जम्मू-कश्मीर के पूंछ जिले से लगी नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी में एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गयी है और एक व्यक्ति घायल हुआ है. पिछले महीने इस सेक्टर में और राजौरी में हुई गोलाबारी में हमारे पांच सैनिक शहीद हुए थे. इन घटनाओं से साफ है कि पाकिस्तान युद्धविराम समझौते के उल्लंघन के अपने रवैये से बाज नहीं आ रहा है. कई सालों से गोलाबारी की आड़ में पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों की घुसपैठ कराती रही है. भारतीय सेना और सुरक्षाबलों की मुस्तैदी और जवाबी कार्रवाई से अपने सैनिकों और आतंकियों के मारे जाने के बाद भी पाकिस्तान सुधर नहीं रहा है. इस साल जून की दस तारीख तक पाकिस्तानी सेना द्वारा युद्धविराम के उल्लंघन की 2027 घटनाएं हो चुकी हैं. पिछले माह के पहले दस दिनों में ही ऐसी 114 वारदातें हो चुकी हैं.
वर्ष 2003 से लागू इस समझौते के बाद से सबसे अधिक घटनाएं 2019 में हुई थीं, जब 3168 बार युद्धविराम का उल्लंघन किया गया. साल 2018 में यह आंकड़ा 1629 रहा था. इस साल अब तक की संख्या इंगित कर रही है कि पाकिस्तान अपनी हरकतों में कोई बदलाव लाने के लिए तैयार नहीं है. अब तक लगभग सौ घुसपैठिये आतंकवादी भारतीय सीमा के प्रहरियों द्वारा मारे जा चुके हैं, लेकिन रिपोर्टों की मानें, तो बहुत सारे आतंकी पाकिस्तानी सेना द्वारा प्रशिक्षित होकर घाटी में घुसने की फिराक में हैं.
आतंकी संगठनों ने 50 से अधिक स्थानीय युवकों को भी आतंकवादी गतिविधियों के लिए चयनित किया है. हालांकि कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों ने अपनी चौकसी बहुत तेज कर दी है तथा आतंकियों को मारने व पकड़ने का सिलसिला चल रहा है. भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निगरानी रखना बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य है, परंतु सेना के जवान और अन्य बलों के सुरक्षाकर्मी वीरता एवं सतर्कता के साथ अपने उत्तरदायित्व को निभा रहे हैं.
चौकसी बढ़ाने और गोलाबारी का जवाब देने के साथ यह भी सोचा जाना चाहिए कि आखिर कब तक पाकिस्तानी सेना की हरकतों को बर्दाश्त किया जाता रहेगा. लगातार उल्लंघनों को देखते हुए यह सवाल उठना भी स्वाभाविक है कि युद्धविराम समझौते का मतलब क्या रह गया है. पूर्वी लद्दाख में बीते दिनों जब भारत और चीन के बीच तनातनी का माहौल था, तब पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा पर सैनिकों की मौजूदगी बढ़ा दी थी.
इसका मतलब तो यही है कि चीन की तरह पाकिस्तान भी घात लगाने की जुगत में है. हालांकि सरकार और सेना इस आशंका से आगाह हैं कि युद्ध या सीमित लड़ाई की स्थिति में चीन और पाकिस्तान की जुगलबंदी हो सकती है, लेकिन हमें पाकिस्तानी चुनौतियों की काट पर भी ध्यान देना चाहिए. अगर जरूरत पड़े, तो सर्जिकल स्ट्राइक या बालाकोट जैसे लक्षित हवाई हमलों की तर्ज पर सीमित या त्वरित कार्रवाई की जा सकती है ताकि पाकिस्तान को सबक सिखाया जा सके.