाली नरगिस निर्वासन में हैं, और अब दुनिया भर की उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं जो हिंसा के कई रूपों से लड़ रही हैं. ये हिंसा उनके अस्तित्व, उनके जीवन और उनके व्यक्तित्व को निशाने पर रखती है. दुनिया के लिए यह जानना जरूरी है कि ताकतवर से ताकतवर शासक भी महिलाओं की आजाद आवाज से डरता है. धर्म का इस्तेमाल महिलाओं की स्वतंत्रता को कम करने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जाता रहा है. राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल महिलाओं की आजादी और आवाज को दबाने के लिए किया जाता रहा है. नरगिस मोहम्मदी तेहरान की एविन जेल में कई सजाएं काट रही हैं. सरकार के हिंसक रवैये के खिलाफ उनकी लड़ाई को यह आरोप लगाकर ढकने की कोशिश होती है, कि वह राज्य के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही हैं.
नरगिस भौतिकी में डिग्री रखती है और एक इंजीनियर होने के साथ एक सक्रिय सुधारवादी लेखक हैं. वह अपने देश में महिलाओं के बुनियादी मानवाधिकारों की सशक्त आवाज रही हैं. वह महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ तथा मौत की सजा के खिलाफ तन कर खड़ी रही हैं. वह हर रोज हर जगह महिलाओं के विरुद्ध होने वाली यौन हिंसा के खिलाफ भी लड़ती रहती हैं. वह महिलाओं के लिए अनिवार्य हिजाब को लेकर भी आलोचना करती रही हैं क्योंकि वह मानती हैं कि यह महिलाओं के उस बुनियादी मानव अधिकार पर हमला है जो उन्हें यह अधिकार देता है कि वह अपनी राह खुद चुन सकें.
ईरान की महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई के लिए निर्वासन में नरगिस मोहम्मदी को वर्ष 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाना यह संदेश देता है कि महिला मानवाधिकार और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की महिलाओं की जंग केवल उनका अकेला युद्ध नहीं है बल्कि यह लड़ाई दुनिया को एक साथ लड़नी होगी. ‘नफरत आहत करती है’- नोबेल पुरस्कार दुनिया को यह संदेश देता है. एक महिला के रूप में यह सही समय है कि हर महिला उस ताकत का जश्न मनाए जो इस महिला ने घृणा के खिलाफ दिखायी है और ईरान में मानवाधिकारों और महिला अधिकारों के लिए बोलने और लड़ने के लिए जेल में रहते हुए इस पुरस्कार के लिए चुनी गयी हैं. नरगिस के शब्दों में ‘वे मुझे फिर से जेल में डाल देंगे, लेकिन मैं तब तक अपनी मुहिम नहीं रोकूंगी जब तक कि मेरे देश में मानवाधिकार और न्याय की जीत न हो जाए’.
नरगिस अपने नाम के शाब्दिक अर्थ के हिसाब से भी कितनी सच्ची तस्वीर लगती हैं. इसका अर्थ है एक सुंदर फूल जो एक सुंदर आंख की तरह दिखता है. वह वास्तव में सत्य शांति और शक्ति की सुंदर आंख बन जाती हैं, जो हर स्तर पर महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार, चरमपंथ, हिंसा और वशीकरण के अंधेरे की आंखों में आंखें डाल कर बात करती हैं. ईरान में निर्वासन में रह रहीं नरगिस मोहम्मदी को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार उन शासकों, लोगों, विचारधाराओं और विचारों के किसी भी लश्कर के लिए एक संदेश है जो महिलाओं के मानवाधिकारों को कुचलने की कोशिश करते रहते हैं. यह शांति पुरस्कार दुनिया भर की सभी महिलाओं को भी एक पैगाम देता है कि वे चीखने और चिल्लाने की हिम्मत करें.
वे हिंसा के खिलाफ विरोध का नेतृत्व करें और किसी भी रूप में कहीं भी महिलाओं के खिलाफ किसी भी हिंसा के खिलाफ बुलंद आवाज बनकर महिलाओं के जीवन में बदलाव की बयार बनें. यह उन सभी महिलाओं के प्रयासों और बहादुरी को सलाम है, जो जानती हैं कि उन्हें चाहे जितना दबाया जाए, धमकाया जाए, पीटा जाए, कैद में डाल दिया जाए, लेकिन फिर भी महिलाओं के मानवाधिकारों की आवाज बंद नहीं की जा सकती है. यहां तक कि अगर आपको नरगिस की तरह 154 बार कोड़े मारे जायें या 13 बार गिरफ्तार किया जाए या पांच बार दोषी ठहरा कर सजा दी जाए, तब भी आपको आगे बढ़ना होगा और दुनिया में कहीं भी भविष्य की लड़कियों के लिए रास्ता बनाना होगा. आप खुद अपना संदेश बन जाते हैं और जो जीवन आपको मिला है उसमें यही आपका योगदान है. महिला अधिकार मानवाधिकार हैं और मानवता तभी प्रबल होगी जब महिला अधिकार प्रबल होंगे.
(ये लेखिका के निजी विचार हैं)