New White Revolution : दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में बेहतरी के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी पहल की है. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने श्वेत क्रांति के दूसरे चरण की योजना घोषित की है, जिसका मुख्य लक्ष्य महिला किसानों का सशक्तीकरण और रोजगार के अवसर पैदा करना है. इस कार्यक्रम में चार प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा- महिला किसानों को सशक्त बनाना, स्थानीय स्तर पर दूध उत्पादन बढ़ाना, डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना तथा दुग्ध उत्पादों का निर्यात बढ़ाना.
अमित शाह ने रेखांकित किया है कि दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में सबसे अधिक महिलाएं कार्यरत है. ये महिलाएं केवल गुजरात में ही 60 हजार करोड़ रुपये का कारोबार पैदा करती हैं. श्वेत क्रांति के दूसरे चरण में आगामी पांच वर्षों में दुग्ध सहकारी संस्थाओं द्वारा दूध खरीद में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है. साल 2022-23 में देश में 230.58 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ था. वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 में दुग्ध क्षेत्र की कमाई में 13-14 प्रतिशत की उत्साहजनक वृद्धि की उम्मीद है. इस क्षेत्र में मांग में मजबूती बनी हुई है और दूध की आपूर्ति में भी बेहतरी आ रही है.
जिस प्रकार पांच दशक पहले ‘ऑपरेशन फ्लड’ का आधार सहकारिता संस्थाएं बनी थीं और देश में श्वेत क्रांति हुई थी, उसी तरह नयी योजना में भी इन संस्थाओं की प्रमुख भूमिका होगी. ‘ऑपरेशन फ्लड’ की शुरुआत 1970 में की गयी थी, जिसने दुग्ध क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किया था. दूध की मांग और आपूर्ति में वृद्धि को गति देने के लिए दूध खरीद का दायरा बढ़ाने, दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता में बढ़ोतरी और वितरण नेटवर्क को विस्तार देने के लिए निवेश और पूंजी उपलब्धता को बेहतर बनाने की आवश्यकता है.
इस मामले में अमित शाह द्वारा डेयरी किसानों के लिए रुपे किसान क्रेडिट कार्ड मुहैया कराने तथा डेयरी सहकारिता सोसायटियों में एटीएम मशीन की सुविधा देने की घोषणा से बड़ी मदद मिल सकती है. साथ ही, 67,930 पैक्स सोसायटियों का कंप्यूटराइजेशन भी होगा. एक लाख नयी और पुरानी सहकारिता संस्थाओं का गठन और मजबूत करना इस योजना का एक उल्लेखनीय आयाम है. राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड शुरुआत में एक हजार बहुद्देशीय पैक्स को प्रति सोसायटी 40 हजार रुपये उपलब्ध करायेगा ताकि उन्हें आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ दुग्ध मार्गों से जोड़ा जा सके. इन प्रयासों से वित्त उपलब्धता भी बढ़ेगी और अधिक से अधिक किसानों को सहकारिता संरचना से जोड़ा भी जा सकेगा. स्वाभाविक रूप से इससे महिला किसानों की आमदनी बढ़ेगी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के मौके बनेंगे. आशा है कि लगभग 13 करोड़ किसान सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे.