डॉ. जयंती लाल भंडारी, अर्थशास्त्री
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेस (एआइ) पर पांच दिवसीय वैश्विक डिजिटल शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कृषि, शिक्षा, शहरी बुनियादी अधोसंचरना और आपदा प्रबंधन के तंत्र को मजबूत करने के लिए एआइ को प्रभावी बनाया जाना जरूरी है. भारत में एआइ की उपयोगिता बढ़ाकर आर्थिक और सामाजिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है. देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था के तहत विदेशी निवेश आने का सुकूनभरा परिदृश्य उभर रहा है. कोरोना महामारी के बीच डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए अप्रैल से जुलाई, 2020 के बीच 16.26 अरब डॉलर का एफडीआइ आया है. अमेरिकी टेक कंपनियां भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि तथा रिटेल के इ-कॉमर्स बाजार में निवेश कर रही हैं.
वस्तुतः देश के डिजिटल क्षेत्र में विदेशी निवेश के पीछे कई कारण हैं. लॉकडाउन में ऑनलाइन एजुकेशन तथा वर्क फ्रॉम होम, इंटरनेट के बढ़ते उपयोगकर्ता, सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण, जनधन खातों में लाभार्थियों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से भुगतान, प्रति व्यक्ति डेटा खपत तथा मोबाइल ब्रॉडबैंड ग्राहकों की तादाद बढ़ना प्रमुख कारण हैं. डिजिटल भुगतान उद्योग, इ-कॉमर्स तथा डिजिटल मार्केटिंग जैसे सेक्टर तेजी से उभर रहे हैं. देशभर में डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता स्वेच्छा से बढ़ी है. लॉकडाउन के कारण घरों पर रहते हुए लोगों ने इ-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग को जीवन का अंग बना लिया. अब अनलॉक में भी लोग भीड़भाड़ से बचने के लिए ऑनलाइन ऑर्डर कर रहे हैं.
जैसे-जैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था डिजिटल हो रही है, वैसे-वैसे रोजगार बाजार का परिदृश्य बदल रहा है. स्थिति यह है कि भविष्य में कई रोजगार ऐसे भी होंगे, जिनके नाम हमने अब तक सुने भी नहीं हैं. ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के चलते जहां कई क्षेत्रों में रोजगार कम हो रहे हैं, वहीं डिजिटल अर्थव्यवस्था में रोजगार बढ़ रहे हैं. इस क्षेत्र में भारतीय प्रतिभाओं के लिए मौके केवल देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कोने-कोने में भी होंगे. कुछ समय पहले विश्व बैंक सहित कुछ संगठनों ने वैश्विक रोजगार से संबंधित रिपोर्टों में कहा है कि आगामी 5-10 वर्षों में, जहां दुनिया में कुशल श्रमबल का संकट होगा, वहीं भारत के पास कुशल श्रमबल अतिरिक्त संख्या में होगा.
ऐसे में भारत कई विकसित और विकासशील देशों में कुशल श्रमबल भेजकर फायदा उठा सकेगा. सरकार ने डिजिटलीकरण के उद्देश्य से नीतिगत स्तर पर कई सराहनीय कदम उठाये हैं, लेकिन अभी इस दिशा में बहुआयामी प्रयासों की जरूरत है. अभी बुनियादी जरूरतों से संबंधित कमियों को दूर करना है. ग्रामीण आबादी का एक बड़ा भाग अभी भी डिजिटल रूप से अशिक्षित है. अतएव, ग्रामीणों को इसके लिए शिक्षित-प्रशिक्षित करना होगा. चूंकि, बिजली डिजिटल अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण जरूरत हैं, अत: ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की पर्याप्त पहुंच होनी चाहिए.
अभी ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास डिजिटल पेमेंट के तरीकों से भुगतान के लिए बैंक-खाता, इंटरनेट की सुविधा युक्त मोबाइल फोन या क्रेडिट-डेबिट कार्ड की सुविधा नहीं है. अत: ऐसी सुविधाएं बढ़ाने का जोर देना होगा. चूंकि, डिजिटल भुगतान के समय होनेवाली ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटनाओं के कारण बड़ी संख्या में ग्रामीणों का ऑनलाइन लेनदेन में अविश्वास बना हुआ है, अतएव इसके लिए सरकार को साइबर सुरक्षा मजबूत करनी होगी. डिजिटलीकरण के लिए मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड बढ़ाना जरूरी है. मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड टेस्ट करनेवाली वैश्विक कंपनी ओकला के मुताबिक अप्रैल, 2020 में मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड के मामले में 139 देशों की सूची में भारत 132वें पायदान पर है. ऐसे में, भारत को रोजगार के मौकों का फायदा लेने के लिए मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड को बढ़ाने के अधिकतम प्रयास करने होंगे.
अभी सीमित संख्या में ही कौशल प्रशिक्षित प्रतिभाएं डिजिटल अर्थव्यवस्था की रोजगार जरूरतों को पूरा कर पा रही हैं. अब दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाले भारत में युवाओं को डिजिटल दौर की तथा नयी तकनीकी रोजगार योग्यताओं से सुसज्जित करना होगा. डिजिटल दुनिया में करियर बनाने के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था की विशेषज्ञता के साथ अच्छी अंग्रेजी, कंप्यूटर दक्षता, कम्युनिकेशन स्किल, जनसंचार तथा विज्ञापन क्षेत्र से जुड़ी हुई स्किल्स लाभप्रद होती हैं. तकनीकी कुशलता के संदर्भ में वेब डिजाइन, सोशल मीडिया, वेब संबंधित सॉफ्टवेयर का अच्छा ज्ञान, विश्लेषणात्मक कौशल और अनुसंधान कौशल भी लाभप्रद होता है.
नयी शिक्षा नीति में जिस तरह डिजिटल दुनिया के नये दौर के कौशल विकास पर काफी जोर दिया गया है, उसके प्रभावी क्रियान्वयन से देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था में रोजगार के मौके बढ़ेंगे. हम उम्मीद करें कि देश की नयी पीढ़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था के पीछे छिपे हुए अवसरों को तलाशेगी और देश एवं दुनिया की नयी जरूरतों के मुताबिक अपने को सुसज्जित करेगी. निश्चित रूप से भारतीय प्रतिभाएं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल अर्थव्यवस्था में निर्मित होनेवाले मौकों को अपनी मुठ्ठियों में लेते हुए दिखायी दे सकेंगी.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)
Posted by : pritish sahay