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उत्तर प्रदेश के विकास को नयी गति

यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि अगर पूर्वांचल में औद्योगिक विकास होता है, तो उसका कुछ लाभ उस हिस्से से सटे बिहार के जिलों को भी मिलेगा. निवेश समझौतों में 45 प्रतिशत प्रस्ताव दिल्ली से सटे हिस्सों को लेकर हैं

हमारी अर्थव्यवस्था की तीव्र बढ़ोतरी के लिए सार्वजनिक पूंजी व्यय के साथ व्यापक निजी निवेश की आवश्यकता है. हालिया बजटों में इसे प्रमुखता से रेखांकित भी किया गया है. यह सकारात्मक है कि बीते वर्षों में अनेक राज्यों में सरकारें उद्योग जगत को विशेष आयोजनों के माध्यम से निवेश के लिए आमंत्रित कर रही हैं और ऐसे सम्मेलनों के अच्छे परिणाम भी हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश में बीते दिनों जो निवेशक सम्मेलन हुआ, उसमें 18,643 निवेश समझौते हुए हैं. इनके तहत राज्य में अगले कुछ वर्षों में 32 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की योजना है.

ऐसे आयोजनों से सरकारों को अपनी सोच और नीतिगत पहलों को उद्योग जगत के सामने प्रस्तुत करने का अवसर भी मिलता है, साथ ही निवेशक भी सरकारों के सामने अपने सुझाव रखते हैं. अगर हम 2023-24 के लिए प्रस्तावित बजट को देखें, तो उसमें पूंजी व्यय पर विशेष जोर दिया गया है. यह खर्च मुख्य रूप से सरकार के द्वारा ही किया गया है, विशेषकर पिछले तीन साल में.

उस हिसाब से निजी निवेश में तेजी नहीं आयी है. हालांकि क्रेडिट ग्रोथ की बात कही जा रही है, पर निजी निवेश में बढ़ोतरी उम्मीद के अनुरूप नहीं है. यह समझा जाना चाहिए कि जो बड़े उद्योग हैं, वे महामारी की असर से निकल चुके हैं और उनके बैलेंस शीट पर फायदा दिखने लगा. बजट में यह दिशा देने की कोशिश की गयी है कि निजी निवेशक आगे आयें ताकि आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को तेजी मिले. उत्तर प्रदेश के वैश्विक निवेशक सम्मेलन को इसी क्रम में देखा जाना चाहिए.

उत्तर प्रदेश देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है. अगर यहां पर उद्योगों और कारोबारों का विस्तार होता है, तो इससे देश के विकास और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में बड़ी मदद मिलेगी. अगर हम निवेशक सम्मेलन के विवरणों को देखते हैं, तो उसमें अनेक उत्साहवर्धक बातें हैं. बीते दशकों में राज्य में विकास मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, खासकर दिल्ली से सटे क्षेत्रों, में केंद्रित रहा है.

स्वाभाविक रूप से इस सम्मेलन में सबसे अधिक निवेश की मंशा इसी हिस्से को लेकर है, पर दूसरे स्थान पर पूर्वांचल का इलाका है. यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि अगर पूर्वांचल में औद्योगिक विकास होता है, तो उसका कुछ लाभ उस हिस्से से सटे बिहार के जिलों को भी मिलेगा. निवेश समझौतों में 45 प्रतिशत प्रस्ताव दिल्ली से सटे हिस्सों को लेकर हैं और 29 प्रतिशत निवेश की मंशा पूर्वांचल को लेकर व्यक्त की गयी है.

निवेशक सम्मेलन में आदित्य बिड़ला समूह के कुमारमंगलम बिड़ला ने कहा कि वे विभिन्न क्षेत्रों में 25 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेंगे. इस समूह के हिंडालको का एक संयंत्र सोनभद्र के रेणुकूट में है. रिलायंस समूह के मुकेश अंबानी ने सम्मेलन में जानकारी दी कि उन्होंने 2018 में जो 50 हजार करोड़ रुपये लगाने का वादा किया था, उसे पूरा किया जा चुका है.

इसके हवाले से एक अहम बात हमें ध्यान में रखनी चाहिए. उत्तर प्रदेश ही नहीं, अनेक राज्यों में ऐसा देखा गया है कि निवेश के अनेक समझौते बस कागजों तक सीमित रह जाते हैं या उनमें मामूली प्रगति होती है. सरकारों और उद्यमियों को समझौतों को साकार करने के लिए लगातार कोशिश करनी चाहिए तथा इसकी प्रगति की जानकारी समय-समय पर देनी चाहिए.

अंबानी का वादा पूरा करना निश्चित ही उत्साहजनक है. उन्होंने यह भी दावा किया है कि इस निवेश से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 80 हजार रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं. उन्होंने अगले चार साल में अतिरिक्त 75 हजार करोड़ रुपये के निवेश का वादा भी किया है. टाटा समूह ने निवेश का आंकड़ा तो नहीं दिया है, लेकिन उसकी ओर से कहा गया है कि एयर इंडिया के माध्यम से वह राज्य में हवाई कनेक्टिविटी- माल ढुलाई और यात्री आवागमन- बढ़ाने में योगदान देगा. यह समूह हॉस्पिटलिटी व्यवसाय में भी है. उसके विस्तार से पर्यटन क्षेत्र को लाभ होगा.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार कह चुके हैं कि उनका लक्ष्य उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है. उन्होंने यह भी आकांक्षा व्यक्त की है कि जब देश की अर्थव्यवस्था 10 ट्रिलियन डॉलर की होगी, तो उसमें राज्य की हिस्सेदारी दो ट्रिलियन डॉलर की होगी. निवेश प्रस्तावों को सेक्टर के हिसाब से देखने पर भी आशाजनक तस्वीर उभरती है.

आम तौर पर इलेक्ट्रॉनिक मैनुफैक्चरिंग पर जोर दिया जाता रहा है, लेकिन इस सम्मेलन में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र के विस्तार पर बहुत फोकस रखा गया है. यह जरूरी भी है क्योंकि जलवायु संकट की चुनौतियों से निपटने, प्रदूषण नियंत्रित करने और आयातित ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता घटाने को सरकार ने प्रमुख प्राथमिकताओं में रखा है. राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन में बीते वर्षों में उल्लेखनीय विकास हुआ है.

इस क्षेत्र में व्यापक निवेश की आवश्यकता है, जिसकी आंशिक पूर्ति इस सम्मेलन ने होने की आशा है. इस सेक्टर के बाद इलेक्ट्रॉनिक मैनुफैक्चरिंग, इंडस्ट्रियल पार्क, उच्च शिक्षा आदि में निवेश के प्रस्ताव हैं. साथ ही, मैनुफैक्चरिंग, वेयरहाउसिंग, रियल एस्टेट, आइटी, पर्यटन आदि के कई समझौते हुए हैं. इससे इंगित होता है कि सम्मेलन में हर क्षेत्र के विकास के लिए निवेश के प्रस्ताव आये हैं.

अभी देश में और वैश्विक स्तर पर जो आर्थिक स्थिति है, उसमें विकास पर असर पड़ना स्वाभाविक है. हालांकि हमारी वृद्धि दर अन्य अर्थव्यवस्थाओं से अधिक है, लेकिन उसे गति देना जरूरी है. इसमें निवेशक सम्मेलन जैसी पहलों की बड़ी भूमिका है. यदि अगले चार सालों में उत्तर प्रदेश में 30 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होता है तथा देश के अन्य हिस्सों में ऐसे प्रस्तावों पर अमल होता है, तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि अर्थव्यवस्था को बड़ा आधार मिलेगा.

इस संबंध में दो पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है- एक, निवेश की मंशा धरातल पर उतरे तथा दो, इन प्रयासों का उद्देश्य रोजगार और उत्पादन बढ़ाना हो. अभी हमारी सबसे बड़ी चुनौती बाजार में मांग बढ़ाना है. यह तभी संभव होगा, जब अधिक रोजगार होगा और लोगों की आमदनी बढ़ेगी. यह सुखद है कि हमारे उद्योगपति उन राज्यों में भी पैसा लगाने और उद्योग स्थापित करने के लिए आगे आ रहे हैं, जिन्हें विकास की बड़ी आवश्यकता है. आशा है कि उत्तर प्रदेश के अनुभव और प्रयास अपेक्षाकृत पिछड़े राज्यों के लिए उदाहरण बनेंगे तथा वहां भी निवेश में वृद्धि होगी.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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