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राष्ट्रीय वाइ-फाइ ग्रिड

इससे आप स्मार्टफोन एप के माध्यम से देश के दूरदराज इलाकों और सघन शहरी इलाकों में हाइस्पीड इंटरनेट का लाभ ले सकेंगे.

By संपादकीय | December 11, 2020 9:43 AM

नब्बे के दशक में पीसीओ का चलन शुरू हुआ था, उससे कुछ ही वर्षों के भीतर पूरा देश न्यूनतम लागत में तथा निर्बाध तरीके से सार्वजनिक फोन कनेक्टिविटी से जुड़ गया. आज के डिजिटल दौर में ऐसी ही क्रांति इंटरनेट के मामले में महसूस की जा रही है. मोबाइल फोन के माध्यम से इंटरनेट देश के दूर-दराज इलाकों में पहुंच चुका है, लेकिन, सिग्नल आदि तकनीकी अड़चनों के कारण इंटरनेट सेवाओं से जुड़ी शिकायतें आम हैं. मौजूदा जरूरतों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने देशभर में लाखों वाइ-फाइ हॉटस्पॉट शुरू करने का फैसला किया है. हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा पब्लिक एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (वानी) को मंजूरी दी गयी है.

डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के मकसद से पब्लिक वाइ-फाइ हॉटस्पॉट का प्रस्ताव टेलीकॉम नियामक संस्था ट्राइ द्वारा दिया गया था. इससे आप स्मार्टफोन एप के माध्यम से देश के दूरदराज इलाकों और सघन शहरी इलाकों में हाइस्पीड इंटरनेट का लाभ ले सकेंगे, अमूमन ऐसी जगहों पर खराब सिग्नल की शिकायत रहती है. इसके लिए आपको मामूली रकम का भुगतान करना होगा. एक बार रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होगी और फिर आप देश में कहीं भी ‘वानी’ नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकेंगे.

इससे कस्बों और ग्रामीणों क्षेत्रों में लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बनेंगे. सरकारी सेवाओं को सुलभ और पारदर्शी बनाने में डिजिटल मुहिम सबसे कारगर है. जीएसटी की शुरुआत डिजिटल ऑपरेटिंग फ्रेमवर्क पर की गयी. हेल्थ रिकॉर्ड को डिजिटलीकृत करने की कवायद चल रही है, ताकि इसे अधिक सुविधाजनक तथा विश्वसनीय बनाया जा सके. राशन कार्ड, तमाम तरह की सब्सिडी और सरकारी योजनाओं के सफल संचालन में डिजिटल माध्यम कहीं अधिक प्रभावी हैं.

आधार से सेवाओं को जोड़ने से भारत की डिजिटल मुहीम कामयाब हो रही है. ई-कॉमर्स ने जहां शहरी क्षेत्र में लोगों को कई तरह ही सहूलियत दी है, तो वहीं देश के गांवों-कस्बों के छोटे उद्यमियों और कामगारों के लिए यह भविष्य का सबसे सशक्त बाजार है. हथकरघा उद्योगों के उत्पादों के लिए यह नयी राह बन सकता है. साथ ही पैकेजिंग, डिलीवरी, लॉजिस्टिक्स जैसे अनेक क्षेत्रों के लिए इंटरनेट सेवाएं उत्प्रेरक बन सकती हैं. अनेक हिस्सों में ब्रॉडबैंड की स्पीड संतोषजनक नहीं है.

सर्वर की क्षमता से जुड़ी समस्याएं अक्सर सार्वजनिक कार्यों में बाधक बनती हैं, बैंकों की यह नियमित समस्या है. इसका स्थायी समाधान जरूरी है. डिजिटल क्रांति का सीधा संबंध आर्थिक विकास, रोजगार और मानव विकास से जुड़ा हुआ है. भारत में डिजिटल असमानता के चलते 40 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट सेवाओं से दूर हैं. गांवों में रहनेवाली देश की 60 फीसदी से अधिक आबादी को डिजिटलीकरण की प्रक्रिया से जोड़ने के लिए कृषि, शिक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य देखभाल समेत अनेक क्षेत्रों तक इंटरनेट की पहुंच सुनिश्चित करना होगा, क्योंकि बदलती दुनिया में तरक्की का यह अहम साधन है.

Posted by : Pritish Sahay

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