विकास का रोडमैप है यह बजट

पहले पांच वर्षों में आधारभूत संरचना के विकास के साथ-साथ कानून एवं व्यवस्था को भी दुरुस्त किया गया. राज्य में अनेक नीतिगत फैसले लिये गये. राज्य की बिगड़ी हुई वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ किया गया. वर्ष 2006 में राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम को पारित करने के साथ राज्य में मूल्यवर्धन कर (वैट) लागू किया गया. इसके फलस्वरूप वर्ष 2005 के बाद से राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में लगातार बढ़ोतरी हुई है.

By संपादकीय | March 3, 2021 8:23 AM

डॉ बख्शी

अमित कुमार सिन्हा

डॉ वर्णा गांगुली

लेखक द्वय सेंटर फॉर इकोनॉमिक पालिसी एंड पब्लिक फाइनेंस, आद्री से संबद्ध हैं.

adripatna@adriindia.org

बिहार बजट 2021-22 राज्य के आर्थिक विकास में एक नया अायाम जोड़ने की तरफ सराहनीय प्रयास है. इस तथ्य को समझने के लिए राज्य सरकार की रणनीति को समझना जरूरी है. जब 2005 में पहली बार एनडीए की सरकार बनी, तो राज्य सरकार की प्राथमिकता थी- न्याय के साथ विकास. राज्य सरकार ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए बहुत ही विस्तृत और सशक्त खाका बनाया, जिसे ‘सुशासन के कार्यक्रम’ के नाम से जाना जाता है.

पहले पांच वर्षों में आधारभूत संरचना के विकास के साथ-साथ कानून एवं व्यवस्था को भी दुरुस्त किया गया. राज्य में अनेक नीतिगत फैसले लिये गये. राज्य की बिगड़ी हुई वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ किया गया. वर्ष 2006 में राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम को पारित करने के साथ राज्य में मूल्यवर्धन कर (वैट) लागू किया गया. इसके फलस्वरूप वर्ष 2005 के बाद से राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में लगातार बढ़ोतरी हुई है.

इस दौरान यह आर्थिक वृद्धि दर दो अंकों में दर्ज की गयी है. राज्य में सड़क एवं पुलों का जाल बिछाया गया. ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है. इन भौतिक अधिसंरचना को मजबूती प्रदान करने के अलावा राज्य सरकार द्वारा सामाजिक अधिसंरचना को भी सुदृढ़ किया गया है. राज्य में बहुमुखी विकास को प्राथमिकता दी गयी. इसका प्रमाण कृषि क्षेत्र में दीर्घकालीन कृषि रोड मैप 2007-22, औद्योगिक नीति-2006, 2011 एवं 2016 , सूचना एवं प्रावैधिकी दृष्टिकोण- 2015, सड़क दृष्टिकोण- 2020, सतत विकास लक्ष्य, सात निश्चय (1)- 2015-20, सात निश्चय (2)- 2020-25 एवं जल-जीवन-हरियाली मिशन इत्यादि जैसे नीतिगत सुधारोंे से मिलता है .

इस प्रकार राज्य सरकार अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में मजबूती से आगे बढ़ी और इन प्रयासों से अपेक्षित परिणाम भी हासिल हुआ, परंतु उद्यम के क्षेत्र में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई है. हालांकि राज्य सरकार ने भरपूर प्रयास किया है. बजट 2021-22 में कई नीतिगत फैसले लिये गये हैं, जिनमें राज्य में उद्यमिता और शहरीकरण को बढ़ाने के लिए साहसिक और ठोस कदम उठाये गये हैं.

चुनाव के बाद यह बजट कोविड-19 के आर्थिक दुष्प्रभाव की चुनौतियों के बीच प्रस्तुत किया गया है. इस पर अखिल भारतीय आर्थिक संकट का भी गहरा प्रभाव पड़ा है, क्योंकि राज्य का 70 प्रतिशत राजस्व केंद्र सरकार से आता है. पंद्रहवें वित्त आयोग से बिहार को कुछ खास लाभ नहीं हुआ. जहां एक ओर बिहार के केंद्रीय कर के हिस्से में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वही केंद्र से राज्यों के हिस्से में एक प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है. साथ में राजस्व घाटा अनुदान से भी बिहार महरूम रह गया है, जो काफी अधिक है. इस पृष्ठभूमि में राज्य का वित्तीय अनुशासन एवं दूरदर्शिता झलकती है.

राज्य सरकार ने बिहार के आर्थिक विकास को चरणबद्ध तरीके से हासिल किया है. उसी कड़ी में यह बजट उद्योग एवं शहरीकरण को बढ़ावा देता है. किसी भी राज्य में औद्योगीकरण तब तक संभव नहीं है, जब तक वहां के स्थानीय निवेशक उदाहरण प्रस्तुत न करें, खासकर तब, जब राज्य में औद्योगिक आधार न हो और कच्चे माल की उपलब्धता न हो. इस कड़ी में राज्य सरकार ने अपने चुनावी वायदे को सात निश्चय-2, 2020-25 बजट में वित्तीय आवंटन देकर पूरा किया है.

कौशल विकास एवं उद्यमिता के क्षेत्र में निर्णायक पहल राज्य में औद्योगीकरण को एक नयी ऊंचाई पर ले जायेगा. वित्तमंत्री ने नया उद्यम शुरू करने के लिए इस बजट में 10 लाख रुपये तक के कर्ज को सम्मिलित किया है, जिसमें पांच लाख रुपये का अनुदान शामिल है. महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कर्ज को ब्याज रहित रखा है. वहीं अन्य के लिए मात्र एक प्रतिशत ब्याज का प्रावधान है.

यह योजना राज्य में सूक्ष्म एवं लघु उद्योग को प्रोत्साहित करेगा. साथ ही निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा जिसके फलस्वरूप राज्य के उत्पादन में वृद्धि होगी, साथ ही रोजगार के लाखों अवसर पैदा होंगे. राज्य में निजी निवेश के बाद उद्यमिता के उपभोक्ता आधार को देखते हुए राज्य के बाहर के निवेशक भी आकर्षित होंगे और इस तरह औद्योगीकरण संभव हो सकेगा.

इस औद्योगीकरण से जहां एक ओर प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक विकास में तेजी आयेगी, वहीं दूसरी तरफ कृषि क्षेत्र से लोगों का पलायन उद्यम क्षेत्र में होगा और राज्य के शहरीकरण में वृद्धि होगी. इसके अतिरिक्त बजट 2021-22 में लोक पूंजीगत निवेश 38,057 करोड़ रुपये अनुमानित हैं, जो 2019-20 के 12,304 करोड़ रुपये की तुलना में तीन गुने से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. यह निवेश राज्य में परिसंपत्तियों के निर्माण के साथ ही रोजगार के नये अवसर पैदा करेगा.

साथ ही राज्य का योजना आकार 2019-20 के 57,438 करोड़ रुपये की तुलना में 2021-22 में 1.75 गुना अधिक अनुमानित है. विकासात्मक व्यय में भी राज्य सरकार की प्रतिबद्धता प्रमाणित होती है, जिसमें डेढ़ गुना बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. राज्य में कुल बजट का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा विकासपरक व्यय पर रखा गया है, जो वर्ष 2019-20 में 65 प्रतिशत था.

यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि बजट की तुलना वास्तविक व्यय के आधार पर की जानी चाहिए, न कि विगत वर्ष के अनुमानित व्यय से, विशेष कर तब, जब कोविड-19 के प्रभाव के कारण यह वर्ष असामान्य रहा हो.

Posted By : Sameer Oraon

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