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चिंता बढ़ातीं धमकियां

National and international flights disrupted : नागरिक उड्डयन मंत्रालय विभिन्न उपायों पर विचार कर रहा है, ताकि ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके. दोषियों को हवाई यात्राओं पर पाबंदी लगाने के संबंध में भी चर्चा हो रही है. भारत उन देशों में है, जो विमानों के अपहरण और आतंकी हमलों के भुक्तभोगी रहे हैं.

National and international flights disrupted : बम होने की झूठी धमकियों के कारण इस सप्ताह 90 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बाधित हुई हैं. शनिवार को 30 और रविवार को 20 से अधिक विमानों को बम से उड़ाने की धमकी दी गयी. इन उड़ानों को या तो बीच में उतारना पड़ा या उनका रास्ता बदला गया. हालांकि जांच में कोई बम बरामद नहीं हुआ है, पर ऐसी धमकियों से विमानों के परिचालन में मुश्किलें बढ़ गयी हैं. यात्रियों एवं कर्मियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है.

जांच के लिए विमानों को हवाई अड्डों के सुरक्षित इलाकों में ले जाना पड़ रहा है. जांच के दौरान यात्रियों को विमान में ही बैठे रहना पड़ रहा है. उड़ानों की प्रतीक्षा कर रहे लोगों को भी हवाई अड्डों पर देर तक रुकना पड़ रहा है. तमाम हवाई अड्डों पर सुरक्षा व्यवस्था को मुस्तैद किया गया है. सभी धमकियां सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों, विशेष कर एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर दी गयी हैं. दिल्ली एवं अन्य महानगरों की पुलिस इन मंचों के संपर्क में हैं. कुछ संदिग्धों को चिह्नित भी किया गया है. दिल्ली पुलिस के साइबर सेल और इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस भी जांच में सहयोग दे रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि डिजिटल पहचान को छुपाने वाली तकनीकों के इस्तेमाल से सोशल मीडिया में अकाउंट खोल कर धमकियां दी जा रही हैं.

नागरिक उड्डयन मंत्रालय विभिन्न उपायों पर विचार कर रहा है, ताकि ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके. दोषियों को हवाई यात्राओं पर पाबंदी लगाने के संबंध में भी चर्चा हो रही है. भारत उन देशों में है, जो विमानों के अपहरण और आतंकी हमलों के भुक्तभोगी रहे हैं. इसलिए ऐसी धमकियों को बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है तथा समुचित सुरक्षा उपाय किये जा रहे हैं. आशा है कि जांच से दोषियों की पहचान की जा सकेगी और उन्हें दंडित किया जायेगा. इन घटनाओं ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग से जुड़ी चिंताओं को और बढ़ा दिया है. उल्लेखनीय है कि हमारे देश में साइबर अपराध की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे अपराधों में घरेलू अपराधी भी शामिल हैं और बाहर के भी.

साइबर सुरक्षा के मौजूदा उपाय अपेक्षित रूप से कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस महकमे को आवश्यक संसाधन एवं प्रशिक्षण मुहैया कराया जाना चाहिए. साथ ही, सोशल मीडिया के मंचों, मोबाइल, कंप्यूटर एवं इंटरनेट सेवा से जुड़ी कंपनियों तथा शासकीय विभागों के बीच बेहतर समन्वय समय की मांग है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डार्क वेब, वीपीएन आदि के दुरुपयोग को लेकर जो चिंताएं जतायी जा रही हैं, उनके समाधान पर जोर देने की जरूरत है. यह भी पता लगाया जाना चाहिए कि कहीं इन धमकियों का उद्देश्य उड्डयन क्षेत्र के विकास को बाधित करना तो नहीं है.

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