पिछले साल फरवरी में हुए पुलवामा हमले के डेढ़ साल बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने अभियोग पत्र में आतंकी गिरोह जैशे-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर और उसके 18 गुर्गों को आरोपित किया है. एजेंसी ने पूरी पड़ताल कर साढ़े तेरह हजार पन्नों का दस्तावेज तैयार किया है, जिसमें बताया गया है कि पाकिस्तानी सेना की कुख्यात खुफिया संस्था आइएसआइ तथा पाकिस्तानी सरकार के कुछ तत्वों की सरपरस्ती में भारतीय सुरक्षा बल के काफिले पर आत्मघाती हमला किया गया था. एजेंसी ने अपनी कार्रवाई में अब तक इन अभियुक्तों में सात को अपनी गिरफ्त में लेने में कामयाबी पायी है, जबकि छह फरार हैं और पाकिस्तानी संरक्षण में हैं.
हमले में शामिल छह आतंकवादियों की मौत हो चुकी है. अनेक दशकों से मसूद अजहर का गिरोह पाकिस्तान की धरती से भारत-विरोधी गतिविधियों को अंजाम देता रहा है. वह पुलवामा के बाद भी हमले की साजिश रच चुका था, लेकिन भारत ने पाक-अधिकृत कश्मीर के बालाकोट में स्थित जैशे-मोहम्मद के बड़े ठिकाने पर हवाई हमला कर उसके नापाक इरादे पर पानी फेर दिया था. कश्मीर घाटी में घुसपैठ कर आये मसूद अजहर के भतीजे मोहम्मद फारूक को सुरक्षा बलों द्वारा ढेर किये जाने से भी मसूद अजहर अपने मंसूबे को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाया. इस घटना के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से पाकिस्तान पर भारी दबाव बना दिया था.
यह कूटनीतिक सफलता ही थी कि मसूद अजहर को सुरक्षा परिषद ने वैश्विक आतंकी करार देते हुए उसे और उससे संबद्ध गिरोहों पर पाबंदी लगायी. उल्लेखनीय है कि चीन ने पाकिस्तान के साथ अपनी दोस्ती निभाने तथा उस देश में अपने निवेश को सुरक्षित रखने के लिए मसूद अजहर को बचाने की लगातार कोशिश की थी, किंतु आखिरकार उसे भी पीछे हटना पड़ा था. पुलवामा हमले की जांच से फिर यह साबित हुआ है कि पाकिस्तान वैश्विक समुदाय में निरंतर निंदा झेलने तथा उसकी धरती पर सरकार व सेना की छत्र-छाया में पलने-बढ़नेवाले गिरोहों के बारे में चेतावनियों के बावजूद भारत को अस्थिर करने की कोशिश में जुटा हुआ है.
पाकिस्तान ने अकेले इस साल 10 जून तक नियंत्रण रेखा पर 2027 बार युद्धविराम का उल्लंघन किया है. पिछले साल यह संख्या 3168 रही थी. अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर गोलाबारी कर पाकिस्तानी सेना स्थानीय बस्तियों को तो खतरे में डालती ही है, वह इसकी आड़ में कश्मीर में आतंकी भेजने तथा अलगाववादी तत्वों को मदद पहुंचाने का प्रयास भी करती है. भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बलों की मुस्तैदी ने पाकिस्तान को बदहवास भी कर दिया है. यदि वह दुनिया में सम्मान हासिल करना चाहता है, तो उसे मसूद अजहर, हाफिज सईद, दाऊद इब्राहिम आदि जैसे खूनी गुनाहगारों को सजा देने में भारत की मदद करनी चाहिए.