18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

साझा नौसैनिक अभ्यास

हिंद-प्रशांत के लोकतंत्रों का एकजुट होना तथा साझा सुरक्षा चिंताओं के लिए अापसी सहयोग करना क्षेत्रीय शांति के लिए आवश्यक है.

इस हफ्ते बंगाल की खाड़ी में चार प्रमुख नौसेनाओं का साझा अभ्यास शुरू हुआ. मालाबार नौसेना अभ्यास का 24वां संस्करण कई मायनों में खास भी है. इस बार चतुष्क देशों- भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाएं बेहतर तालमेल और आपसी समन्वय के उच्च स्तर को प्रदर्शित करेंगी, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र की भू-राजनीति में चतुष्क की उभरती ताकत का स्पष्ट संदेश भी होगा. चारों देशों की एकजुटता और भागीदारी यह भी इंगित करती है कि समुद्री सुरक्षा को पुख्ता बनाने और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुपालन को लेकर नयी दिल्ली की राजनीतिक इच्छाशक्ति कहीं अधिक मजबूत है.

मालाबार अभ्यास के पहले चरण में सतह, पनडुब्बी और वायुसेना रोधी ऑपरेशन जैसे जटिल और उन्नत नौसैनिक अभ्यास होंगे. इसमें क्रॉस-डेक फ्लाइंग और वीपन फायरिंग ऑपरेशन आदि गतिविधियां चारों नौसेनाओं के आपसी तालमेल को मजबूत बनायेंगी. इस नौसैनिक अभ्यास की शुरुआत साल 1992 में भारत और अमेरिका की नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के तौर पर हुई थी.

साल 2015 में जापान भी इस अभ्यास का नियमित हिस्सा बना. इस बार ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के शामिल होने से सभी चतुष्क देशों के बीच रक्षा सहयोग और समुद्री सुरक्षा की नयी शुरुआत हो रही है. यह अभ्यास दो चरणों में होगा. पहले चरण की शुरुआत विशाखापत्तनम के समीप हुई है और इस महीने के मध्य में इसका दूसरा चरण अरब सागर में संपन्न होगा. हालांकि, कोविड-19 प्रोटोकॉल के मद्देनजर जरूरी एहतियात भी बरते जा रहे हैं. भारत हमेशा से अंतरराष्ट्रीय नियमों और समुद्र में नौपरिवहन की स्वतंत्रता का तरफदार रहा है.

क्षेत्रीय अखंडता तथा सभी देशों की संप्रभुता को बरकरार रखने में इन चतुष्क देशों की आपसी साझेदारी ज्यादा अहम है. इन्हीं उद्देश्यों के तहत रक्षा सहयोग की दिशा में ये सभी देश तत्पर हुए हैं. पिछले महीने 2+2 संवाद के दौरान भी भारत और अमेरिका ने मालाबार अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया के शामिल होने पर खुशी जाहिर की थी. पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के बीच यह अभ्यास चीन के लिए स्पष्ट संदेश भी है, जिसने समुद्री क्षेत्र में भी अपनी विस्तारवादी हरकतों से कई देशों के साथ तनाव पैदा किया है. बीजिंग दक्षिणी चीन सागर के लगभग 13 लाख वर्ग मील को अपने संप्रभु क्षेत्र के रूप में दावा करता है. चीन इस इलाके में कई सैन्य बेस और कृत्रिम द्वीप भी बना रहा है.

इसी वजह से ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम कड़ा विरोध जता रहे हैं. प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न इस समुद्री क्षेत्र में चीन ने अपनी वाणिज्यिक गतिविधियां तेज की हैं, जिस पर कई पड़ोसी देशों ने कड़ा प्रतिरोध जताया है. ऐसे हालात के मद्देनजर हिंद-प्रशांत के लोकतंत्रों का एकजुट होना तथा साझा सुरक्षा चिंताओं के लिए अापसी सहयोग करना क्षेत्रीय शांति के लिए आवश्यक है. हिंद महासागर समेत अन्य समुद्री क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को कायम रखने के लिए नौपरिवहन की स्वतंत्रता बाधित नहीं होनी चाहिए. इसी में सभी देशों का हित है.

Postes by: pritish sahay

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें