आशुतोष चतुर्वेदी
प्रधान संपादक
बिहार की जनता ने नतीजा सुना दिया है और एकबार फिर जदयू व भाजपा गठबंधन को राज्य की बागडोर सौंप दी है. चुनाव नतीजों को लेकर काफी ऊहापोह था और शुरुआती रुझानों ने तो राजनेताओं की धड़कनें बढ़ा दी थीं. लोकतंत्र की यह खूबसूरती है कि जनता सत्ता की मालिक होती है और चाबी उसके पास होती है. तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन को जनता ने सत्ता की चाबी नहीं सौंपी. नीतीश कुमार और भाजपा गठबंधन पर जनता ने एक बार फिर भरोसा जताया है.
यह सही है कि बिहार में विकास के व्यापक काम हुए हैं. इसकी रफ्तार और तेज करने की जरूरत है. कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धि के बावजूद बिहार प्रति व्यक्ति आय के मामले में पिछड़ा हुआ है. हम अब भी शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. बिहार के अधिकांश लोग कृषि से जीवन यापन करते हैं, लेकिन बिहार का एक बड़ा इलाका साल दर साल बाढ़ में डूबता आया है.
आम आदमी की तीन बुनियादी जरूरतें हैं- बिजली, पानी और सड़क. इनमें से सड़कों, भवनों और पुलों के निर्माण के क्षेत्र में राज्य में तेजी से काम हुआ है. लेकिन, बहुत कुछ करना बाकी है. बिहार में अच्छी खेती होती है, पर इसका पूरा लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है. कोल्ड स्टोरेज हों, फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगें, तो किसानों का भाग्य बदल जायेगा. बिहार के लोग मेहनतकश हैं.
दिल्ली, मुंबई, गुजरात और पंजाब में जो चमक-दमक नजर आती है, उसमें बिहारियों का भारी योगदान है. हमें लोगों को बिहार में ही शिक्षा और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने होंगे, ताकि लोगों को बाहर जाने की जरूरत ही न पड़े. आज हर साल दिल्ली, राजस्थान और दक्षिण के राज्यों में पढ़ने के लिए हमारे हजारों बच्चे जाते हैं.
हमें बिहार को शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित करने की जरूरत है. वक्त आ गया है कि बिहार भविष्य की ओर देखे. पिछली बार जो प्रयास किये, उनसे सीख लेकर उत्साह के साथ आगे बढ़ें, भविष्य का चिंतन करें. बिहार आगे बढ़ेगा, तभी देश भी आगे बढ़ेगा.
posted by : sameer oraon