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भोजन में प्लास्टिक

नालियों और नदियों से बहकर कचरे के समुद्र में पहुंचने से समुद्री जीवों में भी प्लास्टिक प्रदूषण होने लगा है. खाद्य पदार्थों से मानव शरीर में जब यह प्रदूषण पहुंचता है, तो अनेक गंभीर बीमारियों का कारण बनता है. खाद्य प्राधिकरण की परियोजना से खाद्य सुरक्षा में बेहतरी के साथ-साथ प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में विस्तृत आंकड़े भी हासिल होंगे, जिससे इसके दीर्घकालिक समाधान को आधार मिल सकता है.

Plastic In Food : बहुत लंबे समय से हमारे जीवन में प्लास्टिक से बनी चीजों की उपयोगिता रही है, पर अब यह अभिशाप बन गया है. हाल तक प्लास्टिक कचरे के निपटान और उसे फिर से इस्तेमाल लायक बनाने की चुनौती थी, पर अब यह हमारे भोजन को भी प्रदूषित करने लगा है. हाल में एक अध्ययन में पाया गया है कि देश में बिकने वाले नमक और चीनी के सभी ब्रांडों में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी है.

इस संबंध में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने एक नयी पहल की है. इस राष्ट्रीय परियोजना में खाद्य पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक की पहचान की जायेगी तथा उसका अध्ययन किया जायेगा. इस पहल का प्रारंभ मार्च में हो गया था. इस प्रयास के निष्कर्षों के आधार पर माइक्रो और नैनो प्लास्टिक के लिए एक दिशा-निर्देश तैयार किया जायेगा. इस परियोजना में अनेक प्रमुख शोध संस्थानों की सहभागिता है. उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन ने भी अनेक खाद्य पदार्थों में प्लास्टिक होने के संबंध में रिपोर्ट दी है.

नालियों और नदियों से बहकर कचरे के समुद्र में पहुंचने से समुद्री जीवों में भी प्लास्टिक प्रदूषण होने लगा है. खाद्य पदार्थों से मानव शरीर में जब यह प्रदूषण पहुंचता है, तो अनेक गंभीर बीमारियों का कारण बनता है. खाद्य प्राधिकरण की परियोजना से खाद्य सुरक्षा में बेहतरी के साथ-साथ प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में विस्तृत आंकड़े भी हासिल होंगे, जिससे इसके दीर्घकालिक समाधान को आधार मिल सकता है. एक हालिया जांच में प्राधिकरण ने पाया है कि 12 प्रतिशत भारतीय मसाले मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं. कुछ समय यह भी पता चला था कि कई बड़े ब्रांड अपने उत्पादों के बारे में अधूरी जानकारी दे रहे हैं या उनके बारे में भ्रामक दावे कर रहे हैं.

अनेक बड़े शहरों में कई नामचीन रेस्तरां नियमों का उल्लंघन करते हुए पाये गये हैं. इस वर्ष अप्रैल में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने एप और वेबसाइट से ‘स्वास्थ्य पेय’ (हेल्थ ड्रिंक्स) श्रेणी से सभी पेय उत्पादों को हटाने का निर्देश दिया था. उसी माह खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने ई-कॉमर्स कंपनियों को खाद्य उत्पादों का समुचित श्रेणीकरण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था. यह भी पाया गया है कि नुकसानदेह मैदा, चीनी और रिफाइंड तेल में बने बिस्किट उत्पादों को स्वास्थ्यवर्धक कह कर बेचा जा रहा है. किसी वस्तु में इस्तेमाल सामग्री तथा उनसे मिलने वाले पोषण से संबंधित सूचनाओं को आम तौर पर इतने महीन अक्षरों में छापा जाता है कि लोगों का ध्यान ही नहीं जाता. चीनी, नमक, वसा जैसे तत्वों की अधिकता से कई बीमारियां हो रही हैं. प्राधिकरण और खाद्य विभागों को अधिक सक्रियता दिखाते हुए मिलावट और प्रदूषण की रोकथाम को प्राथमिकता देनी चाहिए. ग्राहकों को भी अधिक सचेत होना चाहिए.

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