15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

असाधारण खिलाड़ी थे पेले और माराडोना

वे अहम मैचों में छा जाते थे. तब उनका जलवा देखते ही बनता था. बड़े खिलाड़ी का यही सबसे बड़ा गुण होता है कि वे खास मैचों या विपरीत हालातों में छा जाते हैं.

फीफा वर्ल्ड कप शुरू होते ही फुटबॉल के जानकारों तथा प्रेमियों में बहस छिड़ चुकी है कि महानतम फुटबॉलर पेले थे या माराडोना. इस पर कभी कोई एक राय बनने की संभावना कम है. ब्राजील के पेले के चाहने वाले कहते हैं कि वे ही महानतम हैं क्योंकि वे तीन बार वर्ल्ड कप जीतने वाली ब्राजील टीम के सदस्य रहे. उन्हें साल 2000 में फीफा फ्लेयर आफ द सेंचुरी का भी सम्मान मिला. माराडोना सिर्फ एक वर्ल्ड विजेता टीम में रहे. उन्हें 1986 वर्ल्ड कप का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी होने का गौरव भी मिला था.

पर क्या पेले को मुख्य रूप से इसी आधार पर सर्वकालिक महानतम खिलाड़ी माना जाए क्योंकि वे तीन बार जीतने वाली टीम के सदस्य थे? वे 1958 में ब्राजील की टीम में थे. वे तब 17 साल के थे. वे 1962 और 1966 के वर्ल्ड कप में चोटिल होने के कारण खास जौहर नहीं दिखा सके थे, पर 1970 में अपने पीक पर थे. पर उस टीम के बारे में कहा जाता है कि वो वर्ल्ड कप में खेली महानतम टीम थी और पेले के बिना भी वर्ल्ड कप जीतने का दम रखती थी. उस टीम में गर्सन, टोस्टओ, रेविलिनिओ और जेरजिन्हो जैसे महान फारवर्ड खिलाड़ी शामिल थे.

माराडोना ने 1986 में विश्व कप अपने दम पर दिलवाया था. उनकी टीम औसत थी. उनके द्वारा क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड के विरुद्ध और सेमीफाइनल में किये लाजवाब गोल अब फुटबॉल इतिहास की थाती बन चुके हैं. माराडोना ने फाइनल में जर्मनी के खिलाफ भी मजे-मजे में गोल किया था. यह समझना चाहिए कि फुटबॉल का मतलब बड़ा शॉट खेलना नहीं है. बड़ा खिलाड़ी वही है, जो ड्रिबलिंग में माहिर है. उसे ही दर्शक देखने जाते हैं. इस लिहाज से पेले और माराडोना बेजोड़ रहे हैं. पेले के दोनों पैर चलते थे.

उनका हेड शॉट भी बेहतरीन होता था. पेले के 1970 में इटली के खिलाफ फाइनल में हेडर से किये गोल को याद करें. उस फाइनल में एक गोल कार्लोस एलबर्टों ने पेले की ही पास पर किया था. मारोडाना का सीधा पैर कतई काम नहीं करता था. उनका हेडर भी सामान्य रहता था. उन्हें महान बनाता था बायां पैर. अगर गेंद उनके बायें पैर पर आ गयी, तो फिर उन्हें रोकना असंभव था.

उनका गेंद पर नियंत्रण और विरोधी खिलाड़ी को छकाने की कला दुबारा देखने को नहीं मिलेगी. पेले के पास भी लाजवाब ड्रिबलिंग कला थी, पर माराडोना से वे उन्नीस माने जायेंगे. फ्री किक में भी माराडोना पेले से आगे जाते थे. उनका अपनी टीम पर गजब का प्रभाव था. हां, पासिंग और रफ्तार में दोनों का कोई सानी नहीं हुआ.

पेले ने अपने करियर में 760 गोल किये, जिनमें से 541 लीग मैचों के थे. इस कारण वे सर्वकालीन सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी माने जाते हैं. कुल मिलाकर पेले ने 1363 खेलों में 1281 गोल किये. वैसे इन आंकड़ों को चुनौती भी मिलती है. इस मोर्चे पर माराडोना कमजोर नजर आते हैं. पेले खुद गोल करने के लालच में नहीं रहते थे. वे साथी खिलाड़ियों को गोल करने के बेहतर अवसर देते थे. माराडोना ने वर्ल्ड कप में 91 मैच खेलकर 34 गोल दागे, पर उनकी एक विशेषता यह थी कि वे बिग मैच प्लेयर थे.

वे अहम मैचों में छा जाते थे. वे कमजोर टीमों के खिलाफ जौहर नहीं दिखा पाते थे. अगर मैदान से हटकर बात करें, तो पेले अर्जेंटीना के सुपर स्टार को पीछे छोड़ते हैं. फुटबॉल के बाद पेले सामाजिक कार्यों से जुड़ गये और ब्राजील में भ्रष्टाचार से लेकर गरीबी के खिलाफ लड़ते रहे. उन्हें 1992 में पर्यावरण के लिए संयुक्त राष्ट्र का राजदूत नियुक्त किया गया तथा 1995 में यूनेस्को का सद्भावना राजदूत बनाया गया. पेले ने ब्राजीली फुटबॉल में भ्रष्टाचार कम करने के लिए एक कानून प्रस्तावित किया, जिसे पेले कानून के नाम से जाना जाता है.

माराडोना ने किसी सामाजिक आंदोलन से अपने को नहीं जोड़ा. वे नशे के आदी रहे तथा 1986 वर्ल्ड कप में इंग्लैड के खिलाफ किये हैंड ऑफ गॉड गोल से उनकी प्रतिष्ठा धूमिल भी हुई. पर इससे उनके महानतम होने पर सवाल खड़ा करना गलत होगा.

दोनों का बचपन अभावों में गुजरा. जहां माराडोना बड़बोले रहे हैं, वहीं पेले बेहद शांत और विनम्र. माराडोना और पेले के भारत में भी करोड़ों प्रशंसक हैं. दोनों भारत आ चुके हैं और दोनों भारत को प्रेम करते रहे. साल 2008 और 2017 में माराडोना भारत आये थे. साल 1975 में पेले भारत आये थे. यह भी जानना दिलचस्प है कि पेले, माराडोना, रोजर फेडरर, मोहम्मद अली, कपिल देव या इमरान खान कैसे बना जाता है. इसका उत्तर तलाश करने के लिए बहुत मशक्कत करने की जरूरत नहीं है.

सभी खिलाड़ी मेहनत करते हैं. पर अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी सब महान नहीं कहलाये जाते. वे ही महान माने जाते हैं, जो बिग मैच प्लेयर होते थे. वे अहम मैचों में छा जाते थे. तब उनका जलवा देखते ही बनता था. बड़े खिलाड़ी का यही सबसे बड़ा गुण होता है कि वे खास मैचों या विपरीत हालातों में छा जाते हैं. ये फाइनल या अन्य खास मैचों के समय अपने हुनर दिखाते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें