महात्मा गांधी से है हमारी पहचान

आज विश्व में जहां भी हम जाते हैं, गांधी के देश से कह कर हमारा परिचय कराया जाता है. यह वैसा ही है, जैसे कोई अमेरिका का परिचय अब्राहम लिंकन या थॉमस जेफर्सन का संदर्भ देेकर कराए.

By तरुण विजय | October 2, 2020 6:11 AM
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तरुण विजय, पूर्व सांसद, भाजपा

tarunvijay55555@gmail.com

गांधी का अर्थ, उनके जीवन संदेश की हिंदू धर्म में गहरी जड़ों और उनके बारे में विश्वव्यापी समझ से आत्मसात किया जा सकता है. विडंबना रही है कि गांधी को भारत विभाजन की त्रासदी और लाखों हिंदुओं की मर्मांतक पीड़ा से जोड़कर देखने के कारण अनेक भारतीयों के मन में गांधी बहुत नीचे चले गये और उन्हें लगा कि गांधी को अंग्रेजों तथा कांग्रेस के प्रचार तंत्र ने अधिक तूल दे दिया. गांधी से बढ़कर स्वतंत्रता के लिए कार्य किया सुभाष बोस ने, लाल-बाल-पाल की त्रयी ने. श्री अरविंद और हेडगेवार के स्वयंसेवकों ने. लेकिन सत्य यह है कि महापुरुषों, महान कार्य करनेवालों की आपस में तुलना नहीं करनी चाहिए. हर व्यक्ति अपने विचार के अधीन कार्य करता है. उन सबको अपनी दृष्टि और विचार की तुला पर तौलना उस व्यक्ति, ध्येय और समाज के प्रति अन्याय होता है.

इसीलिए, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सुविचारित तौर पर गांधी को प्रातःस्मरणीय माना. सत्य के प्रति निष्ठा, अपरिग्रह, सादा, सरल, हिंदू वानप्रस्थ जैसी जीवनशैली, राम नाम और राम राज्य के प्रति जीवन पर्यंत अविचल निष्ठा, प्रखर राष्ट्रभक्ति, विलास और जीवन के भौतिक सुखों के प्रति निरासक्ति, बड़ी से बड़ी सत्ता का सामना करने और झुकाने की अपनी एक मूलतः भारतीय धर्म और उसके विभिन्न आयामों में प्रकट हुई है. उन्होंने कभी अतिरेकी भाषा, असंयमित अशालीन शब्दहिंसा में विश्वास नहीं रखा. मातृभूमि की सेवा को हिंदू धर्म में अपनी अगाध निष्ठा से कभी पृथक नहीं किया. संपूर्ण भारत की आत्मिक और भाषिक एकता के लिए देवनागरी लिपि का आग्रह और स्वयं गुजराती को देवनागरी में लिखना प्रारंभ किया.

आद्य सरसंघचालक डॉ हेडगेवार ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया, गांधी के विचारों और कार्यों की अनुपालना की, अहिंसक लोकतांत्रिक अनुशासित जनसंगठन तैयार किया, जो आज विश्वभर में अपनी विशिष्टता के लिए जाना जा रहा है. इसी आंदोलन ने अहिंसक जनक्रांति और लोकतांत्रिक पद्धति के माध्यम से देश को दो यशस्वी तथा वैश्विक सम्मान प्राप्त करनेवाले प्रधानमंत्री दिये. यह है भारतीय जीवन मूल्यों की महान विजय गाथा, जिसमें पूर्णतः गांधी प्रतिबिंबित होते हैं.

आज विश्व में जहां भी हम जाते हैं, तो गांधी के देश से कहकर हमारा परिचय होता है. यह वैसा ही है जैसे कोई अमेरिका के बारे में अब्राहम लिंकन और थॉमस जेफर्सन से परिचय करवाये या अफ्रीकी नागरिकों की पहचान को नेल्सन मंडेला से अभिव्यक्त करे. हर स्वयंसेवक राष्ट्रभक्ति को अपने जीवन की सबसे बड़ी आस्था मानता है, राष्ट्रभक्ति ले हृदय में हो खड़ा यह देश सारा, उसके लिए मनसा वाचा कर्मणा, जीवन निर्देशित करनेवाला मंत्र है. समाज के अभ्युदय और विकास के लिए पहली बार संन्यासी का गेरुआ वस्त्र न पहनते हुए भी संन्यस्त जीवन जीने वाले प्रचारकों की परंपरा नवीन बहरत में चिरंतन मूल्यों की स्थापना का नया गांधी शैली का ही उपक्रम है.

संघ के अधिकारियों और प्रचारकों ने अपनी जीवन शैली के उदाहरण से ही लाखों-करोड़ों हिंदुओं का जीवन और उनकी जीवन दृष्टि बदली है. शाखा पद्धति गांधी के खादी और चरखे की तरह जीवनशैली और विचार परिवर्तन का सामान्यतम नागरिक को स्पर्श करनेवाला आंदोलन है. संघ के स्वयंसेवकों की एक विशिष्ट वेशभूषा, गणवेश और व्यवहार शैली है, जिससे वे सबसे अलग अपनी विशिष्टताओं से पहचान में आ जाते हैं. गौ, स्वदेशी, संयमित आरोग्य वर्धक जीवन शैली, राष्ट्रीय विषयों पर हिमालय सामान दृढ़ता, शब्द संयम, सभी मतावलंबियों के साथ भारत भक्ति के मूल अधिस्थान पर मैत्री और सहयोग का भाव, स्वदेशी मूल्यों पर आधारित शिक्षा का विश्व में सबसे बड़ा विद्याभारती उपक्रम, अनुसूचित जातियों के मध्य समरसता का अभियान.

पिछड़े, भटके विमुक्त जनजातियों के बीच विशेष समरसता का कार्य, भारतीय जनजातियों के मध्य जीवन दानी पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं के तप से विकास और आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ उनको ईसाई धर्मांतरण के कुचक्र से बचने का राष्ट्रव्यापी अभिक्रम, जिसमें जगह-जगह पर वनवासी सेवा में जुटे कार्यकर्ता ठक्कर बापा के ही प्रतिरूप हैं, गांधी स्वराज और स्वदेशी के पक्षधर थे. स्वयंसेवक भी स्वदेशी और ग्रामीण भारत के सतरंगी भारतीय जीवन पक्ष के समर्थक और उन्नायक हैं.

गांधी को गांधीवादियों के पाखंड से दूर रखकर देखने की जरूरत है. गांधी का सर्वाधिक मजाक उनलोगों ने उड़ाया जो खुद को गांधीवादी कहते रहे. खादी के नीचे पॉलिस्टर का भ्रष्ट विचार पालते रहे. राम का विरोध, गौहत्या का समर्थन, ईसाई धर्मांतरण को प्रोत्साहन, हिंदू-जीवन मूल्यों का उपहास, हिंदू संतों और वैष्णव सनातन धर्म संपदा पर आघात, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के मध्य विषैले प्रचार और उनमें जिहादी-वामपंथी-जेसुइटीकरण की हिंदू विरोधी धारणाओं का प्रचार- यह सब कांग्रेस ने गांधी की फोटो लगाकर किया.

गांधी को आज के समय में समझना हो, तो संघ के स्वयंसेवक के साथ सेवा बस्तियों में जाइये. शाखा में देशभक्ति के गीत गाइये, संघ प्रेरित गौशालाओं में गौ सेवा करिये, विद्याभारती के विद्यालयों में राष्ट्रभक्ति के उपक्रम देखिये, वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ताओं के साथ नागालैंड, अरुणाचल, छत्तीसगढ़, राजस्थान के जनजातीय क्षेत्रों में नवीन, कुशल, कुशाग्र वीर हिंदू जनजातियों के उत्साह और विक्रम को सराहिये, तब गांधी समझ में आ जायेंगे.

गांधी को एक व्यक्ति, एक राजनीतिक कार्यकर्ता या नेता अथवा कांग्रेस के चश्मे से देखना भूल होगी. हिंदू जीवन मूल्यों के लिए असंख्य लोगों ने अपनी-अपनी समझ और शक्ति के बल पर कार्य किया. गांधी उनमें से एक, और हमारे समय के सर्वाधिक लोकप्रिय, वैश्विक स्वीकार्यता वाले महापुरुष थे. उनको शत शत नमन.

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