हाल ही में मैकेंजी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक दुनियाभर में डिजिटलीकरण की वजह से करीब 10 करोड़ लोगों को अपना रोजगार बदलना पड़ सकता है. चीन, फ्रांस, भारत, जर्मनी, स्पेन, यूके और यूएस में हर 16 में से एक कर्मचारी को इस बदलाव से गुजरना पड़ेगा. रिपोर्ट के मुताबिक उच्च डिजिटल कौशल वाले रोजगारों की मांग बढ़ेगी और परंपरागत रोजगारों में कमी आयेगी. कोविड-19 के बाद अब देश और दुनिया में रोजगार परिदृश्य में बदलाव दिखने लगा है.
ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के चलते जहां कई क्षेत्रों में रोजगार कम हो रहे हैं, वहीं डिजिटल अर्थव्यवस्था में रोजगार बढ़ रहे हैं. जैसे-जैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था डिजिटल हो रही है, वैसे-वैसे नये प्रकार के रोजगारों के विकल्प बन रहे हैं. इसके लिए नये-नये स्किल्स सीखना जरूरी है.
कोरोना वायरस के बाद बदली हुई नयी आर्थिक दुनिया में भारत की उच्च कौशल प्रशिक्षित नयी पीढ़ी की अभूतपूर्व रोजगार भूमिका निर्मित होते हुए दिखायी दे रही है. वस्तुतः कोविड-19 ने नये डिजिटल अवसर पैदा किये हैं, क्योंकि ज्यादातर कारोबारी गतिविधियां अब ऑनलाइन हो गयी हैं. वर्क फ्रॉम होम की बढ़ती प्रवृत्ति से आउटसोर्सिंग को बढ़ावा मिला है. कोरोना काल में भारत के आइटी सेक्टर द्वारा दी गयी गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के कारण वैश्विक उद्योग-कारोबार इकाइयों का इन कंपनियों पर भरोसा बढ़ा है. आनेवाले वर्षों में आइटी और कृत्रिम बुद्धिमता की बढ़ती उपयोगिता के कारण उच्च आइटी कौशल प्रशिक्षित नयी पीढ़ी को चमकीले मौके मिलने की संभावना रहेगी.
अब भी दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं को संभालने में भारत की प्रशिक्षित नयी पीढ़ी प्रभावी भूमिका निभा रही है. कई देशों के उद्योग-कारोबार में भारतीय पेशेवरों का सहभागी बनाया जाना आर्थिक रूप से लाभप्रद माना जायेगा. जो बाइडन के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत के आइटी सेक्टर के लिए संभावनाएं बढ़ी हैं. जो बाइडेन ने एच-1बी वीजा नीति को जारी रखने की बात कही है. इससे भारतीय कर्मचारियों को वीजा नियमों में राहत मिली है. बाइडेन अमेरिकी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए भारत की आइटी सेवाओं का उपयोग लेना चाहेंगे.
हाल ही में बाइडेन प्रशासन ने महत्वाकांक्षी अमेरिका नागरिकता विधेयक, 2021 पेश किया है. इसके कानून बनने के बाद एच-1बी वीजा धारकों के आश्रितों को भी काम करने की अनुमति मिलेगी. विधेयक में रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड के लिए प्रवासियों की संख्या सीमित करने के लिए पूर्व में लगायी गयी रोक को भी खत्म करने का प्रावधान है. इस विधेयक के पारित हो जाने से ग्रीन कार्ड के लिए 10 साल से अधिक समय से इंतजार कर रहे लोगों को भी तत्काल वैध तरीके से स्थायी निवास की अनुमति मिल जायेगी,
क्योंकि उन्हें वीजा की शर्त से छूट मिल जायेगी. न केवल अमेरिका में बल्कि जापान, ब्रिटेन और जर्मनी समेत अनेक देशों में औद्योगिक और कारोबार आवश्यकताओं में तकनीक और नवाचार का इस्तेमाल तेज हो रहा है. इससे आइटी के साथ ही कई अन्य क्षेत्रों में मसलन हेल्थकेयर, नर्सिंग, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फुूड प्रोसेसिंग, जहाज निर्माण, विमानन, कृषि, अनुसंधान, विकास, सेवा व वित्त आदि क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षित भारतीय कार्यबल की भारी मांग बनी हुई है.
रोजगार की बदलती हुई डिजिटल दुनिया में भारत पूरी तरह से लाभ की स्थिति में हैं, लेकिन स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अभी सीमित संख्या में ही भारत की कौशल प्रशिक्षित प्रतिभाएं डिजिटल अर्थव्यवस्था की रोजगार जरूरतों को पूरा कर पा रही हैं. अब दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाले भारत को बड़ी संख्या में युवाओं को डिजिटल दौर की और नयी तकनीकी रोजगार योग्यताओं के साथ अच्छी अंग्रेजी, कंप्यूटर दक्षता तथा कम्युनिकेशन स्किल्स की योग्यताओं से सुसज्जित करना होगा.
चूंकि, मशीनें अब मनुष्यों से ज्यादा स्मार्ट हो रही हैं और कार्यक्षेत्र में मनुष्यों का स्थान ले रही हैं, ऐसे में नयी पीढ़ी को मशीनों का मैनेजमेंट सीखने की जरूरत है. इसके लिए त्वरित निर्णय लेने एवं सॉफ्ट स्किल्स को विकसित करना होगा तथा भविष्य में नैतिक मूल्य रचनात्मकता व समग्र दृष्टिकोण को कार्य का प्रभावी अंग बनाना होगा. नये डिजिटल रोजगारों के लिए आवश्यक बुनियादी जरूरतों संबंधी कमियों को दूर करना होगा. चूंकि, देश की ग्रामीण आबादी का एक बड़ा भाग अभी भी डिजिटल रूप से अशिक्षित है.
अतएव, डिजिटल भाषा से ग्रामीणों को शिक्षित-प्रशिक्षित करना होगा. चूंकि बिजली डिजिटल अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण जरूरत है, अत: ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की पर्याप्त पहुंच सुनिश्चित करना होगा.
नि:संदेह नयी शिक्षा नीति में डिजिटल दुनिया के नये दौर के कौशल विकास पर काफी जोर दिया गया है.
ऐसे में उसके प्रभावी क्रियान्वयन से डिजिटल अर्थव्यवस्था में रोजगार के मौके बढ़ाये जा सकेंगे. अब कृषि, स्वास्थ्य और वेलनेस, टेलीमेडिसिन, शिक्षा और कौशल विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सक्रियता से टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस बनाने होंगे. अब देश के डिजिटल सेक्टर को यह रणनीति बनानी होगी कि किस तरह के काम दूर स्थानों से किये जा सकते हैं और कौन-से काम कार्यालय में आकर किये जा सकते हैं.
अब देश के डिजिटल रोजगार अवसरों को महानगरों की सीमाओं से बाहर छोटे शहरों और कस्बों में गहराई तक ले जाने की जरूरत को ध्यान में रखना होगा. अब भारत के स्टार्टअप के संस्थापकों को आइटी से संबंधित वैश्विक स्तर के उत्पाद बनाने पर ध्यान देना होगा, जिससे तकनीक के क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा में देश की जगह बनायी जा सकेगी.
निश्चित रूप से मैकेंजी की बदलते हुए वैश्विक रोजगार से संबंधित रिपोर्ट के मद्देनजर देश में डिजिटल रोजगार के मौकों को बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर डिजिटल रोजगार के मौकों को बड़ी संख्या में प्राप्त करने के लिए अभी से ही रणनीतिक कदम उठाये जाने की जरूरत है. ऐसा करने पर ही देश और दुनिया के नये डिजिटल रोजगार के मौके बड़ी संख्या में नयी पीढ़ी की मुठ्ठियों में आ सकेंगे. इससे अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी और 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनते हुए दिखायी दे सकेगा.
Posted By : Sameer Oraon