15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अगली सदी एशिया की

आशा है कि यह एशिया की सदी होगी, जहां विश्व के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का संतुलन बदलेगा. अभी लगभग एक-तिहाई की हिस्सेदारी है, जो अनुमान है कि 2050 तक आधे से अधिक हो जायेगी.

मोहन गुरुस्वामी

वरिष्ठ टिप्पणीकार

Mohanguru@gmail.com

आशा है कि यह एशिया की सदी होगी, जहां विश्व के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का संतुलन बदलेगा. अभी लगभग एक-तिहाई की हिस्सेदारी है, जो अनुमान है कि 2050 तक आधे से अधिक हो जायेगी. विश्व जीडीपी में 1950 में यह आंकड़ा पांच प्रतिशत से भी कम था. आर्थिक उन्नति के साथ भू-राजनीतिक ताकत भी आती है. इतिहास में यह बदलाव निर्धारक क्षणों द्वारा दर्ज होता है. उनसे प्रेरणा लेने के लिए हमें सबसे पहले के ऐसे निर्धारक पलों को देखना चाहिए.

एशिया का पहला निर्धारक क्षण 14 मई, 1905 को घटित हुआ, जब बिलकुल नये मिकासा युद्धपोत के साथ एडमिरल टोगो हीहैचिरो की अगुवाई वाली जापानी नौसेना फ्लोटिल्ला ने एडमिरल रोजेस्ट्वेन्स्की की अगुवाई वाले रूसी बेड़े को नष्ट कर दिया था. माना जाता है कि पहली बार किसी एशियाई देश ने यूरोपीय शक्ति को परास्त किया था. लेकिन, यह पूर्ण रूप से सच नहीं है. इससे सालभर पहले जापानियों ने पोर्ट ऑर्थर पर रूसी बेड़े पर हमला किया था, जिसमें रूस के कई युद्धपोत नष्ट हो गये थे.

एक अन्य निर्णायक क्षण रहा, जब जनरल वान तियन दंग के नेतृत्व में वियतनामी सेनाओं ने 1954 में दियन बियन फू में फ्रांस को हराया. दंग संभवतः पिछली सदी के महानतम सेनापतियों में रहे, लेकिन वे वियतनामी थे और इतिहास उनके साथ कभी उदार नहीं होगा, जितना कि वह पश्चिमी सैन्य नायकों के लिए है, जिन्होंने अपेक्षाकृत बहुत कम हासिल किया है. उनके खुद के देश में उनके वरिष्ठ और प्रसिद्ध वो गुएन जियप के मुकाबले उतना महत्व नहीं मिला. वो गुएन जियप वियतनाम के और बाद में उत्तरी वियमनाम सेना के प्रमुख और रक्षा मंत्री रहे. जियप को 1954 के डियन बियन फू के युद्ध में फ्रांस पर एनवीए के ऐतिहासिक जीत का श्रेय दिया जाता है. लेकिन, दंग ही थे, जिन्होंने जियप के सहयोगी के तौर पर फ्रांसीसी सेना पर हमले की अगुवाई की थी और फ्रांस के दो मशहूर जनरलों क्रिश्टियन डि कैस्ट्रीज और हेनरी नवारे को परास्त किया था.

सैन्य इतिहासकार इसे 20वीं सदी के सबसे महानतम युद्धों के तौर पर देखते हैं. बर्नार्ड फाल ने अपने नाटक ‘हेल इन ए वेरी स्माल प्लेस’ में इस युद्ध का वर्णन किया है. इसने यूरोपीय उपनिवेशवाद के युग के अंत का संकेत दिया, जैसा संकेत भारत की स्वतंत्रता ने दिया था. लेकिन, डंग के सबसे बड़े युद्ध का आना भी बाकी था. साल 1975 के वसंत में उन्होंने दक्षिण वियतनाम सेना के खिलाफ अंतिम आक्रमण का नेतृत्व किया, जिससे साइगॉन से अमेरिकियों की हड़बड़ाहट में वापसी और वियतनाम के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ. न मैकऑर्थर, न जॉर्ज पैटन, न वर्नार्ड मांटेगोमरी या यहां तक कि जुखोव या चुइकोव भी उस स्तर के रिकॉर्ड का दावा नहीं कर सकते हैं. एक बार एक भारतीय समाचार पत्रिका ने एक भारतीय जनरल का महिमामंडन किया था, गुदेरियन के डंके जैसा बखान, रोमेल की रणनीतिक प्रतिभा और मैकऑर्थर के नेतृत्व गुणों से तुलना की गयी थी, यह सब उस आदमी का बखान किया गया था, जिसने भारतीय सेना को स्वर्ण मंदिर में दाखिल किया और बाद में श्रीलंका में ले गये. उन्होंने स्पष्ट रूप से वान तियन दंग के बारे में नहीं सुना था.

अमेरिकी सैन्य इतिहासकार युजीन ग्रेसन ने वान तियन दंग को युद्ध के महान सेनानायकों की श्रेणी में रखा है, जिसमें वेलिंगटन और रोमेल शामिल हैं. वे वियतनाम में रहे और दंग की रणनीतिक और सामरिक प्रतिभा, लड़ाई की क्षमता एवं उनकी नेतृत्व वाली सेना की क्रूरता ने उन्हें जीवनभर के लिए डरा दिया था. उनके अन्वेषण योग्यता को ऐसे भी परखा जा सकता है कि फील्ड आर्टिलरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर दियन बियन फू के पहाड़ियों पर लाया गया और फिर उन्हें जोड़कर फ्रांसीसियों पर धावा बोला गया. फ्रांसीसी जनरलों ने फैसला किया था कि पहाड़ियों में दाखिल होना असंभव है और तोपों से हमला होने का डर नहीं रहेगा. वह कितना गलत साबित हुए! अमेरिकियों में एक महान गुण है कि वे विजेताओं के प्रति उदार होते हैं. वे महानता को स्वीकार करते हैं. जब दंग का निधन हुआ, तो लगभग प्रत्येक अमेरिकी अखबार ने उन्हें श्रद्धांजलि दी थी. दंग अकादमियों में नहीं गये थे और उन्हें महान जियप द्वारा चुना गया था.

जब द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान की हार का बदला कोनोसुके मत्सुशिता ने चाहा, तो उन्होंने एक उद्यम खड़ा कर दिया, जिसने अमेरिकी इलेक्ट्रॉनिक उद्योग का सफाया कर दिया. उन्होंने अपने देशवासियों से कहा कि हमारे साथ जो हुआ, वह फिर कभी नहीं होना चाहिए. हमें फिर कभी पीछे नहीं हटना चाहिए. मत्सुशिता का पहला अमेरिकी अधिग्रहण अमेरिका की मशहूर टेलीविजन निर्माता जेनिथ था और मत्सुशिता ने फिर इसे बंद कर दिया. अकियो मोरिता ने उनका अनुसरण किया और टोयटा, होंडा, निसान आदि बना दिया. जापानी पुनरुत्थान का श्रेय उनके विचार को जाता है, जो उनकी नियति को प्रकट करता है. उसे अनमेई कोरुताई कहते हैं, यह उस धारणा को साकार करने का राष्ट्रीय संकल्प है. यह भाव दक्षिण एशिया को छोड़कर पूरे एशिया में फैला है. वास्तव में हम अपवाद ही हैं. हम इतिहास का अध्ययन नहीं करते और जब करते हैं, तो इसको गलत ही पढ़ते हैं.

(यह लेखक के निजी विचार हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें